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तपिश

>> Sunday 4 December 2011





मैं 
समंदर के साहिल पर 
भीगी रेत सी 
ज़रा सी कोशिश से  
बन जाती हूँ 
एक घरौंदा 
और फिर 
न जाने कौन सी  
तपिश से 
यूँ ही 
बिखर जाती हूँ 


80 comments:

Amit Chandra Sun Dec 04, 01:06:00 am  

खूबसूरत एहसास.

सादर.

अनुपमा पाठक Sun Dec 04, 04:55:00 am  

'भीगी रेत सी
ज़रा सी कोशिश'
प्यारे शब्द विम्ब!

S.N SHUKLA Sun Dec 04, 06:32:00 am  

सुन्दर प्रविष्टि के लिए बधाई.

मनोज कुमार Sun Dec 04, 06:41:00 am  

यही तो बात है, कि नमी लेकर कुछ सृजन कर तो लो, पर तपिश लगाने वालों की कमी नहीं है।

डॉ. मोनिका शर्मा Sun Dec 04, 06:51:00 am  

बहुत ही सुंदर ..

जीवन में गढ़ने का नमी ही करती है बिखेरती तपिश ही है....

ऋता शेखर 'मधु' Sun Dec 04, 08:01:00 am  

यथार्थपूर्ण अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर...बधाई|

रश्मि प्रभा... Sun Dec 04, 08:47:00 am  

phir se ek chaah liye nami ki talaash hai...

प्रवीण पाण्डेय Sun Dec 04, 08:51:00 am  

विचारों की लहरें सशक्त होती हैं।

डॉ टी एस दराल Sun Dec 04, 08:52:00 am  

यही बनना बिगड़ना ही तो जिंदगी है ।
सुन्दर पंक्तियाँ ।

ashish Sun Dec 04, 09:06:00 am  

तपिश और नमी तो जीवन के अभिन्न अंग है , हा तपिश बिखेरने वाले बहुतायत में पाए जाते है.

रचना दीक्षित Sun Dec 04, 09:34:00 am  

कुछ तपिश भी जरुरी है. सुंदर प्रस्तुति और गज़ब अहसास.

अरुण चन्द्र रॉय Sun Dec 04, 10:48:00 am  

कम शब्दों में पूरा जीवन संसार रच देती हैं आप...बहुत सुन्दर...

vandana gupta Sun Dec 04, 11:40:00 am  

मैं
समंदर के साहिल पर
भीगी रेत सी
ज़रा सी कोशिश से
बन जाती हूँ
एक घरौंदा
और फिर
न जाने कौन सी
तपिश से
यूँ ही
बिखर जाती हूँ

यही तो विडम्बना है…………आज शब्द खामोश हैं।

प्रतुल वशिष्ठ Sun Dec 04, 12:02:00 pm  

आपके इन घनीभूत भावों में उलझ रहा हूँ... यदि मैं इस भाव को जीता तो क्या लिखता ...

मैं
समंदर की भीगी रेत में
कुछ देर चल लेना चाहता था...
और जब चला तो भीगी रेत में
खुद-ब-खुद बन गये पाँव के गहरे निशान
और जब उन निशानों को
मेरा सुखद एहसास
'घरौंदा' मानकर प्रविष्ट हो गया.
तो मुझे भी लगने लगा
'मैं अब गृहस्थी हो गया.'

sheetal Sun Dec 04, 12:20:00 pm  

jab apnepan ki nami milti hain to man fir harabhara gharonda ban jaata hain...aur fir jahan rukhe vyavhaar ki tapish mile to yahi gharonda tut kar bikhar jaata hain.
dil ko chune vaali prashtuti.

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Sun Dec 04, 12:23:00 pm  

बेहतरीन और आज के परिपेक्ष में सार्थक कविता के लिये मुबारकबाद व आभार्।

Prakash Jain Sun Dec 04, 12:30:00 pm  

Banana aur bikharna...sundar bhav

badhiya prastuti

www.poeticprakash.com

Yashwant R. B. Mathur Sun Dec 04, 01:00:00 pm  

बहुत खूब आंटी।

सादर

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') Sun Dec 04, 02:00:00 pm  

सुंदर पंक्तियाँ दी..
सादर...

संध्या शर्मा Sun Dec 04, 02:12:00 pm  

यही तो जिंदगी है...बहुत सुन्दर...

Sadhana Vaid Sun Dec 04, 02:32:00 pm  

निर्मिति और विसर्जन की अद्भुत अभिव्यक्ति है संगीता जी ! बहुत सुन्दर भाव हैं और बहुत करीने आपने उन्हें शब्दों में पिरोया है ! अति सुन्दर !

