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खामोशियाँ ..

>> Monday, 6 September 2010





खामोशियाँ 

ठहर गयीं हैं 

आज 

आ कर 

मेरे लबों पर 

खानाबदोशी की 

ज़िंदगी शायद 

उन्हें 

रास नहीं आई 



83 comments:

मनोज कुमार Mon Sept 06, 06:04:00 pm  

तरल संवेदनाओं से रची कविता हमारे मन को छू गई और आपकी सामर्थ्‍य और कलात्‍मक शक्ति से परिचय करा गई।

गीली मिट्टी पर पैरों के निशान!!, “मनोज” पर, ... देखिए ...ना!

डॉ टी एस दराल Mon Sept 06, 06:27:00 pm  

खानाबदोश खामोशियाँ --बहुत खूबसूरत उत्पत्ति है शब्दों की ।
अति सुन्दर ।

Sunil Kumar Mon Sept 06, 06:31:00 pm  

कमाल का लेखन है आपका शुभकामनायें

अनामिका की सदायें ...... Mon Sept 06, 06:54:00 pm  

खानाबदोशी की

ज़िंदगी शायद....

वाह क्या शब्द प्रयोग किया है...एक दम नया प्रयोग. बहुत असरदार.

बधाई.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Mon Sept 06, 07:01:00 pm  

अरे वाह..!
संगीता बहिन जी!
आपने तो बहुत ही सुन्दर क्षणिका लगाई है!
--
बहुत-बहुत बधाई!

shikha varshney Mon Sept 06, 07:06:00 pm  

ओह अब ये खामोशियाँ भी खानाबदोश हो गईं मेरी ..
तरह :(
बहुत अच्छा लिखा है दी !(

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Mon Sept 06, 07:06:00 pm  

बहुत सुन्दर , उत्तम रचना, संगीता जी ! चंद शब्द और दिल के भीतर तक कुरेदन !

नीरज गोस्वामी Mon Sept 06, 07:14:00 pm  

वाह...लाजवाब शब्द और कमाल के भाव...
नीरज

Avinash Chandra Mon Sept 06, 07:42:00 pm  

:) :) :) khamosh main bhi hun :)

सम्वेदना के स्वर Mon Sept 06, 07:49:00 pm  

संगीता दी,
मुस्कुरा रहा हूँ आपकी कल्पना पर, स्तब्ध हूँ इस अभिव्यक्ति के कैप्सुल पर और गुनगुना रहा हूँ, मन्ना दा का गीत
बस ये चुप सी लगी है, नहीं उदास नहीं.
ग्रेट!!!
सलिल

ashish Mon Sept 06, 08:10:00 pm  

मै स्तब्ध ना होते हुए और इस नीरवता को चीरते हुए कुछ बोल लू क्या? ऐसा लगता है जैसे क्षणिकाए आपकी गणिकाए है .कम वाणों(शब्दों ) द्वारा अचूक शर संधान.

Taru Mon Sept 06, 08:12:00 pm  

bahut khoobsoorat chhutki nazm mumma..:):)........hehhe ye mujhe likhna chahiye thi..nai??? ;D

दीपक 'मशाल' Mon Sept 06, 08:12:00 pm  

लगता है खामोशियाँ फ़कीर नहीं होतीं, जोगी नहीं होतीं.. :) सुन्दर क्षणिका..

सूबेदार Mon Sept 06, 08:26:00 pm  

संगीता जी --बहुत खूब कितना वर्णन करू अति सुन्दर.

kshama Mon Sept 06, 08:39:00 pm  

Na jane aise kitne nayab moti aap ne ikatthe kar liye hain!

rashmi ravija Mon Sept 06, 09:03:00 pm  

खामोशी से सुन्दर अहसास उकेरे हैं...

सु-मन (Suman Kapoor) Mon Sept 06, 09:17:00 pm  

खामोशी को बहुत सुन्दर लफ्जों मे बयान किया है ...........

ताऊ रामपुरिया Mon Sept 06, 09:30:00 pm  

बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया Mon Sept 06, 09:30:00 pm  

बहुत ही लाजवाब, शुभकामनाएं.

रामराम.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Mon Sept 06, 11:03:00 pm  

आपकी रचनाएँ निःशब्द कर देतीं हैं.....

