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नमकीन खीर

>> Monday, 31 October 2011



मेरे 
ज़ख्मों पर 
छिडकते  हो 
जब भी नमक ,
तो 
खाने  में 
झर जाता है 
नमक सारा
और 
नमकीन हो जाती है 
खीर भी .



72 comments:

shikha varshney Mon Oct 31, 04:14:00 pm  

आपके हाथ की बनी तो नमकीन खीर भी कमाल होगी :)
पर गज़ब का ख़याल है.४ पंक्तियों में ही पूरा भाव समेट लेती हो आप.

अरुण चन्द्र रॉय Mon Oct 31, 04:29:00 pm  

नमकीन खीर ! अदभुद विम्ब. आज ही आपकी पुस्तक समीक्षा पढ़ी है.. और अब यह नए तरह की क्षणिका... बहुत बढ़िया...

सदा Mon Oct 31, 04:30:00 pm  

वाह ...बहुत खूब ..कहा है आपने ...।

अनुपमा पाठक Mon Oct 31, 04:30:00 pm  

ज़ख्मों पर छिड़का गया नमक गहरा असर छोड़ता है!
खीर का नमकीन होना....
आह!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति Mon Oct 31, 04:33:00 pm  

मूड का असर तो पकवान पर पड़ता हे है... पर आपके हाथ की तो नमकीन खीर भी अच्छी लगेगी...जैसे ये रचना...सादर

दर्शन कौर धनोय Mon Oct 31, 04:34:00 pm  

आपकी कविता नमकीन होते हुए भी मिठास से भरी हुई हैं दी ...चार लाइनों का मोह छोड़ नहीं पाती हूँ मैं ---बहुत खुबसूरत ...

मनोज कुमार Mon Oct 31, 04:35:00 pm  

खीर का खारा पन मन के खारे पन को दर्शाता है और सारी भावनाएं व्यक्त हो जा रही हैं।

POOJA... Mon Oct 31, 04:37:00 pm  

aap itne kam shabdon mei itna sab samet leti hain ki bas...
waise, hamari Hindi teacher ne padhaya tha ki Hindi saahitya ko likhnewala wahi kahlata hai jo kam likhe, aur jiski ek baat se har koi apne tarah se jud sake...

ऋता शेखर 'मधु' Mon Oct 31, 04:46:00 pm  

मन के भाव का असर खीर पर...बहुत सुन्दर!

M VERMA Mon Oct 31, 05:10:00 pm  

नमक तो कहीं न कहीं असर दिखायेगा ही.
सुन्दर रचना और सुन्दर बिम्ब

Rajesh Kumari Mon Oct 31, 05:17:00 pm  

bahut thode shabdon me badi baat.koi jakhmon par namak chidkega to tan aur man dono to jalenge hi.

S.N SHUKLA Mon Oct 31, 05:54:00 pm  

बहुत खूबसूरत , आभार .

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Mon Oct 31, 06:17:00 pm  

अप्रतयक्ष पीड़ा बयाँ करती ख़ूबसूरत पंक्तिया !

अनामिका की सदायें ...... Mon Oct 31, 06:21:00 pm  

namkeen kheer k swad ka ehsaas lane ki koshish kar rahi hun.

:)

प्रवीण पाण्डेय Mon Oct 31, 07:16:00 pm  

मन के भाव भोजन में आ जाते हैं।

अजित गुप्ता का कोना Mon Oct 31, 07:39:00 pm  

महिला तो खारे को भी मीठा बना देती है।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') Mon Oct 31, 07:51:00 pm  

वाह दी... सुन्दर...
सादर...

ashish Mon Oct 31, 08:22:00 pm  

ना ना , खीर तो मीठी ही चलेगी , वैसे नमकीन खीर तो कई बार जीवन की सच्चाई बयां करती है .

Sadhana Vaid Mon Oct 31, 08:56:00 pm  

अद्भुत रचना है संगीता जी ! अक्सर ज़ख्मों पे छिडका हुआ नमक जीवन को भी बेस्वाद और कटु बना जाता है ! बहुत सुन्दर रचना ! वाह !