--

संगीता स्वरुप ( गीत ) Sun Dec 04, 02:55:00 pm  

Rekha Srivastava to me
show details 1:32 PM (1 hour ago)
बहुत दिन बाद पहुँच पाई हूँ और फिर एक सुंदर सी गीतिका मिली जो अंतर तक छू गयी. इस सुंदर गीतिका के लिए बधाई. (कुछ नेट प्रॉब्लम है इसलिए आपके कमेन्ट बॉक्स में नहीं जा रहा है. )

Amrita Tanmay Sun Dec 04, 04:25:00 pm  

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति |

Nidhi Sun Dec 04, 05:57:00 pm  

कोमल एहसास......

अशोक सलूजा Sun Dec 04, 06:31:00 pm  

यही जीवन का सार है ...जल्दी बनता है ...
संभाल लो ,नही तो उतनी जल्दी ही बिगड जायेगा |शुभकामनाएँ!

Surendra shukla" Bhramar"5 Sun Dec 04, 06:49:00 pm  

आदरणीया संगीता जी बहुत सुन्दर . छविओं ने सब कुछ जता दिया ..यही तो है हमारी जिंदगानी ..कभी धूप कभी छाँव ...
भ्रमर ५

Rakesh Kumar Sun Dec 04, 08:04:00 pm  

हलचल मचाती सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
भावपूर्ण और हृदयस्पर्शी.

आभार.

shikha varshney Sun Dec 04, 08:13:00 pm  

क्या बोलूं...जाने कितनी बार जिए हैं आपके ये शब्द ..परन्तु अभिव्यक्त करना कभी इतना सहज न था..इतना सहज आपने कर दिखाया.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Sun Dec 04, 08:44:00 pm  

सुंदर पंक्तिया..बधाई....
नई पोस्ट में आपका स्वागत है

विभूति" Sun Dec 04, 08:53:00 pm  

चंद पंक्तिया और बहुत खुबसूरत भाव अभिवयक्ति.....

Maheshwari kaneri Sun Dec 04, 09:37:00 pm  

यही जीवन का सार है .... बहुत सुन्दर...बधाई|मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है

Unknown Mon Dec 05, 07:24:00 am  

घरौंदे शायद बिखरने के लिए ही बनते है मैम|

mridula pradhan Mon Dec 05, 11:33:00 am  

bahot bhawnatmak pangtiyan......

Urmi Mon Dec 05, 11:46:00 am  

वाह! संगीता जी! बहुत खूब लिखा है आपने! ख़ूबसूरत एहसास के साथ सच्चाई बयान किया है आपने !

सदा Mon Dec 05, 12:18:00 pm  

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ...आभार ।

Anju (Anu) Chaudhary Mon Dec 05, 01:29:00 pm  

ahsas jitna khubsurat....utna hi apne bhitar dard samete huye .....aabhar

सु-मन (Suman Kapoor) Mon Dec 05, 04:22:00 pm  

आपके ये छोटे मगर गहरे शब्द अक्सर मुझे यहाँ खींच ले आते हैं ....

दिगम्बर नासवा Mon Dec 05, 06:21:00 pm  

रेत चाहे जैसे भी हो बिखत ही जाती है ... कमाल के भाव लिखे हैं ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Mon Dec 05, 07:31:00 pm  

संगीता दी,
शब्दों के जाल से परे..कम शब्दों में अथाह संवेदनाएं समेटे!! इसे कहते हैं आपके मूड की कविता ..

www.navincchaturvedi.blogspot.com Tue Dec 06, 08:38:00 am  

शब्दों और चित्रों के माध्यम से गहरी बात को आसानी से कह दिया है - बहुत खूब

अजित गुप्ता का कोना Tue Dec 06, 09:35:00 am  

यही प्रकृति का नियम है।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Tue Dec 06, 04:39:00 pm  

रेत के घरौंदे जो ठहरे...टूटना ही इनकी नियति है.

vidya Wed Dec 07, 12:07:00 pm  

बहुत सुन्दर....रेत के घरोंदे...और मानव मन..एक से तो होते हैं..ज़रा सी ठेस लगी और टूट जाते हैं..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Wed Dec 07, 08:12:00 pm  

मन और रेत के घरोंदे में थोड़ी सी भी चोट लगे तो टूट ही जातें है,.....सुंदर पोस्ट ...

आशु Thu Dec 08, 12:12:00 pm  

बहुत खूबसूरत एहसास...हम सब अपने एहसास को ले कर कितने नाज़ुक है ...ज़रा सी चोट से टूट कर बिखर जाते है..

अति सुन्दर रचना..

