जिद्दी ख्वाब
>> Tuesday, 22 June 2010
ख्वाब हैं कि
जिद्दी बच्चे ,
जितना मना करो
उतने ही आ जाते हैं
इन्हें नींद की भी
दरकार नहीं
खुली आँखों में ही
समा जाते हैं.
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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49 comments:
और फिर
जागते मे
देखा स्वप्न
ज़िद्दी बच्चे सा
कभी रूठता है
कभी हँसाता है
कभी रुलाता है
और फिर
प्यार की बयार से
मान भी जाता है
बहुत ही प्यारा जिद्दी बच्चा है इसलिये ये पंक्तियाँ खुद -ब-खुद बन गयीं।बहुत पसन्द आयी आपकी रचना बिल्कुल जिद्दी बच्चे सी।
बहुत बहुत बढ़िया ..ख्वाब सच में जिद्दी बच्चे ही होते हैं ...:)
बच्चे मन के सच्चे!
सारे जग की आँख के तारे!
--
यही तो वो मुस्कराते सुमन है
जो सबकी आँखों में बस जाते हैं!
उफ़..ये जिद्दी बच्चे ....इनके साथ भी कहीं नहीं ..इनके बिना भी चैन नहीं :)
जी बहुत ही बढ़िया रही ये आपकी और वंदना जी कि जुगलबंदी....
कुंवर जी,
sachmuch .....lakh koshishein bhi in jidendi bachon se sapno se door nahin le jane pateen
Bahut hee sundar comment hai Vandna ji kaa! Uske saamne mai kya kahun?
बहुत बढ़िया ..
aapka jiddi bachchha...:P
khushiyan banta hua, dikh raha hai, padhte hi hontho pe halki see muskaan aa gayee........:)
aapka jiddi bachchha...:P
khushiyan banta hua, dikh raha hai, padhte hi hontho pe halki see muskaan aa gayee........:)
मुझे तो नहीं लगता कि
इतने प्यारे-प्यारे बच्चे जिद्दी भी हो सकते हैं!
--
कविता अच्छी है!
चलो किसी की तो जिद्द चलती हे आपके सामने. हा.हा.हा.
ओह ! बहुत प्यारी कविता है... मुझे जिद्दी बच्चे अच्छे लगते हैं और ख़्वाब भी. अब दोनों और ज्यादा अच्छे लगेंगे.
ek dam sahi kaha aapne.
lagta hai saare khwab aapke hisse aagaye...........hum q me peeche hee rah gaye....:)
jokes apart.acchee abhivykti.
ek pyari si kavita...
Bachchon aur khwabon ki tarah hi pyari rachna.
प्यारी सी रचना पढ़कर मन प्रसन्न हुआ!
तभी तो.... इन ख़्वाबों से हम कहते हैं -'तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती , नज़ारे हम क्या देखें '
पंजाबी के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह पाश ने कहा है कि सचमुच सबसे खतरनाक होता है हमारे ख्वाबों का मर जाना। जो आदमी ख्वाब नहीं देखता है वह कुछ भी नहीं देखता।
ख्वाब ही दुनिया को बेहतर बनाते हैं... इसलिए यदि ख्वाब जिद्दी है तो ज्यादा अच्छे है और जिद्दी बच्चे के समान है और भी बेहतर... यानी निश्चल ख्वाब..
मैं तो जिद्दी ख्वाबों को बेहद पसन्द करता हूं।
इतने सुंदर भावों से सजी रचना के लिए आपको बधाई।
आपको पढ़कर अच्छा लगता है क्योंकि आपकी हर रचना में एक नया नजरिया तो होता ही है।
और खुली आँखों से देखे ख्वाब ... बहुत लाजवाब होते हैं ... अच्छा लिखा बहुत ही ...
सच कितना सच्चा और कितना प्यरा है ये बच्चा !!!!!!
bahut sundar abhivyakti.
pyara sa :)
bas shararat se in khwabon ke kaan umeth deejiye.....sundar prastuti
शानदार और मनमोहक।
वाह ! ख्वाब जिद्दी बच्चे की तरह होते हैं....सही लिखा आपने.चिंता के बारे में भी चिंतन कीजिए.
कित्ती प्यारी कविता ..और क्यूट सा बेबी भी..मजेदार.
____________________________
'पाखी की दुनिया' में 'पाखी का लैपटॉप' !
आज आप की कई कविताएँ पढ़ने के बाद यही कहना है - आप की शैली और कथ्य भीड़ में अलग चमकते नज़र आते हैं।
@ ख्वाब हैं कि
एक जिद्दी बच्चा ,
जितना मना करो
उतने ही आ जाते हैं
को
ख्वाब हैं कि
जिद्दी बच्चे ,
जितना मना करो
उतने ही आ जाते हैं
:)...ek dum badmash hote hain khaab ...hehe...
बेहद ख़ूबसूरत और शानदार रचना! उम्दा प्रस्तुती!
बहुत सुंदर, सचमुच मन के तार झंकृत हो गये।
---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
WAAAAAHHHH.........
इनकी जिद्द भी कभी कभी बहुत अच्छी लगती है। सुब्दर रचना बधाई
हमारे मुल्क में दो तरह के लोग पाए जाते हैं... एक वो जिनको भूख लगने पर रोटी मिलती है और दूसरे वो जिनको रोटी मिलने पर भूख लगती है.. जब आंखों का दरवाज़ा ही खुला छोड़ रखा हो तो बेचारे ख्वाब को क्यूँ कोसना और मना करना... कितने लोग आँखें बंद सपने के उम्मीद में सोते हैं... ढीठ सपने उनके दर पर जाते ही नहीं...
आपकी कविता मासूमियत से सराबोर है...
बिलकुल ठीक कहा जी... जिद्दी बच्चे जैसे ही होते है ख्वाब.... कभी-कभी तो रेलगाड़ी की तरह लगातार आते ही रहते है.... एक ख़त्म दूसरा शुरू......
आनंद आ गया
बहुत अच्छी रचना है
बहुत सुन्दर कविता !
खुली आँखों में
जो ख्वाब रहते हैं
वो जिद्द बनकर
जीवन के राह में
साथ देते हैं !
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद !
khwab to sachmuch jiddi hote hai ,sundar rachna
असल में तो जिद ही कुछ कर गुजरने पर मजबूर करती है। इसलिए जिद्दी सपने ही सच होते हैं।
असल में तो जिद ही कुछ कर गुजरने पर मजबूर करती है। इसलिए जिद्दी सपने ही सच होते हैं।
आपकी खासियत है, चंद शदों में दुनिया को समेट लेना. हतप्रभ रह जाती हूं मैं तो.
वाकई मे एक बच्चे की मासूमियत लिये हुए एक सुन्दर कविता । खूबसूरत रचना ।
बहुत सुन्दर ख्वाब सही में ज़िद्धि बच्चे से होते हैं ..बढ़िया रचना शुक्रिया
bauhat sundar panktiyan
बिल्कुल सही कहा आपने, आपने चन्द शब्दों में, बेहतरीन ।
रचना पढ़कर मन खुश हुआ ।
सुन्दर ख्वाब....सुन्दर बच्चों की तरह....
ख़्वाब जिद्दी बच्चे। बेहतरीन।
बहुत खूब लिखा है |बधाई
आशा
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