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बसंत एक रंग अनेक ( हाईकू )

>> Saturday, 28 January 2012




पीत वसन 
उल्लसित  है मन 
बसंत आया 

*************************





श्रीहीन मुख 
गरीब का बसंत 
रोटी की चाह .

*******************



फूली सरसों 
खेतों में हरियाली 
खिला  बसंत 

**********************


भूखे किसान 
करते आत्महत्या 
बसंत कहाँ ? 

**********************



आम आदमी 
रोज़ी-रोटी की फ़िक्र 
भूला  बसंत .

****************

66 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Sat Jan 28, 01:42:00 pm  

संगीता दी,
वसंत का यह रूप आपने ही दिखाया
हमने तो इस रूप से सदा जी चुराया!
आपकी इन हाइकू में अद्भुत कंट्रास्ट है
कहीं वसंत की खुनक है
कहीं आम आदमी का त्रास है!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Sat Jan 28, 01:57:00 pm  

सुन्दर, आपको वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !

भेद है इसमें गहरा अनंत,

बलशाली,निर्बल का बसंत !

Rajesh Kumari Sat Jan 28, 02:07:00 pm  

bahut sundar sashakt haiku.

ऋता शेखर 'मधु' Sat Jan 28, 02:21:00 pm  

अमीरों का कैसा हो बसंत
गरीबों का कैसा है बसंत

हाइकु में इसपर सार्थक प्रकाश डाला है|
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

सदा Sat Jan 28, 02:47:00 pm  

वाह ..बहुत बढिय़ा

दर्शन कौर धनोय Sat Jan 28, 02:49:00 pm  

बसंत की खट्टी -मिट्ठी बाते ,आपके ही बस की बात हैं दी.ऐसा सामंज्यस आपकी लेखनी ही दिखा सकती हैं ..बसंत-उत्सव की हार्दिक शुभकामनाए....

रश्मि प्रभा... Sat Jan 28, 02:52:00 pm  

बसंत के कई रूप ...
श्रीहीन मुख
गरीब का बसंत
रोटी की चाह .

sangita Sat Jan 28, 02:53:00 pm  

बसंती पर्व की शुभकामनायें| सारगर्भित पोस्ट है इस पर क्या कहूँ , इतनी विभिन्नता और हमारी सोच ये हम कहाँ जा रहे हैं|मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है |

प्रवीण पाण्डेय Sat Jan 28, 03:04:00 pm  

सुन्दर हाइकू, बसन्त की ताजगी वाले..

Yashwant R. B. Mathur Sat Jan 28, 03:11:00 pm  

सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे आंटी।


बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

सादर

सूत्रधार Sat Jan 28, 04:07:00 pm  

बंसतोत्‍सव की अनंत शुभकामनाऍं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Sat Jan 28, 04:36:00 pm  

बहुत सुन्दर।
आज सरस्वती पूजा निराला जयन्ती
और नज़ीर अकबारबादी का भी जन्मदिवस है।
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Amrita Tanmay Sat Jan 28, 04:58:00 pm  

सुन्दर सच कहूँ या आज का विद्रूप सच...?

Maheshwari kaneri Sat Jan 28, 05:58:00 pm  

कही बसंत कही दर्द.. सच दर्शाती रचना...

डॉ टी एस दराल Sat Jan 28, 06:23:00 pm  

कहीं बसंत बहार , कहीं रोटी की गुहार ।
बहुत सुन्दर हाइकु पेश किये हैं ।

संजय भास्‍कर Sat Jan 28, 06:57:00 pm  

बेहतरीन हाइकु... बसंत का स्वागत!

प्रतिभा सक्सेना Sat Jan 28, 07:05:00 pm  

कुछ भी पूर्ण नहीं है यहाँ -वसंत भी !

vidya Sat Jan 28, 07:22:00 pm  

बहुत बहुत बढ़िया संगीता जी..
सच है कहीं वसंत है तो कही पतझड़ ही है..
आप पर और आपकी लेखनी पर सदा माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे.
सादर.

