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दीपक तले अँधेरा ..

>> Monday, 13 September 2010




ज़िंदगी के चाक पर 

भावनाओं की मिट्टी गूँथ 

छोटी छोटी ख्वाहिशों के 

दिए बना 

चढा दिया था 

यथार्थ के ताप पर 

जिम्मेदारियों के 

तेल में भिगो

अरमानो की बाती  

जला दी थी  

आज उजाला है चारों ओर 

बस है तो 

दीपक तले अँधेरा ....



92 comments:

Khare A Mon Sept 13, 06:15:00 pm  

behtreen, kavita di,

jo dusron ki jindgi me ujala late hain
wo khud andheron me rehte hain

shaadnar vyang kavitake madhyam se

shikha varshney Mon Sept 13, 06:18:00 pm  

ओह हो हो दी!...कतल है बस...एक एक पंक्ति जैसे दिल के तले तक जाती है और उजाला सा कर जाती है...कहाँ से आते हैं आपको इसे ख़याल "लेडी बिहारी"?

अजित गुप्ता का कोना Mon Sept 13, 06:20:00 pm  

है तो बस दीया तले अंधेरा, बहुत अच्‍छा लिखा है संगीता जी। मन में सीधे ही उतर जाती हैं ये पंक्तियां। बधाई।

Manish aka Manu Majaal Mon Sept 13, 06:29:00 pm  

वो निदा साहब का शेर है न :
कभी कभी इस तरह वक़्त बिताया है हमने,
जो खुद न समझे, औरों को समझाया है हमने ...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Mon Sept 13, 06:32:00 pm  

जीवन का यथार्थ , बहुत खूब !

ashish Mon Sept 13, 06:33:00 pm  

खूबसूरत नज़्म, दिल बाग़ बाग़ हो गया (चाक-चाक नहीं ). वैसे ये lady बिहारी क्या मामला है?? ये दीये ऐसे ही जलते रहे, लेकिन.
"जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना , अँधेरा धरा पर कही रह ना जाये."

Aruna Kapoor Mon Sept 13, 06:40:00 pm  

Deepak tale andhera!...yeh sachchaai hai!....lekin chaaro or ujaala hai, yeh kyaa kam hai!...sundar rachanaa!

shikha varshney Mon Sept 13, 06:41:00 pm  

@ आशीष जी ! किसी ने दी को ये नाम दिया है ..जैसे कवि बिहारी गागर में सागर भर दिया करते थे .वैसे ही दी कि रचनाएँ होती हैं ....तो वो गईं "लेडी बिहारी "
वैसे
खुद ही नाम देकर लोग भूल जाते हैं :(
हाय कितने सितम ढाते हैं .....

ब्लॉ.ललित शर्मा Mon Sept 13, 06:48:00 pm  

दीये का गुण तेल है राक्खे मोटी बात।
दीया करता चांदणा, दीया चालै साथ।।

बहुत सुंदर नज्म है।
आभार

rashmi ravija Mon Sept 13, 06:55:00 pm  

जिम्मेदारियों के

तेल में भिगो

अरमानो की बाती

जला दी थी

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....

बेहद गहरे भाव लिए हैं पंक्तियाँ....

Sadhana Vaid Mon Sept 13, 07:03:00 pm  

आपकी हर रचना कमाल की होती है और सीधे मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती है ! आपकी रचना पढ़ कर अंग्रेज़ी की चंद पंक्तियाँ याद आ गयीं ! आपकी नज़र हैं !
My candle burns at both the ends
It will not last the night,
But Ah my friends and Oh my foes
It gives a lovely light.
जो अपने जीवन को उत्सर्जित कर औरों के जीवन को आलोकित करते हैं उनका जीवन सबसे सफलतम होता है !

राजकुमार सोनी Mon Sept 13, 07:26:00 pm  

आपकी यह रचना भी कमाल की है
ख्वाहिशों पर तो आपने बेहद उम्दा काम कर रखा है
बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Mon Sept 13, 07:43:00 pm  

तर्क की कसौटी पर कसकर आपने रचना में
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है!

डॉ टी एस दराल Mon Sept 13, 08:21:00 pm  

बेहतरीन ।
बहुत सुन्दर भाव ।

वीरेंद्र सिंह Mon Sept 13, 08:29:00 pm  

क्या बात है. बड़ी सुंदर रचना लिखी है आपने .
पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.

