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ऐसा तेरा आना .............

>> Wednesday, 2 June 2010



ख़्वाबों में 


तेरा आना 


और 

बिना दस्तक  दिए 

चले जाना 

सालता  है मुझे 

जागी आँखों से

गुमसुम सी  

कदमों के निशाँ 

गिना करती हूँ  



67 comments:

Ra Wed Jun 02, 06:28:00 pm  

कम शब्दों में सुन्दर रचना !

M VERMA Wed Jun 02, 06:29:00 pm  

कदमों के निशाँ से पहचान करनी होगी
बेहतरीन रचना

दिलीप Wed Jun 02, 06:39:00 pm  

waah prem ki peeda badhiya chalki hai...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Wed Jun 02, 06:39:00 pm  

सालता है मुझे

जागी आँखों से

गुमसुम सी

कदमों के निशाँ

गिना करती हूँ

बेहद प्रभावी !

ब्लॉ.ललित शर्मा Wed Jun 02, 06:42:00 pm  

बहुत सुंदर
बेहतरीन बिंब के साथ प्रभावी रचना


आभार संगीता जी

Vinay Wed Jun 02, 06:47:00 pm  

बहुत ख़ूबसूरता नज़्म

संजय भास्‍कर Wed Jun 02, 06:55:00 pm  

कम शब्दों में सुन्दर रचना !

दिगम्बर नासवा Wed Jun 02, 07:00:00 pm  

ख्ववाब में तेरा आना ... बिन दस्तक चला जाना ...
कुछ शब्दों का प्रेम भरा उलाहना ... अच्छा लगा ...

अजय कुमार झा Wed Jun 02, 07:04:00 pm  

बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना , कम शब्दों में बहुत ज्यादा

shikha varshney Wed Jun 02, 07:14:00 pm  

क्या बात है.... वैसे जो बिना दस्तक दिए चला गया उसके निशाँ क्यों ढूँढने? :)
बहुत ही अच्छी रचना है दी !

Amit Sharma Wed Jun 02, 07:17:00 pm  

जागी आँखों से,गुमसुम सी

कदमों के निशाँ,गिना करती हूँ

behtareen!!

kshama Wed Jun 02, 07:21:00 pm  

Ab to qadmon ke nishan tak nahi milte...

मनोज कुमार Wed Jun 02, 07:22:00 pm  

वाह! क्या भावपूर्ण अभिव्यक्ति है!

Unknown Wed Jun 02, 07:34:00 pm  

रचना उत्तम
रचना के साथ सटीक चित्र .............आहा ...........अभिनव !

Amitraghat Wed Jun 02, 07:35:00 pm  

सुन्दर रचना.."

अरुणेश मिश्र Wed Jun 02, 07:47:00 pm  

चित्र एवं नज्म बहुत कुछ कह गये ।
प्रशंसनीय ।

सम्वेदना के स्वर Wed Jun 02, 07:50:00 pm  

दस्तक दें भी तो कैसे...
जागी आँखों के ख्वाब..
पलकों के दर बंद न हों तो दस्तक कैसे दे कोई
तभी तो दस्तक सुनाई नहीं देती,
पर क़दमों के निशाँ दिखते हैं...

बहुत सुंदर!!

अंजना Wed Jun 02, 08:00:00 pm  

सुन्दर रचना...

रश्मि प्रभा... Wed Jun 02, 08:43:00 pm  

ये निशाँ मुझे जीवन देते हैं, और एक सोच...

एक बेहद साधारण पाठक Wed Jun 02, 08:47:00 pm  

बहुद कम शब्द और बेहद प्रभावी रचना
बेहद सुन्दर ....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Wed Jun 02, 09:05:00 pm  

वाह..!
आपने तो लोटे में समन्दर भर दिया!

Shekhar Kumawat Wed Jun 02, 09:14:00 pm  

बेहद सुन्दर ....

राजकुमार सोनी Wed Jun 02, 10:29:00 pm  

संगीता जी
आपकी रचना बहुत ही शानदार है।
चित्र भी आपने जबरदस्त लगाया है। कविता के साथ मैच करता हुआ।
आपको बधाई।

rashmi ravija Wed Jun 02, 10:31:00 pm  

सुन्दर अभिव्यक्ति...कम शब्दों में गहरी बात...हमेशा की तरह...

nilesh mathur Wed Jun 02, 11:43:00 pm  

बहुत ही कम शब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति!

Urmi Thu Jun 03, 01:34:00 am  

अद्भुत सुन्दर और शानदार रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है! कम शब्दों में उम्दा रचना!

मीनाक्षी Thu Jun 03, 03:12:00 am  

गागर में सागर...सरल और सहज भाव मन को मोह लेते हैं.

Shri"helping nature" Thu Jun 03, 05:25:00 am  

waaah kya baat hai badhaiyan aapko bahut bahut

रावेंद्रकुमार रवि Thu Jun 03, 07:16:00 am  

कम शब्दों में अधिक कहा गया है!