ब्लॉ.ललित शर्मा Sat Jan 28, 07:33:00 pm  

अट्टालिकाओं से लेकर झोपड़ी तक व्याप्त है वसंत।
बस चाह अलग है दोनों की।

सुंदर भाव

vandana gupta Sat Jan 28, 09:54:00 pm  

क्या कहूँ ………गज़ब के हाइकू हैं निशब्द करते और मन को आन्दोलित भी करते।बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Sat Jan 28, 09:55:00 pm  

बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत अच्छी रचना,..
वाह!!!!सुंदर कंट्रास्ट ...बसंत का,..बहुत खूब
--26 जनवरी आया है....

मनोज कुमार Sat Jan 28, 10:21:00 pm  

आग्रहों से दूर वास्तविक जमीन और अंतर्विरोधों के कई नमूने प्रस्तुत करता है।

Sadhana Vaid Sat Jan 28, 10:23:00 pm  

समाज की विसंगतियों पर बिलकुल सही एंगिल से प्रकाश डाला है संगीता जी ! बहुत ही प्रभावशाली हाइकू हैं ! वसन्त पंचमी की शुभकामनायें स्वीकार करें !

अनुपमा पाठक Sat Jan 28, 10:34:00 pm  

बसंत कहाँ ?
सच! ये वेदना कौन समझे!

Nidhi Sat Jan 28, 10:34:00 pm  

सुन्दर.....!!बहुत खूब!!

Nirantar Sat Jan 28, 10:42:00 pm  

basant par haiku achhe lage

Mamta Bajpai Sat Jan 28, 10:48:00 pm  

बहुत मार्मिक ...आम आदमी
रोज़ी-रोटी की फ़िक्र
भूला बसंत .

shikha varshney Sat Jan 28, 10:58:00 pm  

आजकल हाइकू पर मेहरबान हैं दी !..जाहिर है लाजबाब होंगे.

राजेश उत्‍साही Sat Jan 28, 11:31:00 pm  

वंसत है
या कोई संत
रहेगा यह अनंत

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) Sun Jan 29, 12:24:00 am  

मुबारक हो
बसंत पंचमी का
शुभ दिवस.

हर हाइकू
पूनम सा सुंदर
मावस भी है.

वाणी गीत Sun Jan 29, 07:22:00 am  

श्रीहीन मुख
रोटी की चाह
गरीब का कैसा वसंत !
सबकी अपनी अपनी पीडाएं ...

बेहतरीन अभिव्यक्ति !

Kunwar Kusumesh Sun Jan 29, 09:27:00 am  

प्यारे हाइकु
बधाई वसंत की
खूब लिखा है

रविकर Sun Jan 29, 09:32:00 am  

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
आज चर्चा मंच पर देखी |
बहुत बहुत बधाई ||

डॉ. मोनिका शर्मा Sun Jan 29, 10:10:00 am  

भूखे किसान
करते आत्महत्या
बसंत कहाँ ?

हृदयस्पर्शी हाइकु.....सच उनके लिए कैसा बसंत ..?

मेरे भाव Sun Jan 29, 10:54:00 am  

वसंत के के दोरंग.... कहीं खिला तो कहीं मुरझाया...

मेरा मन पंछी सा Sun Jan 29, 11:23:00 am  

सत्य वचन |
गरीबो के लिए कैसा वसंत ?
दो रूप स्पस्ट कर दिए है आपने
वसंत के..
बेहतरीन

अजित गुप्ता का कोना Sun Jan 29, 12:50:00 pm  

अच्‍छे हाइकू। बधाई।

दिगम्बर नासवा Sun Jan 29, 01:17:00 pm  

खूबसूरत बसंती हाइकू ... आम आदमी के लिए क्या बसंत क्या सूखा ...