इस नारे के साथ कि...... चलो हिन्दी अपनाएँ
आप सभी को हिन्दी दिवस पर शुभकामनाएँ
आपको बधाई और आभार

अनामिका की सदायें ...... Mon Sept 13, 08:48:00 pm  

सुंदर प्रस्तुति जो दिल को भी रौशन कर गयी.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Mon Sept 13, 08:58:00 pm  

संगीता दी,
यही तो वविडम्बना है कि मकान बनाने वाले फुटपाथ पर सोते हैं, किताब बेचने वाले अनपढ होते हैं और दिए तले अंधेरा होता है… आपकी कविता हर बार की तरह शब्दों में उलझाती नहीं, भावों की गहराई में जाकर सोचने पर विवश करती है...

Parul kanani Mon Sept 13, 09:08:00 pm  

aap jo bhi likhen..asar karta hai :)

अरुण चन्द्र रॉय Mon Sept 13, 09:18:00 pm  

संगीता जी कम शब्दों में जीवन की हकीकत विम्बों में कह जाना आपकी पहचान बन गई है.. बहुत सुंदर कविता !

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Mon Sept 13, 09:19:00 pm  

जिम्मेदारियों के तेल में भिगो
अरमानो की बाती जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो दीपक तले अँधेरा...
यही होता है संगीता जी,
लेकिन दीपक को अपना प्रकाश फैलाना ही होता है.
बहुत अच्छी और शिक्षाप्रद रचना.

रेखा श्रीवास्तव Mon Sept 13, 09:36:00 pm  

क्या बयान किया है जिन्दगी का फलसफा इसी को तो कहते हैं सीधे दिल से को छू गया . वाकई ये जीवन वही दिया तो है जो खुद जल कर रोशन करता है औरो का जीवन और अपने लिए ???????????????/

रेखा श्रीवास्तव Mon Sept 13, 09:36:00 pm  

क्या बयान किया है जिन्दगी का फलसफा इसी को तो कहते हैं सीधे दिल से को छू गया . वाकई ये जीवन वही दिया तो है जो खुद जल कर रोशन करता है औरो का जीवन और अपने लिए ???????????????/

दीपक 'मशाल' Mon Sept 13, 09:53:00 pm  

मुहावरे को बहुत खूबसूरती से आपने कविता की शक्ल दी है मैम..

मनोज कुमार Mon Sept 13, 10:06:00 pm  

मैं तो बिहारी लेडी समझ गया था।
आखिर बिहारी ही हूं ना!

DR.ASHOK KUMAR Mon Sept 13, 10:15:00 pm  

संगीता दी नमस्कार! खुद जलके दूसरोँ को उजाले से राह दिखाना ही तो दीपक का नसीब हैँ। वाह! क्या शब्दोँ से जादू किया हैँ आपने। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जिसको तुम अपना कहते हो............ कविता को पढ़कर तथा Mind and body researches.....ब्लोग को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ।

मनोज कुमार Mon Sept 13, 10:17:00 pm  

अच्‍छे लोग इसलिए अच्‍छे होते हैं, क्‍योंकि उन्‍होंने अपनी रोशनी से काफी प्रकाश फैलाया है।
इतनी अच्छी रचना के लिए ....
आपको धन्‍यवाद कहने के लिए शब्‍द नहीं है, लेकिन भावनाएं आपके आभार से सरोबार है ।

वीना श्रीवास्तव Mon Sept 13, 10:36:00 pm  

बहुत सुंदर लिखा है...कम शब्दों में क्या बात कही है....बहुत खूब

हरकीरत ' हीर' Mon Sept 13, 11:14:00 pm  

जिम्मेदारियों के तले अरमानों की बलि चढ़ा .....अगर इस आहुति के बाद भी उजाला मिल जाये तो खुशनसीब हैं .......!!

देवेन्द्र पाण्डेय Mon Sept 13, 11:17:00 pm  

आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ...
..कुल दीपक के लिए कितना कुछ करते हैं माता-पिता जब उजाला फैलता है तो दीपक तले अंधेरा!
..मार्मिक अभिव्यक्ति।

रचना दीक्षित Mon Sept 13, 11:35:00 pm  

बहुत खूब बहुत गहरी और बड़ी बात और उतने ही कम शब्द

ज्योति सिंह Tue Sept 14, 12:10:00 am  

जिम्मेदारियों के

तेल में भिगो

अरमानो की बाती

जला दी थी

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....
jeevan ki paribhasha dono pahluo ko milakar hi sampoorn hoti hai ,isliye diya jalkar bhi andhre ke ghere me hai .parhit saris dharm nahi bhai .....bahut gahre bhav hai .

Khushdeep Sehgal Tue Sept 14, 01:44:00 am  

लाखों यत्न किए पर फिर भी राम नहीं बन पाए,
लाखों तीर्थ नहाए पर फिर भी पावन नहीं हो पाए,
लाखों दान दिए पर फिर भी कर्ण बन नहीं पाए,
लाखों दीपक देखे, उनके ऊपर का उजियारा देखा,
लाखों दीपक देखे, उनके नीचे बस अंधियारा देखा..
- अशोक कुमार वशिष्ठ

जय हिंद...