अरुण चन्द्र रॉय Mon Sept 06, 11:25:00 pm  

kam shabd gehri baat.. aapki rachna hume bhi nishabd kar gayee.. bismit kar deti hai aapki kavitaayen

DR.ASHOK KUMAR Mon Sept 06, 11:40:00 pm  

खामोशी वो भी खानाबदोश , वाह! कमाल कर दिया आपने। बहतरीन एक अर्थपूर्ण रचना। शुभकामनायेँ! -: VISIT MY BLOG :- जब तन्हा हो किसी सफर मेँ, ............. गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) Tue Sept 07, 12:03:00 am  

रेखा श्रीवास्तव जी ने कहा

संगीता,

कमेन्ट बॉक्स नहीं खुल रहा है पता नहीं क्यों? ये गड़बड़ होने लगी है. मेरा कमेन्ट पोस्ट करने का कष्ट मैं दे रही हूँ.

"खामोशियों की भी अपनी एक भाषा होती है, उसके पढ़ लें तो फिर कुछ और पढ़ने में परेशानी नहीं होती.

Udan Tashtari Tue Sept 07, 02:14:00 am  

एक बेहतरीन और लाजबाब अभिव्यक्ति.

Unknown Tue Sept 07, 05:11:00 am  

दी नमस्ते |
आप की रचना के लिए ये सेर .....
उन खामोश लबों की तश्वीर आज भी उभर आती है,
बंद जब मै करता हूँ पलकें उनका नाम ले कर ||

Sadhana Vaid Tue Sept 07, 06:08:00 am  

आपके चंद शब्द औरों को निशब्द कर देने की अद्भुत क्षमता रखते हैं ! क्या कहूँ ! इस खामोशी को तो आपके लबों से हटाना ही होगा ताकि आपका मौन मुखर हो सके ! लाजवाब रचना !

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति Tue Sept 07, 08:46:00 am  

bahut sundar.....sangeeta ji.. jitna khoobsoorat chitr usse kai shaandaar aapki khaamoshi ke sabd... umdaa

राजभाषा हिंदी Tue Sept 07, 08:59:00 am  

मौन को शब्द देती ये रचना बहुत सुंदर है।

हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।

हिंदी और अर्थव्यवस्था, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

mukti Tue Sept 07, 09:07:00 am  

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ...और ऊपर वाला चित्र इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा है.

हास्यफुहार Tue Sept 07, 09:36:00 am  

खामोशियां, अच्छी हैं।

Shah Nawaz Tue Sept 07, 10:13:00 am  

खामोशियाँ

ठहर गयीं हैं
आज
आ कर
मेरे लबों पर
खानाबदोशी की
ज़िंदगी शायद
उन्हें
रास नहीं आई

वाह! बेहतरीन अभिव्यक्ति!

vandana gupta Tue Sept 07, 10:37:00 am  

बेहद खूबसूरत भाव भर दिये हैं चंद लफ़्ज़ों मे ही……………गज़ब्।

विवेक रस्तोगी Tue Sept 07, 10:53:00 am  

खामोशियों ने बहुत कुछ कह दिया...

मुकेश कुमार सिन्हा Tue Sept 07, 11:06:00 am  

Sangeeta di........aapke chhote chhote post lajabab karte hain.....:)

ham jaiso ko naye sabd mil jate hain!!

प्रवीण पाण्डेय Tue Sept 07, 11:16:00 am  

खामोशियों का दर दर भटकना। अद्भुत कल्पना।

सदा Tue Sept 07, 11:19:00 am  

खामोशियाँ

ठहर गयीं हैं
आज
आ कर
मेरे लबों पर
खानाबदोशी की
ज़िंदगी शायद
उन्हें
रास नहीं आई

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

shama Tue Sept 07, 12:25:00 pm  

Kya fan paya hai aapne..kam alfaaz aur bahut badi baat! Kaise seekhen aapse ye hunar?

रचना दीक्षित Tue Sept 07, 01:25:00 pm  

लाजबाब अभिव्यक्ति खामोशियों ने कुछ कुछ कह दिया

ZEAL Tue Sept 07, 03:50:00 pm  

सुन्दर क्षणिका !
बहुत-बहुत बधाई!

Asha Joglekar Tue Sept 07, 08:48:00 pm  

खानाबदोशी की जिंदगी कब रास आती है खामोशियों को वह तो अफवाहों का सफर है ।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Tue Sept 07, 09:01:00 pm  

संगीता जी, वाह वाह वाह
कमाल की नज़्म पेश की है आपने...
बार बार बधाई...शुभकामनाएं.

मोहन वशिष्‍ठ Tue Sept 07, 09:35:00 pm  

sangeeta ji aapki rachna dil chho gayee bahut behatreen shabdon ki mala me piroya hai aapne dhanyawad

चैन सिंह शेखावत Tue Sept 07, 10:55:00 pm  

sunder...
sankshipt kalevar me simti arthpoorn rachna..

