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मौन का ताला

>> Tuesday, 8 June 2010


जब  भी  

चाहा तुमने 

दस्तक देना ,

मेरे  ख्यालों  का 

दरवाज़ा  हमेशा तुमको 

खुला  मिला  था 

आज  मैंने चाहा कि 

ज़रा  खटखटा  दूँ 

पर वहाँ एक 

मौन का 

ताला  जड़ा  था ....   


65 comments:

स्वप्निल तिवारी Tue Jun 08, 06:18:00 pm  

bahut badhiy anazm mumma...maun ka tala achha hai ... :) master key rakhni chahiye..ab to ... maun ho khamoshi ho ..sannata ho ..brand koiu bhi ho ye tala khul jana chahiye

माधव( Madhav) Tue Jun 08, 06:21:00 pm  

बहुत ही बढ़िया

आचार्य उदय Tue Jun 08, 06:22:00 pm  

आईये जानें ....मानव धर्म क्या है।

आचार्य जी

दीपक 'मशाल' Tue Jun 08, 06:34:00 pm  

ये मौन भी अज़ब चीज है.. पता ही नहीं चलता कि नाराजगी बयान करती है या राज़मंदगी.. :)

vandana gupta Tue Jun 08, 06:35:00 pm  

behad sundar bhaavavyakti........kuch aisa hi aaj maine likha tha orkut par.
जब धडकनें गुनगुना रही हों,लब खामोश हों और अँखियाँ बतिया रही हों,उस पल तेरा खामोश रहना बहुत चुभता है

shikha varshney Tue Jun 08, 06:51:00 pm  

अरे दी खुलता है हर ताला खोलने वाला चाहिए ...
पर क्या बात लिखी है समर्पण के साथ उम्मीदों पर वज्रपात.बहुत सुन्दर.

sanu shukla Tue Jun 08, 07:06:00 pm  

chhoti rachna hai par umda rachna hai...

http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_08.html

विजयप्रकाश Tue Jun 08, 07:09:00 pm  

वाह क्या बात है...शब्दों और भावों का घातक मिश्रण

राजकुमार सोनी Tue Jun 08, 07:23:00 pm  

वैसे कहा जाता है कि जो बोलते हैं वे ज्यादा अच्छे होते हैं लेकिन जो नहीं बोलते वे बुरे तो नहीं होते। चुप्पी की भी अपनी भाषा होती है.... और इस भाषा का मतलब कुछ समझदार लोग ही समझते हैं।
आपके कविता कुछ सोचने को मजबूर करती है इसलिए अच्छी है। आपको बधाई एक बेहतर रचना के लिए।

Yogesh Sharma Tue Jun 08, 07:32:00 pm  

sundar aur satya...rishte aise bhee rang dikhaate hain

मीनाक्षी Tue Jun 08, 07:36:00 pm  

बहुत खूबसूरत भाव... वैसे आपके पास उस मौन के ताले को खोलने की एक चाबी है... 'प्रेम'

M VERMA Tue Jun 08, 07:36:00 pm  

अनकही भाषा की बात दूर तक जाती है.

rashmi ravija Tue Jun 08, 07:38:00 pm  

बड़ी प्रभावपूर्ण रचना है यह तो...मौन के ताले की चाबी की ही सबसे ज्यादा जरूरत है,दुनिया में..

Apanatva Tue Jun 08, 07:53:00 pm  

wah kya baat hai........

मनोज कुमार Tue Jun 08, 08:09:00 pm  

कहीं पढा था
मौन स्वीकार का लक्षण है।
कम शब्दों में अद्भुत अभिव्यक्ति।

mukti Tue Jun 08, 08:35:00 pm  

मौन का ताला ...बहुत सुन्दर ! आपकी बात सीधे दिल तक पहुँचती है.

Arvind Mishra Tue Jun 08, 09:17:00 pm  

ओह एकतरफा संचार

सम्वेदना के स्वर Tue Jun 08, 09:27:00 pm  

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है
न दस्तक ज़रूरी न आवाज़ देना
मेरे घर का दरवाज़ा कोई नहीं है.
शायद यही कारण होगा, मौन के ताले का... ख़लील जिब्रान भी यही फ़रमाते हैं...

रचना दीक्षित Tue Jun 08, 10:17:00 pm  

अब मैं क्या कहूँ, दिल को बहुत करीब से टटोलती हुई आपकी ये बातें कुछ भी न कहने को मजबूर कर रही हैं

अनामिका की सदायें ...... Tue Jun 08, 10:26:00 pm  

घुस आते तुम भीतर..
मौन तो तुम ही को
ढूंढ रहा था..

संगीता जी...मौन तो मौन स्वीक्रति ही मानी जाती है ना...

हा.हा.हा....सुंदर रचना.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Tue Jun 08, 11:19:00 pm  

पर वहाँ एक

मौन का

ताला जड़ा था ....

बहुत सुंदर.... यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं....

kshama Wed Jun 09, 12:10:00 am  

Ham apnon ke liye haazir hon,aur jab hame wo pyar na mile to yahi kasak hoti hai..

एक बेहद साधारण पाठक Wed Jun 09, 05:59:00 am  

क्या बात है.......... जितनी तारीफ़ की जाये कम है

adhuri baaten¤¤~~ Wed Jun 09, 07:54:00 am  

chhoti, lekin behadd satik or umda rachna...





amit~~

मुकेश कुमार सिन्हा Wed Jun 09, 09:45:00 am  

kiska????????..........:P

kuchh chand shabdo ko jor kar kaise apne bhawon ko bataya jaye, koi aapse seekhe.........:)

ek umda rachna!