Pallavi saxena Thu Dec 08, 03:23:00 pm  

chnad pantiyon men hee jivan ki sacchai ke ghare bhav kitni saralata se kah jaati hain aap :-)ki tariif ke liye shabd bhi nahi milte ...

Asha Joglekar Thu Dec 08, 06:26:00 pm  

सृजन और विसर्जन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं यही तो कह रही है यह सुंदर क्षणिका ।

Bharat Bhushan Fri Dec 09, 05:16:00 am  

जीवन रेत सरीखा ही है. भीगता है तो कुछ बन जाता है. सूखता है तो झुर जाता है.

Dr.Bhawna Kunwar Fri Dec 09, 07:35:00 am  

Gahan prastuti...khubsurat eahsaas..

#vpsinghrajput Fri Dec 09, 02:31:00 pm  

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।
मेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
आज रिश्ता सब का पैसे से

Minakshi Pant Sun Dec 11, 08:50:00 am  

बनाती हूँ घरोंदा बहुत मैं बहुत जतन से ...पर न जाने आँधियों को खबर कैसे है हो जाती |
बहुत सुन्दर भाव |

Kailash Sharma Mon Dec 12, 02:50:00 pm  

बहुत गहन और सुंदर अभिव्यक्ति...आभार

sangita Mon Dec 12, 05:11:00 pm  

bhut pyari kavita hae .
nirman or srajan ki aadat hae tumhe
aansuon ko sahejna khushkiyo men bikhar jana,
yahi vo andaj hae jisse tera kayal
rkha hae mujhe.......

Kunwar Kusumesh Mon Dec 12, 06:57:00 pm  

बहुत खूब कहा है.

सदा Tue Dec 13, 03:13:00 pm  

कल 14/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, मसीहा बनने का संस्‍कार लिए ....

***Punam*** Wed Dec 14, 11:08:00 am  

छोटी किन्तु अर्थपूर्ण....

मेरे भाव Wed Dec 14, 07:14:00 pm  

नये भावो का एहसास करा देती हैं आप... बहुत सुन्दर...

amrendra "amar" Fri Dec 16, 01:24:00 pm  

सुंदर रचना।
बेहतरीन प्रस्तुति!

mehek Sat Dec 17, 09:46:00 am  

kuch sulah sa gaya dil mein,sunder.

निवेदिता श्रीवास्तव Sat Dec 17, 11:53:00 am  

कम शब्दों में बड़ी सोच ......

Kewal Joshi Sat Dec 17, 07:37:00 pm  

आपकी इस माला का हर मोती 'एक से बढ़ के एक' है.
हर बार कुछ अलग सी फितरत .... वाह..

Akshitaa (Pakhi) Wed Dec 21, 05:26:00 pm  

छोटा सा प्यारा सा गीत..बहुत अच्छा लगा..बधाई.

Ruchi Jain Wed Dec 21, 08:34:00 pm  

कविता मे सार है |

Rajeev Upadhyay Thu Dec 22, 01:02:00 pm  

bahut khub.
ज़रा सी कोशिश से
बन जाती हूँ
एक घरौंदा
और फिर
न जाने कौन सी
तपिश से
यूँ ही
बिखर जाती हूँ

Santosh Kumar Sat Dec 24, 12:05:00 am  

इतने कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने..

आभार.

Aruna Kapoor Sat Dec 24, 01:30:00 pm  

एक सुन्दर परिकल्पना!...बधाई!

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) Sun Dec 25, 03:16:00 pm  

jo baar baar toot kar phir ban jaae, uski khoobsurati aur takat ke kya kehne… vo kuch aap jaisa hi ho sakta hai… bahut hi sunder panktiyan :-)

M VERMA Fri Dec 30, 08:25:00 pm  

घरौंदे बिखर गए ... उफ़! फिर बनेंगे

Unknown Sat Dec 31, 11:31:00 pm  

▬● अच्छा लगा आपकी पोस्ट को देखकर...
यह पेज देखकर और भी अच्छा लगा... काफी मेहनत की गयी है इसमें...
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आपके लिए सपरिवार शुभकामनायें...

मेरे ब्लॉग्स की तरफ भी आयें तो मुझे बेहद खुशी होगी...
[1] Gaane Anjaane | A Music Library (Bhoole Din, Bisri Yaaden..)
[2] Meri Lekhani, Mere Vichar..
.

Shaifali Thu Mar 01, 11:53:00 am  

Sangeeta ji....bahut hi gehri najm hai. Aisa laga jo mere jeevan mei chal raha hai vahi aapne likh daala kuch panktiyon mei.

Ishwar se aapki khushiyon ki prarthna ke saath,
Shaifali

http://guptashaifali.blogspot.com

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