डॉ टी एस दराल Mon Oct 31, 09:00:00 pm  

कौन है जो जख्मों पर नमक छिड़क रहा है ? :)

अब स्वाद तो आएगा ही । हलवा होता तो भी नमकीन होता ।

Vaanbhatt Mon Oct 31, 09:05:00 pm  

जिन्हें हम अपना समझते हैं...वो जब जख्मों पर जुबान से नमक छिड़कते हैं...तो आँखों से आंसू झर-झर के मीठी खीर को भी नमकीन कर देते हैं...बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति...

kshama Mon Oct 31, 09:10:00 pm  

Chand alfaaz aur itnee badee baat! Kamaal kiya hai aapne!

Amit Chandra Mon Oct 31, 09:12:00 pm  

बेहतरीन भावो से सजी सुंदर पंक्तियाँ.

विशाल Mon Oct 31, 09:37:00 pm  

वाह.

.....और कविता भी
हो जाती है नमकीन.

पर अच्छी लगी.
उत्कृष्ट लेखन.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Mon Oct 31, 09:53:00 pm  

संगीता जी,...मीठी खीर तो पहले खाई थी,नमकीन खीर आज खा रहा हूँ,....बहेतरीन पोस्ट...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Mon Oct 31, 09:53:00 pm  

संगीता जी,...मीठी खीर तो पहले खाई थी,नमकीन खीर आज खा रहा हूँ,....बहेतरीन पोस्ट...

Maheshwari kaneri Mon Oct 31, 10:12:00 pm  

बहुत खूब .नमक का कहीं तो असर होगा ही...

डॉ. मोनिका शर्मा Mon Oct 31, 10:48:00 pm  

सुंदर ... मन में खारापन है तो भोजन में मिठास कहाँ आये .....

Jeevan Pushp Mon Oct 31, 10:58:00 pm  

बहुत खूब खीर का नाम लेते ही मन में जिस स्वाद का
लालच आता है वो नमकीन हो जाये तो फिर मज़ा ही
खत्म... चंद पंक्तियों में बहुत कुछ है ..
मेरी नई पोस्ट के लिए पधारे आपका स्वागत है

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) Mon Oct 31, 11:49:00 pm  

हृदय में हो पीर तो नमकीन लागे खीर
नयनों से झरा है नीर,है ये प्रीत की तासीर.

मन मर्माहत हो तो ऐसा ही होता है.अति मार्मिक अभिव्यक्ति.

Dr.NISHA MAHARANA Tue Nov 01, 12:20:00 am  

नमकीन हो जाती है
खीर भी.bhut gahan bhav chipa hai.

संध्या शर्मा Tue Nov 01, 12:22:00 am  

नमकीन खीर...
अद्भुत रचना और सुन्दर बिम्ब...

Nidhi Tue Nov 01, 06:23:00 am  

जैसे अमन के भाव ..वैसा ही स्वाद भोजन में ...सुन्दर बिम्ब!

वाणी गीत Tue Nov 01, 08:09:00 am  

जख्मों पर छिड़का नमक स्वाद ही बदमजा कर देता है , इसलिए सब कुछ खरा ही लगेगा !

प्रतिभा सक्सेना Tue Nov 01, 09:42:00 am  

स्वाद ग्रहण करने वाला मन ही जब खट्टा हो तो कोई स्वाद आनंद कैसे देगा !

Anonymous Tue Nov 01, 10:16:00 am  

नमकीन खीर............सबसे पहले तो शीर्षक के लिए ही बधाई........और उस पर पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी :-)

vandana gupta Tue Nov 01, 01:07:00 pm  

उफ़्………………गज़ब कर दिया…………कुछ कहने लायक ही नही छोडा।

***Punam*** Tue Nov 01, 10:36:00 pm  

मेरे
ज़ख्मों पर
छिडकते हो
जब भी नमक ,
तो
खाने में
झर जाता है
नमक सारा
और
नमकीन हो जाती है
खीर भी .

बेहतरीन प्रस्‍तुति ......

Bharat Bhushan Wed Nov 02, 07:05:00 am  

नमक का जवाब मिर्ची से देना आना चाहिए लेकिन कम तीखी मिर्ची. यह लाभकारी हो सकती है :)

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " Wed Nov 02, 12:59:00 pm  

मेरे
ज़ख्मों पर
छिडकते हो
जब भी नमक ,
तो
खाने में
झर जाता है
नमक सारा
और
नमकीन हो जाती है
खीर भी .
ati sundar...