वाणी गीत Tue Sept 14, 07:54:00 am  

आज उजाला है चारों ओर ...बस दीपक तले अँधेरा है ...
विरोधाभास को कितने खूबी से व्यक्त किया है ...
गज़ब !

Udan Tashtari Tue Sept 14, 08:20:00 am  

क्या बात है, बेहतरीन!



हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!

RADHIKA Tue Sept 14, 09:39:00 am  

बहुत ही सुंदर रचना ,वाकई कई बार जीवन में यह महसूस होता हैं दीपक तले अँधेरा .
वीणा साधिका

Yashwant R. B. Mathur Tue Sept 14, 10:10:00 am  

हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं

Bhavesh (भावेश ) Tue Sept 14, 10:50:00 am  

वाह क्या लिखा है. आपने तो गागर में सागर भर दिया. एक बेहतरीन और बेहद ही उम्दा रचना.

vandana gupta Tue Sept 14, 11:24:00 am  

बेहद खूबसूरत बिम्ब प्रयोग्………………शानदार अभिव्यक्ति…………ज़िन्दगी बयाँ कर दी।

मुकेश कुमार सिन्हा Tue Sept 14, 12:25:00 pm  

aapki chhoti chhoti baato ka marm bahut gahra hota hai Di......dhanyawad!!

मुकेश कुमार सिन्हा Tue Sept 14, 12:25:00 pm  

aapki chhoti chhoti baato ka marm bahut gahra hota hai Di......dhanyawad!!

Unknown Tue Sept 14, 12:52:00 pm  

दी
बहुत ही सुन्दर रचना दी है आपने
दिल की गहराई से लिखती है न तो हर एक शब्द में मासूमियत झलकती है ...
एक दम सार्थक और सच्चाई लिए रचना ...बधाई

रानीविशाल Tue Sept 14, 12:59:00 pm  

ज़िंदगी के चाक पर

भावनाओं की मिट्टी गूँथ

छोटी छोटी ख्वाहिशों के

दिए बना

चढा दिया था

यथार्थ के ताप पर
Waah di bahut gahan bhav liye hai aapki yah rachana bhi...aabhar

KK Yadav Tue Sept 14, 01:05:00 pm  

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....बड़ी सटीक बात लिख दी आपने...साधुवाद.

प्रवीण पाण्डेय Tue Sept 14, 02:00:00 pm  

अन्तरमन की सुन्दर अभिव्यक्ति

36solutions Tue Sept 14, 02:15:00 pm  

जीवन से परिपूर्ण शव्‍दों के लिए धन्‍यवाद.

उपेन्द्र नाथ Tue Sept 14, 03:02:00 pm  

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....

बहुत सुन्दर अभिव्यकित....

Arvind Mishra Tue Sept 14, 05:12:00 pm  

चिराग तले अन्धेरा हो भी तो क्या ,जग रोशन तो हुआ !

हास्यफुहार Tue Sept 14, 06:12:00 pm  

बहुत अच्छी कविता।

शोभना चौरे Tue Sept 14, 07:11:00 pm  

एक नन्हा सा दीपक अपने आप को जलाकर सबको उजाला देता है |
बहुत सुन्दर कविता |

swaran lata Tue Sept 14, 07:59:00 pm  
This comment has been removed by the author.
swaran lata Tue Sept 14, 08:02:00 pm  

दीपक तले अँधेरा

सुंदर प्रस्तुति जो दिल को भी रौशन कर गयी कम शब्दो मे बहुत बडी बात आभार

सूबेदार Wed Sept 15, 12:36:00 am  

बहुत सुन्दर यथार्थ पर आधारित
धन्यवाद

HBMedia Wed Sept 15, 09:33:00 am  

बहुत सुंदर नज्म है।
आभार..

Urmi Wed Sept 15, 09:45:00 am  

आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! लाजवाब रचना!

अनुपमा पाठक Wed Sept 15, 03:02:00 pm  

अपने लिए कुछ नहीं सहेजता
तभी तो प्रकाश पूँज है .....!
दीपक तले सदा अँधेरा ही होता है
सच्ची यह अनुगूँज है .....!!

Asha Joglekar Wed Sept 15, 06:19:00 pm  

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....

Wah, aur aah bhee .

Satish Saxena Wed Sept 15, 07:15:00 pm  

हम सब दिखावा में जीते हैं एक दुसरे से दिखावा करते हुए ही चले जाना है ! खूब अच्छी अच्छी पुस्तकों में पढ़ी साड़ी सूक्तियां बखान करते हुए अपने अन्दर झांकने का प्रयत्न ही नहीं करते ...शायद डर लगता है की कहीं अपना चेहरा न दिख जाये ! शुभकामनायें आपको ...बहुत बढ़िया लगी यह रचना !

