केसरिया चावल
>> Saturday, 9 July 2011
सोचा था
मन की हांड़ी में
ज़िंदगी का केसरिया
चावल पकाऊँगी खास
पर न केसरिया
प्रेम मिला
और न ही
भावनाओं की मिठास .
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
© Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
89 comments:
उफ़ चंद शब्दो मे गहरी बात कह दी।
क्या बात है...वैसे यह चावल पकते तो यह तो तय है कि खुशबू दूर तलक जाती
क्या बात है, बहुत सुंदर
aur bhukh mar gai...
बिरियानी ...
पकते-पकते पक गई
सुगंध भी फैली
कुछ इधर
कुछ उधर!!
क्या हुआ जो केसर कम पड़ गया
क्या हुआ जो छौंक नहीं दी
अपनी भावनाओं की आंच ही काफ़ी थी!
khubsurat jajbaat kahne ka andaaz nirala badhai
Sangeeta ji,
aap jaisi vidushi ki rachana par yah comment karna dhrishta hai,kintu fir bhee man maan nahin rahaa hai.
socho to saade chawal men mil jaata keshar ka ujaas .
jyaada meetha nukasandeh, achchhee hoti thodi mithaas .
सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए आभार
कम शब्दों में जीवन सार कह देना..... आपकी ही कलम हो सकती है....
जो मिला, सभी नत-शिर हो कर स्वीकार लिया ,
किसलिये शिकायत, जब आगे चल देना है!
भले ही केसर कम पड़ गयी हो लेकिन जो कुछ भी आपने पकाया वह इतना सौंधा और स्वादिष्ट है कि उसकी सुगंध दूर तक फ़ैली हुई है और उसे ही ग्रहण करने के लिये सब लालायित हो रहे हैं ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
jo bhi pakaya hai aapane svadisht hai...aapke shabdon ki mithas kafi hai...:)
केसरिया चावल भले ना पके. मिटटीकी हांड़ी भले ना चढ़े , लेकिन आपका जीवन कस्तूरी जैसा सुगन्धित रहे , आमीन.
संगीता दी!
किसी और की बात होगी यह..आपकी तो हो ही नहीं सकती.. इतने सारे लोगों का प्रेम आपके साथ है और इतनी सद्भावनाएं आपके साथ जुडी हैं.. और हम सभी गुनगुना रहे हैं नीरज जी के गीत:
खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की,
खिड़की खुली हुई है किसी के मकान की!
संगीता जी कम शब्दों में जीवन का सार कह देती हैं आप.... केसरिया चावल बढ़िया विम्ब बन गया है.....
और मन की बात ज़ुबाँ
पर आ गई !
सुंदर भाव !!!
शुभकामनायें!
बहुत ही कम शब्दों ने कितनी गहरी बात कह दी.... बहुत खूब....
lekin aapki kavita se keshariya chwal ke mithas ki khooshboo aa rahi hai......
महोदय/ महोदया जी,
अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा! मेरे इस पते पर अपनी रचना भेजें sonuagra0009@gmail.com या आप मेरे ब्लॉग “स्मस हिन्दी” मे टिप्पणि के रूप में भी अपनी रचना भेज सकते हो.
हमारी यह पेशकश आपको पसंद आई?
नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
pyar ke bhav sunder hai
बाप रे बाप.. आप कितना जबरदस्त लिख देती है.. वाह
kesariya colour aap ke paas bhi to tha.
क्या कहा है आंटी...बहुत सुंदर...अलग उपमानों को लेकर आप जीवनदर्शन की अद्भूत बात कह जाती है.....बहुत सुंदर।
कुछ शब्दों में पूरा जीवन दर्शन ...........
प्रणम्य है लेखनी ...
बहुत सुन्दर रचना....शुभकामनायें.....
सधे हुए ..प्रभावित करते शब्द ... कैसे बांध लेती हैं आप कम शब्दों ऐसी गहन बातें....
dil ko chhoo gayee aapki prastuti.badhai sangeeta ji.
अरे आपको न केसर की जरुरत है न मिठास की.आप तो जिसे हाथ लगा दें अपने आप ही मीठा हो जाये.
कम शब्दों में सुन्दर ,गहरी बात.
समझने वाले उतने होशियार नही होते जितने की समझाने वाले. लेकिन जब बात समझ में आती है तो भावनाओं की मिठास वाली तलाश मन ही मन शुरू हो जाती है.
Chaahat hi kyun ki ? sundar ...
प्रेम का रंग तो हमारी आंखों में होता है अगर वह है तो आप उसे किसी भी रंग में देख सकते हैं। इसलिए तो कहा गया है सावन के अंधे को सब हरा हरा ही दिखता है।
सुन्दर क्षणिका!
गहन अभिव्यक्ति ,बहुत सुन्दर
जीवन में कई बार बसंत ओड़ा नहीं जा पाता ...
बहुत गहरी अभिव्यक्ति है ...
गहरी बात है....
अति सुन्दर . लेकिन किस की बात कह दी जी .
