दीपक तले अँधेरा ..
>> Monday, 13 September 2010
ज़िंदगी के चाक पर
भावनाओं की मिट्टी गूँथ
छोटी छोटी ख्वाहिशों के
दिए बना
चढा दिया था
यथार्थ के ताप पर
जिम्मेदारियों के
तेल में भिगो
अरमानो की बाती
जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
92 comments:
behtreen, kavita di,
jo dusron ki jindgi me ujala late hain
wo khud andheron me rehte hain
shaadnar vyang kavitake madhyam se
ओह हो हो दी!...कतल है बस...एक एक पंक्ति जैसे दिल के तले तक जाती है और उजाला सा कर जाती है...कहाँ से आते हैं आपको इसे ख़याल "लेडी बिहारी"?
है तो बस दीया तले अंधेरा, बहुत अच्छा लिखा है संगीता जी। मन में सीधे ही उतर जाती हैं ये पंक्तियां। बधाई।
वो निदा साहब का शेर है न :
कभी कभी इस तरह वक़्त बिताया है हमने,
जो खुद न समझे, औरों को समझाया है हमने ...
जीवन का यथार्थ , बहुत खूब !
खूबसूरत नज़्म, दिल बाग़ बाग़ हो गया (चाक-चाक नहीं ). वैसे ये lady बिहारी क्या मामला है?? ये दीये ऐसे ही जलते रहे, लेकिन.
"जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना , अँधेरा धरा पर कही रह ना जाये."
Deepak tale andhera!...yeh sachchaai hai!....lekin chaaro or ujaala hai, yeh kyaa kam hai!...sundar rachanaa!
@ आशीष जी ! किसी ने दी को ये नाम दिया है ..जैसे कवि बिहारी गागर में सागर भर दिया करते थे .वैसे ही दी कि रचनाएँ होती हैं ....तो वो गईं "लेडी बिहारी "
वैसे
खुद ही नाम देकर लोग भूल जाते हैं :(
हाय कितने सितम ढाते हैं .....
दीये का गुण तेल है राक्खे मोटी बात।
दीया करता चांदणा, दीया चालै साथ।।
बहुत सुंदर नज्म है।
आभार
जिम्मेदारियों के
तेल में भिगो
अरमानो की बाती
जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
बेहद गहरे भाव लिए हैं पंक्तियाँ....
आपकी हर रचना कमाल की होती है और सीधे मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती है ! आपकी रचना पढ़ कर अंग्रेज़ी की चंद पंक्तियाँ याद आ गयीं ! आपकी नज़र हैं !
My candle burns at both the ends
It will not last the night,
But Ah my friends and Oh my foes
It gives a lovely light.
जो अपने जीवन को उत्सर्जित कर औरों के जीवन को आलोकित करते हैं उनका जीवन सबसे सफलतम होता है !
आपकी यह रचना भी कमाल की है
ख्वाहिशों पर तो आपने बेहद उम्दा काम कर रखा है
बधाई
यथार्थ।
तर्क की कसौटी पर कसकर आपने रचना में
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है!
बेहतरीन ।
बहुत सुन्दर भाव ।
क्या बात है. बड़ी सुंदर रचना लिखी है आपने .
पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.
इस नारे के साथ कि...... चलो हिन्दी अपनाएँ
आप सभी को हिन्दी दिवस पर शुभकामनाएँ
आपको बधाई और आभार
सुंदर प्रस्तुति जो दिल को भी रौशन कर गयी.
संगीता दी,
यही तो वविडम्बना है कि मकान बनाने वाले फुटपाथ पर सोते हैं, किताब बेचने वाले अनपढ होते हैं और दिए तले अंधेरा होता है… आपकी कविता हर बार की तरह शब्दों में उलझाती नहीं, भावों की गहराई में जाकर सोचने पर विवश करती है...
aap jo bhi likhen..asar karta hai :)
संगीता जी कम शब्दों में जीवन की हकीकत विम्बों में कह जाना आपकी पहचान बन गई है.. बहुत सुंदर कविता !
जिम्मेदारियों के तेल में भिगो
अरमानो की बाती जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो दीपक तले अँधेरा...
यही होता है संगीता जी,
लेकिन दीपक को अपना प्रकाश फैलाना ही होता है.
बहुत अच्छी और शिक्षाप्रद रचना.