रचना दीक्षित Wed Nov 02, 01:46:00 pm  

संगीता दी त्यौहार के मौसम में तो खीर को मीठा ही रहने देतीं अच्छा रहता. वैसे नमकीन भी कुछ कम नहीं लगी सुन्दर भाव

दिगम्बर नासवा Wed Nov 02, 03:21:00 pm  

जीवन के खट्टे मीठे अनुभव से खीर नमकीन या मीठी होती रहती है ... लाजवाब बिंब बुना है ..

www.navincchaturvedi.blogspot.com Wed Nov 02, 08:19:00 pm  

बात कहने का सुंदर अंदाज़, कड़वा सच पर मिठास के साथ

संतोष त्रिवेदी Wed Nov 02, 08:23:00 pm  

कविता को जी भी लेते हैं...कभी-कभी !

Anju Wed Nov 02, 11:03:00 pm  

ज़ख्मों पर
छिडकते हो
जब भी नमक ,
नमकीन हो जाती है
खीर भी .
bahut gehre bhaav liye,jise mehsoos kiya ja skta hai,kaha nahi......

Pallavi saxena Thu Nov 03, 06:28:00 pm  

क्या कहूँ मैं जो कुछ भी कहना चाहती हूँ सभी ने लिख दिया है :-)
मगर बात सही है चंद पंक्तियों में ही सारा सार लपेट लिया आपने बहुत खूब....

Santosh Kumar Thu Nov 03, 11:44:00 pm  

रिश्तों का तीखापन..भावनाओं से भरी सारगर्भित और सुन्दर रचना.

मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है..
www.belovedlife-santosh.blogspot.com

daanish Fri Nov 04, 08:20:00 am  

मन के भाव
इसी तरह कभी
खीर के स्वाद में भी झलकने लगते हैं ...
काव्य रूप प्रभावशाली है .

Kunwar Kusumesh Fri Nov 04, 08:46:00 am  

नमकीन खीर.
अद्भुत .

Minakshi Pant Sat Nov 05, 09:04:00 pm  

बहुत सुन्दर | कटाक्ष करने में सफल रचना |

Urmi Mon Nov 07, 10:21:00 am  

वाह! संगीता जी! बहुत खूब लिखा है आपने! छोटी सी सुन्दर क्षणिका के माध्यम से आपने सच्चाई बयान किया है!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/

sushila Mon Nov 07, 07:47:00 pm  

थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है आपने ! बहुत सुंदर !

sheetal Tue Nov 08, 07:13:00 pm  

bilkul sahi likha aapne,
hamara man to bilkul kheer
ke samaan hain..jisko khara
saamne waale ki katu vachno
ka namak namkeen bana dete
hain...
khane main pade adhik namak ko
kam karne ke bahut se aasan nushke
hain...par ye jo man khara ho jaaye to iski mithas ko fir se laane ke liye kathin pryaash karna padta hain...ya kaho ek tapashya karni padti hain.

Satish Saxena Tue Nov 08, 09:59:00 pm  

सही है ....
शुभकामनायें आपको !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Tue Nov 08, 11:03:00 pm  

मेरे नए पोस्ट "वजूद" में आपका स्वागत है..कृपया जरूर पधारे...

Urmi Wed Nov 09, 07:18:00 am  

मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/

Asha Joglekar Wed Nov 09, 09:37:00 am  

जख्मो पर छिड्का नमक खीर को भी नमकीन बना देता है .आह ! और वाह भी .

vidya Fri Nov 11, 11:51:00 am  

अदभुद क्षणिका....भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

pragya Fri Nov 11, 12:04:00 pm  

वाह:)...बेहतरीन!

मेरे भाव Sun Nov 13, 03:54:00 pm  

छोटी सी नज़्म और दर्शन कितना है इसमें...अद्भुद...

पूनम श्रीवास्तव Sun Nov 13, 06:52:00 pm  

di
bas ,nihshabd hun. aapki post par
hardik naman
poonam

आनंद Fri Dec 02, 02:53:00 pm  

खीर का नमकीन होना ....
वाह दीदी कमाल ही कर दिया अपने तो
क्या बिम्ब है !
प्रणाम !

Naveen Mani Tripathi Sat Jan 21, 09:34:00 pm  

behad khoobsoorat rekhankan ......badhai Sangeeta ji

रफ़्तार

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