मौन का ताला
>> Tuesday, 8 June 2010
जब भी
चाहा तुमने
दस्तक देना ,
मेरे ख्यालों का
दरवाज़ा हमेशा तुमको
खुला मिला था
आज मैंने चाहा कि
ज़रा खटखटा दूँ
पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था ....
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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65 comments:
bahut badhiy anazm mumma...maun ka tala achha hai ... :) master key rakhni chahiye..ab to ... maun ho khamoshi ho ..sannata ho ..brand koiu bhi ho ye tala khul jana chahiye
बहुत ही बढ़िया
आईये जानें ....मानव धर्म क्या है।
आचार्य जी
ये मौन भी अज़ब चीज है.. पता ही नहीं चलता कि नाराजगी बयान करती है या राज़मंदगी.. :)
behad sundar bhaavavyakti........kuch aisa hi aaj maine likha tha orkut par.
जब धडकनें गुनगुना रही हों,लब खामोश हों और अँखियाँ बतिया रही हों,उस पल तेरा खामोश रहना बहुत चुभता है
nazm chhoti per asar badaa
अरे दी खुलता है हर ताला खोलने वाला चाहिए ...
पर क्या बात लिखी है समर्पण के साथ उम्मीदों पर वज्रपात.बहुत सुन्दर.
chhoti rachna hai par umda rachna hai...
http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_08.html
वाह क्या बात है...शब्दों और भावों का घातक मिश्रण
वैसे कहा जाता है कि जो बोलते हैं वे ज्यादा अच्छे होते हैं लेकिन जो नहीं बोलते वे बुरे तो नहीं होते। चुप्पी की भी अपनी भाषा होती है.... और इस भाषा का मतलब कुछ समझदार लोग ही समझते हैं।
आपके कविता कुछ सोचने को मजबूर करती है इसलिए अच्छी है। आपको बधाई एक बेहतर रचना के लिए।
sundar aur satya...rishte aise bhee rang dikhaate hain
बहुत खूबसूरत भाव... वैसे आपके पास उस मौन के ताले को खोलने की एक चाबी है... 'प्रेम'
अनकही भाषा की बात दूर तक जाती है.
बड़ी प्रभावपूर्ण रचना है यह तो...मौन के ताले की चाबी की ही सबसे ज्यादा जरूरत है,दुनिया में..
wah kya baat hai........
कहीं पढा था
मौन स्वीकार का लक्षण है।
कम शब्दों में अद्भुत अभिव्यक्ति।
sundar rachna...
मौन का ताला ...बहुत सुन्दर ! आपकी बात सीधे दिल तक पहुँचती है.
ओह एकतरफा संचार
मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है
न दस्तक ज़रूरी न आवाज़ देना
मेरे घर का दरवाज़ा कोई नहीं है.
शायद यही कारण होगा, मौन के ताले का... ख़लील जिब्रान भी यही फ़रमाते हैं...
बढ़िया है जी ।
अब मैं क्या कहूँ, दिल को बहुत करीब से टटोलती हुई आपकी ये बातें कुछ भी न कहने को मजबूर कर रही हैं
घुस आते तुम भीतर..
मौन तो तुम ही को
ढूंढ रहा था..
संगीता जी...मौन तो मौन स्वीक्रति ही मानी जाती है ना...
हा.हा.हा....सुंदर रचना.
पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था ....
बहुत सुंदर.... यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं....
bahut khoob
ashok jamnani
Ham apnon ke liye haazir hon,aur jab hame wo pyar na mile to yahi kasak hoti hai..
बढिया है संगीता जी।
Ji bahut khoob...
क्या बात है.......... जितनी तारीफ़ की जाये कम है
chhoti, lekin behadd satik or umda rachna...
amit~~
kiska????????..........:P
kuchh chand shabdo ko jor kar kaise apne bhawon ko bataya jaye, koi aapse seekhe.........:)
ek umda rachna!
बहुत ही सुन्दर और उम्दा रचना है! बधाई!
बढ़िया भाव...
बहुत सुन्दर लिखा है ,
'सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर ,देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर'
बिल्कुल सटीक उक्ति है और यहाँ पर यही प्रासंगिक भी है.
पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था ....
प्रभावपूर्ण रचना ..
मौन की भाषा सबसे ज़बरदस्त होती है...
जय हिंद...
behad sundar kavita...sundar bhaw ke karan aapki kavita
"moun ka tala" man ko bha gaya.
बहुत अच्छे भाव ,बहुत अच्छी कविता ..
बेहतरीन भाव/उम्दा रचना!
मौन का ताला केसे टूटेगा?
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इस उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई!
kamaal ki kashish
shabdon ka samoocha arth nichod lene ka fun sab ke pas nahin hota sangeeta ji !
maa shaarde ne aapko baksha hai ye kripa hai maa ki
aapki jai ho......
pasand************
बहुत सुंदर भाव लिए कविता |बधाई ,
आशा
सच है प्रेम की भाषा से ये मौन खुल सकता है ... अच्छा लिखा है ....
sangeeta ji,
aapki rachna padhi, aur anyaas sochne lagi ki ye maun ka taala aksar hamare hin hisse kyun aata? kyun hamare khyaal kisi keliye khule rahte jabki hamein koi khayalon mein bhi na sochta?
bas aise hin aapki kavita padhi aur jo mann mein aaya likh gai. bahut gahri kavita hai, mann mein ek tees see de gai. bahut bahut badhai sweekaren.
गज़ब!! क्या बात है!! क्या अंदाज़ है.बहुब खूब!
न जाने कितने महाकाव्यों का प्रेरणास्रोत है यह ताला...
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ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
waah..masi jaan..
bahut khoobsurat rachna.
Waaaaaaaaaaah ! Mumma..shandaar tala maara hai...bahut achhi lagi yeh nazm...:):)
like always ..small and effective!!
बहुत सुंदर
kya kahun.......der se aaya iske liye maafee?
ghar par hun to jara kam aata hun.....
aur main to jad hun.tale ki maanind :)
dil main gehre utarte shabd.
गहरे भाव लिये हुये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
bahoot khoob. kya kahne, sundar kavita.
Bahut sundar aur bhavpoorna---.
बहुत सुंदर और प्रभावशाली
सुंदर रचना के लिए बधाई
Badha khatanaak tala lagaya aapne ....ab bole to bole kaise? Ligiye..tod diya hamne :-)
दिल की कशमकश को बहुत सलीके से प्रस्तुत किया है। शुभकामनायें
प्रभावशाली....
पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था ..
बढ़िया भाव..
बहुत ही बढ़िया
कविता नही आप्त है ।
...बहुत सुन्दर ... अदभुत भाव,बधाई!!!
पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था
ati uttam ,sundar
मौन का ताला। का कोई जवाब नहीं है।
संगीता जी
आज आपकी कवितायेँ पढ़ी बहुत अच्छा लगा
मैं पता नहीं कहाँ गुम था अब आप लोग मिले हैं
तो बहुत दूर जाने की सोचता हूँ
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