क्या बयान किया है जिन्दगी का फलसफा इसी को तो कहते हैं सीधे दिल से को छू गया . वाकई ये जीवन वही दिया तो है जो खुद जल कर रोशन करता है औरो का जीवन और अपने लिए ???????????????/
क्या बयान किया है जिन्दगी का फलसफा इसी को तो कहते हैं सीधे दिल से को छू गया . वाकई ये जीवन वही दिया तो है जो खुद जल कर रोशन करता है औरो का जीवन और अपने लिए ???????????????/
मुहावरे को बहुत खूबसूरती से आपने कविता की शक्ल दी है मैम..
... bahut sundar !!!
gr8
मैं तो बिहारी लेडी समझ गया था।
आखिर बिहारी ही हूं ना!
संगीता दी नमस्कार! खुद जलके दूसरोँ को उजाले से राह दिखाना ही तो दीपक का नसीब हैँ। वाह! क्या शब्दोँ से जादू किया हैँ आपने। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जिसको तुम अपना कहते हो............ कविता को पढ़कर तथा Mind and body researches.....ब्लोग को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ।
अच्छे लोग इसलिए अच्छे होते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी रोशनी से काफी प्रकाश फैलाया है।
इतनी अच्छी रचना के लिए ....
आपको धन्यवाद कहने के लिए शब्द नहीं है, लेकिन भावनाएं आपके आभार से सरोबार है ।
बहुत सुंदर लिखा है...कम शब्दों में क्या बात कही है....बहुत खूब
जिम्मेदारियों के तले अरमानों की बलि चढ़ा .....अगर इस आहुति के बाद भी उजाला मिल जाये तो खुशनसीब हैं .......!!
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ...
..कुल दीपक के लिए कितना कुछ करते हैं माता-पिता जब उजाला फैलता है तो दीपक तले अंधेरा!
..मार्मिक अभिव्यक्ति।
बहुत खूब बहुत गहरी और बड़ी बात और उतने ही कम शब्द
जिम्मेदारियों के
तेल में भिगो
अरमानो की बाती
जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
jeevan ki paribhasha dono pahluo ko milakar hi sampoorn hoti hai ,isliye diya jalkar bhi andhre ke ghere me hai .parhit saris dharm nahi bhai .....bahut gahre bhav hai .
लाखों यत्न किए पर फिर भी राम नहीं बन पाए,
लाखों तीर्थ नहाए पर फिर भी पावन नहीं हो पाए,
लाखों दान दिए पर फिर भी कर्ण बन नहीं पाए,
लाखों दीपक देखे, उनके ऊपर का उजियारा देखा,
लाखों दीपक देखे, उनके नीचे बस अंधियारा देखा..
- अशोक कुमार वशिष्ठ
जय हिंद...
आज उजाला है चारों ओर ...बस दीपक तले अँधेरा है ...
विरोधाभास को कितने खूबी से व्यक्त किया है ...
गज़ब !
क्या बात है, बेहतरीन!
हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज़्ज़त करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिन्दी की इज़्ज़त न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिन्दी की जड़ें पताल तक पहुँचा दी हैं। उन्हें उखाड़ने का दुस्साहस निश्चय ही भूकंप समान होगा। - शिवपूजन सहाय
हिंदी और अर्थव्यवस्था-2, राजभाषा हिन्दी पर अरुण राय की प्रस्तुति, पधारें
बहुत ही सुंदर रचना ,वाकई कई बार जीवन में यह महसूस होता हैं दीपक तले अँधेरा .
वीणा साधिका
हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं
वाह क्या लिखा है. आपने तो गागर में सागर भर दिया. एक बेहतरीन और बेहद ही उम्दा रचना.
बेहद खूबसूरत बिम्ब प्रयोग्………………शानदार अभिव्यक्ति…………ज़िन्दगी बयाँ कर दी।
aapki chhoti chhoti baato ka marm bahut gahra hota hai Di......dhanyawad!!
aapki chhoti chhoti baato ka marm bahut gahra hota hai Di......dhanyawad!!
दी
बहुत ही सुन्दर रचना दी है आपने
दिल की गहराई से लिखती है न तो हर एक शब्द में मासूमियत झलकती है ...
एक दम सार्थक और सच्चाई लिए रचना ...बधाई
ज़िंदगी के चाक पर
भावनाओं की मिट्टी गूँथ
छोटी छोटी ख्वाहिशों के
दिए बना
चढा दिया था
यथार्थ के ताप पर
Waah di bahut gahan bhav liye hai aapki yah rachana bhi...aabhar
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....बड़ी सटीक बात लिख दी आपने...साधुवाद.
अन्तरमन की सुन्दर अभिव्यक्ति
जीवन से परिपूर्ण शव्दों के लिए धन्यवाद.
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
बहुत सुन्दर अभिव्यकित....