महेन्द्र श्रीवास्तव Sun Jan 29, 01:57:00 pm  

मन को छू जाने वाली रचना।
बहुत सुंदर

Vaanbhatt Sun Jan 29, 07:32:00 pm  

हर तरफ
हर व्यक्ति उमगे
ऐसा हो अब की बसंत...

mridula pradhan Sun Jan 29, 08:51:00 pm  

alag-alag roop men vasant......bahot khoobsurat.

Anonymous Sun Jan 29, 09:02:00 pm  

बहोत अच्छे ।

नया ब्लॉग

http://hindidunia.wordpress.com/

स्वाति Mon Jan 30, 10:18:00 am  

vasant ke kitne rang....sab kisi na kisi rang me range hai...sochniy prastuti....

कुमार राधारमण Mon Jan 30, 12:19:00 pm  

अब इसके बाद कुछ रहा नहीं बसंत के बारे में कहने को।

Suman Mon Jan 30, 03:10:00 pm  

श्रीहीन मुख
गरीब का बसंत
रोटी की चाह .
bahut khub ....

Kailash Sharma Mon Jan 30, 07:31:00 pm  

गहन अर्थ संजोये बहुत सुन्दर हाइकु...

Apanatva Tue Jan 31, 08:01:00 am  

basant aapke jeevan me barah mahine chaya rahe aisee hee mangal kamna hai .

shama Tue Jan 31, 08:45:00 am  

Kya baat hai Sangeetaji!

avanti singh Tue Jan 31, 05:36:00 pm  

zindgi ke kaee rup ek sath dikhaye aap ne, aabhaar....

avanti singh Tue Jan 31, 05:37:00 pm  

naye blog par aap saadar aamntrit hai,aaiyega....

गौ वंश रक्षा मंच
gauvanshrakshamanch.blogspot.com

Pallavi saxena Wed Feb 01, 03:59:00 pm  

हर मोसुम सबके लिए एक सा नहीं होता ... इस बात को बहुत ही खूबसूरती से सजाया है आपने

S.N SHUKLA Wed Feb 01, 04:35:00 pm  

इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.

Urmi Thu Feb 02, 10:22:00 am  

बहुत सुन्दर हाइकु लिखा है आपने ! चित्र भी बढ़िया लगा ! आज के हालत पर सटीक चित्रण !

Dr (Miss) Sharad Singh Thu Feb 02, 05:16:00 pm  

बहुत सुन्दर हाईकू....

देर से ही सही...
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये !

हरकीरत ' हीर' Fri Feb 03, 04:42:00 pm  

फूली सरसों
खेतों में हरियाली
खिला बसंत

बहुत खूब ...संगीता जी ....

Dr.NISHA MAHARANA Fri Feb 03, 10:13:00 pm  

आम आदमी
रोज़ी-रोटी की फ़िक्र
भूला बसंत .shi bat.

Aruna Kapoor Sat Feb 18, 11:59:00 am  

बहुत ही सुन्दर विचारों की..सुन्दर प्रस्तुति!....

मेरा एक मनोरंजक पोस्ट देखिए....
http://arunakapoor.blogspot.in/

Asha Joglekar Thu Mar 01, 05:31:00 pm  

वसंत का यह विरोधी स्वर आह !

विभा रानी श्रीवास्तव Fri Feb 04, 06:48:00 am  

सन् 2012 हाइकु से मेरी भेंट हुई थी..


सुन्दर काव्य

जिज्ञासा सिंह Fri Feb 04, 08:57:00 am  

१० साल पहले लिखे हाइकु आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, दिखने वाला और महसूस करने वाला । सच दो बसंत तो होता ही है । बहुत सुंदर हाइकु यथार्थ का दृश्य दिखा गए ।

Manisha Goswami Fri Feb 04, 04:17:00 pm  

वास्तविकता को दर्शाती बहुत ही बेहतरीन रचना

Harash Mahajan Fri Feb 04, 10:58:00 pm  

बेहतरीन हायकू !!
वाह !!अंदाज ए बयाँ बेहद खूबसूरत । मेरी जानिब से बेशुमार दाद आओके लिए आदरणीय👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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