Coral Wed Sept 15, 08:39:00 pm  

दीप तले अंधेरा

बहुत सुन्दर रचना है ...

Anonymous Wed Sept 15, 09:42:00 pm  
This comment has been removed by the author.
Shaivalika Joshi Wed Sept 15, 10:08:00 pm  

तेल में भिगो

अरमानो की बाती

जला दी थी

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....

Sachme bahut sunder rachna

नीरज गोस्वामी Thu Sept 16, 11:26:00 am  

अप्रतिम रचना...

नीरज

स्वप्निल तिवारी Thu Sept 16, 07:42:00 pm  

mumma ....sach much andhere se jyada chatur chalak nahi dekha ... kitne bhi jatan kar lo ...har jagah se bhaga lo ...diye ko chhodkar nahi jata ... ya shayd do sachhe dushmanon ki yahi sachhai hai ...kitna bhi chahen wo ek doosre se door nahi ho sakte ... :) ek dum dhansu kavita ,,,,

प्रतिभा सक्सेना Fri Sept 17, 10:19:00 am  

बस यही कह सकती हूँ -
देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर!

Shabad shabad Fri Sept 17, 04:26:00 pm  

बहुत ही गहरे भाव........
डूबती चली गई !!!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) Sat Sept 18, 08:01:00 am  

संगीता दीदी आपकी हर रचनाओं में वो भाव होता है जो हर मर्म तक जाती है और अपना घर बना लेती है .......... सही लिखा आपने सबको रोशन करते करते दीपक ये भी भूल जाता है की उसके तले अँधेरा है .........

Anonymous Sat Sept 18, 08:49:00 am  

76 comments..........!!!!!!!

baap re dadi !! pata nahin aap mujhe notice bhi karoge ya nahin. i luvvv u dadi, kab se miss kar rahi hoon aapko. aap bhool to nahin gayi na.....!
bohot sweet hai ye wali kavita...aur kuch kuch pyaasi hai...great expression

Urmi Sat Sept 18, 07:57:00 pm  

टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

nilesh mathur Sat Sept 18, 10:19:00 pm  

वाह! क्या बात है!

Kailash Sharma Sun Sept 19, 03:27:00 pm  

आज उजाला है चारों ओर


बस है तो


दीपक तले अँधेरा ....

बहुत मार्मिक चित्रण......बहुत सुन्दर.....
http://sharmakailashc.blogspot.com/

खबरों की दुनियाँ Mon Sept 20, 07:31:00 am  

आपकी तारीफ़ करना भी तो सूरज को दिया दिखाने जैसा ही है न । बधाई एक ओर अच्छी प्रस्तुति के लिए ।

monali Mon Sept 20, 03:55:00 pm  

Very true n practical lines... thnx for commenting over ma blog...

विनोद कुमार पांडेय Mon Sept 20, 09:03:00 pm  

दीपक तले अंधेरा की सटीक व्याख्या कर दी आपने...बढ़िया रचना..धन्यवाद

manoj trivedi Tue Sept 21, 12:05:00 am  

समझ नहीं आ रहा, आपकी प्रेरक रचना के लिए अभिनन्दन प्रेषित करूँ, या आपकी प्रेरक टिप्पणी के लिए आभार व्यक्त करूँ.
हार्दिक धन्यवाद !

Neelam Tue Sept 21, 10:29:00 am  

जिम्मेदारियों के

तेल में भिगो

अरमानो की बाती

जला दी थी

आज उजाला है चारों ओर

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....

बेहद गहरे भाव लिए हैं पंक्तियाँ..

kumar zahid Tue Sept 21, 03:59:00 pm  

आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....


इसीलिए मन बार बार कहता है चराग़ेतूर जलाओ बड़ा अंधेरा है..

रंजना Tue Sept 21, 06:06:00 pm  

ओह......क्या बात कह दी !!!

बहुत बहुत सुन्दर....मन को छू गयी...

अप्रतिम रचना...

निर्झर'नीर Mon Sept 27, 09:54:00 am  

बस है तो

दीपक तले अँधेरा ....

sangeeta ji

in shabdo ki tariif mumkin nahi

bas yun hi likhti rahen aap ..ye hi duaa hai.

Nishant Sun Oct 24, 09:51:00 pm  

सुन्दर रचना , सार्थक भाव ....

Unknown Sun Oct 31, 09:49:00 am  

मन को छू लेने वाली भावुक अभिव्यक्ति...शुभ कामनाएं !!!

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Mon Nov 15, 10:38:00 pm  

एक समर्पित मन ( नारी मन की ) संवेदना कुछ सोचने पर मजबूर करती है।

रफ़्तार

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