चिराग तले अन्धेरा हो भी तो क्या ,जग रोशन तो हुआ !
बहुत अच्छी कविता।
एक नन्हा सा दीपक अपने आप को जलाकर सबको उजाला देता है |
बहुत सुन्दर कविता |
दीपक तले अँधेरा
सुंदर प्रस्तुति जो दिल को भी रौशन कर गयी कम शब्दो मे बहुत बडी बात आभार
बहुत सुन्दर यथार्थ पर आधारित
धन्यवाद
बहुत सुंदर नज्म है।
आभार..
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! लाजवाब रचना!
बहुत अच्छी कविता।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
काव्य प्रयोजन (भाग-८) कला जीवन के लिए, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अपने लिए कुछ नहीं सहेजता
तभी तो प्रकाश पूँज है .....!
दीपक तले सदा अँधेरा ही होता है
सच्ची यह अनुगूँज है .....!!
bahut sundar
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
Wah, aur aah bhee .
हम सब दिखावा में जीते हैं एक दुसरे से दिखावा करते हुए ही चले जाना है ! खूब अच्छी अच्छी पुस्तकों में पढ़ी साड़ी सूक्तियां बखान करते हुए अपने अन्दर झांकने का प्रयत्न ही नहीं करते ...शायद डर लगता है की कहीं अपना चेहरा न दिख जाये ! शुभकामनायें आपको ...बहुत बढ़िया लगी यह रचना !
दीप तले अंधेरा
बहुत सुन्दर रचना है ...
तेल में भिगो
अरमानो की बाती
जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
Sachme bahut sunder rachna
अप्रतिम रचना...
नीरज
mumma ....sach much andhere se jyada chatur chalak nahi dekha ... kitne bhi jatan kar lo ...har jagah se bhaga lo ...diye ko chhodkar nahi jata ... ya shayd do sachhe dushmanon ki yahi sachhai hai ...kitna bhi chahen wo ek doosre se door nahi ho sakte ... :) ek dum dhansu kavita ,,,,
बस यही कह सकती हूँ -
देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर!
bahut khub...
prabhaavshali rachnaa.....umdaa..
prabhaavshali rachnaa.....umdaa..
prabhaavshali rachnaa.....umdaa..
बहुत ही गहरे भाव........
डूबती चली गई !!!
संगीता दीदी आपकी हर रचनाओं में वो भाव होता है जो हर मर्म तक जाती है और अपना घर बना लेती है .......... सही लिखा आपने सबको रोशन करते करते दीपक ये भी भूल जाता है की उसके तले अँधेरा है .........
76 comments..........!!!!!!!
baap re dadi !! pata nahin aap mujhe notice bhi karoge ya nahin. i luvvv u dadi, kab se miss kar rahi hoon aapko. aap bhool to nahin gayi na.....!
bohot sweet hai ye wali kavita...aur kuch kuch pyaasi hai...great expression
टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
वाह! क्या बात है!
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
बहुत मार्मिक चित्रण......बहुत सुन्दर.....
http://sharmakailashc.blogspot.com/
अच्छी कविता ........
इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??
आपकी तारीफ़ करना भी तो सूरज को दिया दिखाने जैसा ही है न । बधाई एक ओर अच्छी प्रस्तुति के लिए ।
Very true n practical lines... thnx for commenting over ma blog...
दीपक तले अंधेरा की सटीक व्याख्या कर दी आपने...बढ़िया रचना..धन्यवाद
समझ नहीं आ रहा, आपकी प्रेरक रचना के लिए अभिनन्दन प्रेषित करूँ, या आपकी प्रेरक टिप्पणी के लिए आभार व्यक्त करूँ.
हार्दिक धन्यवाद !
जिम्मेदारियों के
तेल में भिगो
अरमानो की बाती
जला दी थी
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
बेहद गहरे भाव लिए हैं पंक्तियाँ..
आज उजाला है चारों ओर
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
इसीलिए मन बार बार कहता है चराग़ेतूर जलाओ बड़ा अंधेरा है..
ओह......क्या बात कह दी !!!
बहुत बहुत सुन्दर....मन को छू गयी...
अप्रतिम रचना...
बस है तो
दीपक तले अँधेरा ....
sangeeta ji
in shabdo ki tariif mumkin nahi
bas yun hi likhti rahen aap ..ye hi duaa hai.
lovely!
सुन्दर रचना , सार्थक भाव ....
मन को छू लेने वाली भावुक अभिव्यक्ति...शुभ कामनाएं !!!
एक समर्पित मन ( नारी मन की ) संवेदना कुछ सोचने पर मजबूर करती है।
Post a Comment