ज़ाहिर है यह बात खुद की नहीं , बात है ज़माने की .
kesariya prem aur bhavnaon ki mithas....ske intejar me jindagi hi beet jati hai...sunder bimb...
kesariya prem aur bhavnaon ki mithas....ske intejar me jindagi hi beet jati hai...sunder bimb...
kesariya prem aur bhavnaon ki mithas....ske intejar me jindagi hi beet jati hai...sunder bimb...
man ki handi
beautiful poem
संगीता जी
मन की हांडी की मिठास से रंग देतीं यदि सादा चावल !
केसरिया बन जाता ,निश्चय ही वह साधारण चावल !
"भोला"
पर न केसरिया
प्रेम मिला
और न ही
भावनाओं की मिठास ...यह भी जीवन की अजीब विडम्बना है...
_______________
शब्द-शिखर / विश्व जनसंख्या दिवस : बेटियों की टूटती 'आस्था'
kam shabdon men badi baat kahne ki adbhut kshamata hai aapmen !
abhaar
हैट्स ऑफ.....इतने कम शब्दों में इतनी गहराई तक जाने के लिए|
वह सुबह कभी तो आयेगी।
हमेशा की तरह एक शानदार रचना। कम शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने। आभार।
pasand aaye kesariya chaawal, chawal km hain lakin swadisht hain..
abhaar......................
केसरिया चावल के बिम्ब को लेकर बहुत कुछ कह दिया आपने...
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
संगीता जी इस खूबसूरती को मैं क्या कहूँ निःशब्द हूँ
बहुत खूब..हमेशा की तरह...कम शब्दों में गहरी बात....
अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बहुत गहरी बात कह दिया आपने! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
ओह! ये तो सुनकर अच्छा नहीं लगा...
केसरिया चावल....
नए बिम्ब हमेशा आकर्षित करते हैं .......
वाकई आपकी रचनाओं को जितनी बार पढिए हर बार नई तो लगती ही है, भाव भी बदलते रहते है।
बहुत सुंदर.. पहले भी पढ चुका हूं।
वाह ...बहुत खूब ।
आप ने तो गागर में सागर भर दिया..
लाजवाब करती प्रस्तुति ।
क्या कहने...
आदरणीया संगीता जी सब कुछ मिलेगा देर है अंधेर नहीं -भावनाओं की मिठास तो भरी पड़ी है आप के पास
खूबसूरत रचना -बधाई
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
अछूते बिम्बों से गागर में सागर भर दिया है.
संगीता जी, दुआ है कि ये भावनाओं की सुगंध हमेशा महकती रहे.
काश.....
आपका चावल पाक जाए...!
फिर मैं भी अपना चावल पकाने की कोशिश करूँ ..!!!
चावल के दाने सी रचना..
पूरा मुंह मीठा कर गई !!
sirf kuch gine-gine shabdon na jaane kitane bhaav...
बहुत सुंदर तरीका है बात कहने का,
सादर,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वाह! बहुत सुन्दर रचना...
सुंदर भावाभिव्यक्ति ..........
waah kitni khubsurti se bayan ker diya apne apne jajbaton ko , accha hua jo nahi paki .pak jati to itni acchi rachna humekaha se milti.badhai.........
aaj pahli bar pada aapko...
achha laga....
har ek post naayaab hai...
naya naya sadasya hun blog jagat men
mere blog par aapka swaagat hai...
bas yahi kami to khal gayi ,bahut hi badhiya .
सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
क्या बात है । केसरिया चावल भा गये मन को ।
Soul stirring creation ! Quite often we live with unfulfilled desires !
बड़ी बेवकूफ थी, तुझसे प्यार कर बैठी,
तेरी बातों में आकर, इज़हार कर बैठी,
न पता था तेरा यूँ जाने का,
मुझे छोड़कर किसी और को अपनाने का,
bahut kam shabdo me bahut gehri baat keh di aapne ...
di aapki har baat kuchh apni si lagti hai.......:)
सुन्दर भाव, सार्थक रचना, आभार.
बहुत सुंदर।
बहुत खूबसूरत दीदी :)
Sangeeta Ji, ye sundar rachna hai. Kya agli rachna aap ullas par likh sakti hain?
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .
laghu rachna mein bahut badiya bimb prastut kiya hai aapne... bahut achhi lagi rachna..
क्या संगीता दी इतना कुछ तो मिला है अब और क्या चाहिए ....हा हा हा ...
बहुत बढ़िया
"यहाँ तो दाना दाना खिल रहा है
शब्द दर शब्द सुगंध भर रहा है"
शायद अच्छे दिल वालों के साथ ऐसा ही होता है ...कष्ट मज़बूत लोगों को अधिक मिलते हैं ! शुभकामनायें !
dar ko bhi aap bahut sunder bana deti hai .aapko sari kshanikayen bahut hi sunder hoti hai .ye bhi unhi uttam shreni me shamil hai
rachana
Bahut sundar bimb , bahut pasnd aayi bahut-bahut badhai..
bahut khoob........
main kai baar sochta hoon par aisa likh nahi paata...bus fir aapko pad leta hoon.... badhaiiiiiiii
Kya baat kah dee.....!
भावनाओं की मिठास.
आज कल सब इसी के लिए तरसते हैं।
सादर
sundar bhav
acchi rachana..
Post a Comment