Urmi Wed Jun 09, 09:54:00 am  

बहुत ही सुन्दर और उम्दा रचना है! बधाई!

अंजना Wed Jun 09, 10:29:00 am  

बढ़िया भाव...

रेखा श्रीवास्तव Wed Jun 09, 10:41:00 am  

बहुत सुन्दर लिखा है ,
'सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर ,देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर'
बिल्कुल सटीक उक्ति है और यहाँ पर यही प्रासंगिक भी है.

स्वाति Wed Jun 09, 11:23:00 am  

पर वहाँ एक

मौन का

ताला जड़ा था ....
प्रभावपूर्ण रचना ..

Khushdeep Sehgal Wed Jun 09, 11:50:00 am  

मौन की भाषा सबसे ज़बरदस्त होती है...

जय हिंद...

Arshad Ali Wed Jun 09, 01:43:00 pm  

behad sundar kavita...sundar bhaw ke karan aapki kavita
"moun ka tala" man ko bha gaya.

आभा Wed Jun 09, 02:38:00 pm  

बहुत अच्छे भाव ,बहुत अच्छी कविता ..

Udan Tashtari Wed Jun 09, 05:01:00 pm  

बेहतरीन भाव/उम्दा रचना!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Wed Jun 09, 08:57:00 pm  

मौन का ताला केसे टूटेगा?
--
इस उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई!

Unknown Wed Jun 09, 10:05:00 pm  

kamaal ki kashish

shabdon ka samoocha arth nichod lene ka fun sab ke pas nahin hota sangeeta ji !

maa shaarde ne aapko baksha hai ye kripa hai maa ki

aapki jai ho......

pasand************

Asha Lata Saxena Thu Jun 10, 11:09:00 am  

बहुत सुंदर भाव लिए कविता |बधाई ,
आशा

दिगम्बर नासवा Thu Jun 10, 01:24:00 pm  

सच है प्रेम की भाषा से ये मौन खुल सकता है ... अच्छा लिखा है ....

डॉ. जेन्नी शबनम Thu Jun 10, 01:28:00 pm  

sangeeta ji,
aapki rachna padhi, aur anyaas sochne lagi ki ye maun ka taala aksar hamare hin hisse kyun aata? kyun hamare khyaal kisi keliye khule rahte jabki hamein koi khayalon mein bhi na sochta?
bas aise hin aapki kavita padhi aur jo mann mein aaya likh gai. bahut gahri kavita hai, mann mein ek tees see de gai. bahut bahut badhai sweekaren.

شہروز Thu Jun 10, 04:03:00 pm  

गज़ब!! क्या बात है!! क्या अंदाज़ है.बहुब खूब!

Dr. Zakir Ali Rajnish Thu Jun 10, 05:06:00 pm  

न जाने कितने महाकाव्यों का प्रेरणास्रोत है यह ताला...
--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?

दिपाली "आब" Thu Jun 10, 06:34:00 pm  

waah..masi jaan..
bahut khoobsurat rachna.

Taru Thu Jun 10, 08:50:00 pm  

Waaaaaaaaaaah ! Mumma..shandaar tala maara hai...bahut achhi lagi yeh nazm...:):)

Unknown Thu Jun 10, 09:54:00 pm  

like always ..small and effective!!

Avinash Chandra Fri Jun 11, 09:18:00 am  

kya kahun.......der se aaya iske liye maafee?

ghar par hun to jara kam aata hun.....

aur main to jad hun.tale ki maanind :)

sheetal Fri Jun 11, 02:17:00 pm  

dil main gehre utarte shabd.

सदा Fri Jun 11, 03:02:00 pm  

गहरे भाव लिये हुये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

पंकज मिश्रा Fri Jun 11, 05:19:00 pm  

bahoot khoob. kya kahne, sundar kavita.

आदेश कुमार पंकज Sat Jun 12, 08:00:00 am  

बहुत सुंदर और प्रभावशाली
सुंदर रचना के लिए बधाई

प्रिया Sat Jun 12, 12:05:00 pm  

Badha khatanaak tala lagaya aapne ....ab bole to bole kaise? Ligiye..tod diya hamne :-)

निर्मला कपिला Sat Jun 12, 12:46:00 pm  

दिल की कशमकश को बहुत सलीके से प्रस्तुत किया है। शुभकामनायें

Shabad shabad Sun Jun 13, 11:09:00 am  

प्रभावशाली....

पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था ..
बढ़िया भाव..

Amit Sharma Mon Jun 14, 02:26:00 pm  

बहुत ही बढ़िया

अरुणेश मिश्र Mon Jun 14, 02:34:00 pm  

कविता नही आप्त है ।

कडुवासच Mon Jun 14, 05:11:00 pm  

...बहुत सुन्दर ... अदभुत भाव,बधाई!!!

ज्योति सिंह Tue Jun 15, 12:42:00 am  

पर वहाँ एक
मौन का
ताला जड़ा था
ati uttam ,sundar

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Thu Jul 15, 05:53:00 pm  

मौन का ताला। का कोई जवाब नहीं है।

Unknown Tue Jul 20, 05:32:00 am  

संगीता जी
आज आपकी कवितायेँ पढ़ी बहुत अच्छा लगा
मैं पता नहीं कहाँ गुम था अब आप लोग मिले हैं
तो बहुत दूर जाने की सोचता हूँ

रफ़्तार

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