अनामिका की सदायें ...... Thu Jun 03, 08:46:00 am  

बहुत सुंदर रचना.
लो जी आपने तो कदमो की पद-छाप ही ले ली है तो बस उन्ही को देखा कीजिये ना (हा.हा.हा.)
और जब आये ही वो बिना दस्तक दिए थे तो आपको पता कैसे चल गया? और पता चल गया तो काहे नहीं रोका भई.
आह दिल को छू गयी आपकी ये छोटी सी नज़्म और हाँ यद् दिला गयी ये पिक्स ३ idiots की पिक्चर की भी.
बधाई.

मुकेश कुमार सिन्हा Thu Jun 03, 09:22:00 am  

jagi aankho se kadmo ke nisha gina karti hoon.........:)

Di !! aap log kaise itne sadhe hue sabdo me aapni baato ko pathak tak pahucha paati hain........:)

ek saar-garbhit rachna...!!

girish pankaj Thu Jun 03, 10:29:00 am  

chitra achchhe khoj nikale hain aapne. kavitaa bhi theek hai. gagar mey sagar...

रेखा श्रीवास्तव Thu Jun 03, 10:44:00 am  

संतुलित शब्दों में भावों का अथाह सागर समाये नज़्म बहुत मोहक है, और साथ में लगे हुए कदमों के निशान तो खुद ही कुछ बोल रहे हैं. अद्भुत संयोजन.

स्वाति Thu Jun 03, 12:23:00 pm  

कम शब्दों में बहुत कुछ कह देने का हुनर है आप के पास . साथ ही चित्र भी इतने उपयुक्त होते है कि क्या कहे .. बहुत खूब ..

vandana gupta Thu Jun 03, 12:52:00 pm  

kin lafzon mein prashansa karoon..........seedhe dil mein utarte chale gaye.........bahut hi prabhavshali rachna.

अरुण चन्द्र रॉय Thu Jun 03, 03:29:00 pm  

bahut sunder kavita... kam shabdon me behad bhavpurn rachna

Unknown Thu Jun 03, 04:24:00 pm  

सुन्दर सारगर्भित रचना

Shabad shabad Thu Jun 03, 04:53:00 pm  

संगीता जी

बहुत सुंदर रचना...गागर में सागर....
सुंदर चित्र.....

नीरज गोस्वामी Thu Jun 03, 06:55:00 pm  

चंद शब्दों में गहरी बात कहना कोई आपसे सीखे...बहुत अच्छी रचना...
नीरज

pawan kumar singh Thu Jun 03, 08:39:00 pm  

aapka jabab nahi! bahut sundar

Renu goel Fri Jun 04, 07:20:00 am  

आहटों को रात भर गिना है मैंने
सुबह देखा तो कोई निशान वहां न था ...

Unknown Fri Jun 04, 10:17:00 am  

कदमों के निशाँ


गिना करती हूँ
very effective...

वर्षा Fri Jun 04, 04:12:00 pm  

सुंदर अच्छी कविता

अमिताभ श्रीवास्तव Fri Jun 04, 05:35:00 pm  

bahut sundar rachna./ kam shbdo me shbdo ka soundarya barkaraar rakhna bhi visheshta hoti he jo aapme jhalakati he.

Asha Lata Saxena Fri Jun 04, 06:04:00 pm  

सुंदर भाव लिए रचना |बहुत अच्छी लगी |बधाई
आशा

alka mishra Sat Jun 05, 07:20:00 pm  

क़दमों के निशाँ कितने गिने अभी तक ...........
''सालता' शब्द का प्रयोग अच्छा लगा

mukti Sat Jun 05, 11:45:00 pm  

कितना अच्छा लिखती हैं आप और चित्र भी कितने सुन्दर .

Sadhana Vaid Sun Jun 06, 07:23:00 am  

आपकी रचनाएँ गागर में सागर के सामान होती हैं ! कम शब्दों में कितनी गहरी और गंभीर संवेदना से रू ब रू करा देती हैं आप ! बहुत खूब !

दिनेश शर्मा Sun Jun 06, 01:44:00 pm  

प्रशंसनीय रचना।

Akshitaa (Pakhi) Sun Jun 06, 03:41:00 pm  

बहुत अच्छी कविता .. मुझे तो बहुत पसंद आई.


________________________
कल 7 जून को 'पाखी कि दुनिया' में समीर अंकल जी की प्यारी सी कविता पढना ना भूलियेगा.

पंकज Mon Jun 07, 12:01:00 am  

सुंदर भाव पूर्ण रचना. साधुवाद.

अर्चना तिवारी Mon Jun 07, 04:41:00 pm  

कम शब्दों में सुन्दर रचना ....

Avinash Chandra Fri Jun 11, 09:20:00 am  

ye nishan....mahsoos hue, kya kahun

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Thu Jul 15, 05:56:00 pm  

कदमों के निशां ,माशा अल्ला कितनी बड़ी बात कही गई है।

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