रानीविशाल Wed Sept 08, 09:28:00 am  

वाह ! सच गागर में सागर .....आपकी हर प्रस्तुति दिल को छू लेती है .
बहुत गहरी भावनाओं का समागम है ....आभार !

Unknown Wed Sept 08, 09:56:00 am  

Small Words..but Ram Vaan

Vivek Mishrs Wed Sept 08, 01:30:00 pm  

सुन्दर रचना

दिगम्बर नासवा Wed Sept 08, 03:07:00 pm  

क्या ख्याल है .... बहुत खूब ... इन खामोशियों को भी तो टूटे दिल का साथ ही अच्छा लगता है ...

पूनम श्रीवास्तव Wed Sept 08, 09:19:00 pm  

Kam shabd lekin bahut sarthak aur gahre bhav---.
Poonam

विनोद कुमार पांडेय Thu Sept 09, 07:47:00 am  

संगीता जी, एक सुंदर और सशक्त अभिव्यक्ति....धन्यवाद

वीरेंद्र सिंह Thu Sept 09, 11:42:00 am  

सार्थक अभिव्यक्ति.....
सच में बहुत ही गहरी बात कही गई.

पश्यंती शुक्ला. Thu Sept 09, 04:28:00 pm  

खानबदोशी तो शब्द ही किसी को रास नहीं आता

ghughutibasuti Thu Sept 09, 07:00:00 pm  

बहुत खूब!
घुघूती बासूती

Urmi Fri Sept 10, 10:47:00 am  

बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

SATYA Fri Sept 10, 11:55:00 am  

सुन्दर रचना।

यहाँ भी पधारें :-
No Right Click

RAJNISH PARIHAR Sat Sept 11, 10:10:00 am  

कमाल का लेखन है आपका शुभकामनायें

deepti sharma Sat Sept 11, 02:21:00 pm  

bahut hi sunder h y rachna
dhanyvad

Urmi Sat Sept 11, 11:02:00 pm  

आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !

लोकेन्द्र सिंह Sun Sept 12, 12:53:00 am  

खानाबदोश खामोशियाँ...........
बहुत खूबसूरत

Parul kanani Sun Sept 12, 06:26:00 pm  

sangeeta ji...kam mein jyada kehne ka hunar kisi kisi mein hota hai aur aap us par kayam hai :)

RAJWANT RAJ Sun Sept 12, 07:08:00 pm  

in khamoshiyo ko aawaz ki drkar hai .

Anonymous Sun Sept 12, 10:00:00 pm  

लाजवाब

Madhu chaurasia, journalist Mon Sept 13, 04:45:00 am  

खामोशियों का लाजवाब अभिव्यक्ति...

Shabad shabad Mon Sept 13, 05:26:00 am  

मन को छू गई और आपकी रचना.........
खानाबदोश खामोशियाँ...........

Dr.M.N.Gairola Mon Sept 13, 08:00:00 am  

bahut sundar blog...shubhkaamnayein..

गजेन्द्र सिंह Mon Sept 13, 10:11:00 am  

अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ....

मुस्कुराना चाहते है तो यहाँ आये :-
(क्या आपने भी कभी ऐसा प्रेमपत्र लिखा है ..)
(क्या आप के कंप्यूटर में भी ये खराबी है .... )
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com

DR.ASHOK KUMAR Mon Sept 13, 03:25:00 pm  

बहुत गहरे भाव सँजोये हुये रचना हैँ। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जिसको तुम अपना कहते हो .............. कविता को पढ़कर तथा ब्लोग Mind and body researches को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमँत्रित हैँ।

anita saxena Mon Sept 20, 06:41:00 pm  

खानाबदोश जिंदगी ....वाह क्या सुंदर अभिव्यक्ति की है आपने , और खामोशियों का ठहर जाना तो अंदर तक सिहरन पैदा कर जाता है .....

Nityanand Gayen Tue Sept 21, 08:41:00 am  

नमस्कार . बहुत - बहुत धन्यवाद .
मैंने अपने ब्लॉग से शब्द वेरिफिकासन हटा दिया है .
सादर
नित्यानंद

Neelam Tue Sept 21, 10:37:00 am  

संगीता जी, वाह वाह वाह
कमाल की नज़्म पेश की है आपने...
बधाई...शुभकामनाएं

Taru Thu Sept 23, 05:06:00 pm  

bahut khoobsoorat nazm hai Mumma..shayad main pehle padh ke ispe comment kar chukin hoon....fir se sahi..:):)

Nishant Sun Oct 24, 09:53:00 pm  

बहुत खुब ... दो लाइनों में क्या बात कही है आपने..

Nishant Sun Oct 24, 09:55:00 pm  

क्या बात है ...खाना बदोश ख़ामोशी ...

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