कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
संगीता दी, बस इतना हीः . मत तारीफ करो इन आँखों की मातम में ये बातें अच्छी नहीं लगती अभी अभी ख्वाहिशों की चिता जली है और राख बिखरी हैं आँखों के श्मशान में. . बहुत ख़ूबसूरत जज़्बात!!
दीदी, उफ्फ्फ्फ्फ्फ़..... क्या लिखती हो..... और मैं तो अपनी आंखें काजल डाल डाल कर काली करती हूँ....तौबा ऐसी बिना काजल की कजरारी आँखों से....ख्वाहिशों की राख ...ओह..!!! सोच के भी झुरझुरी चढती है....
उम्दा अभिव्यक्ति . पता नहीं आपने पहले कोशिश करी है या नहीं, पर मुझे लगता है की आप कमाल के शेर भी लिख सकती है... और शायद ग़ज़ल भी ..
वो लिंक के बारें में, अगर आपको या किसी साथी को HTML की थोड़ी जानकारी हो, तो नयी विंडो लिंक के लिए यह आजमाकर देखे. वैसे तो राईट क्लिक से भी काम चल जाएगा पर शायद सबको उस बारें में पता न हो ... http://www.echoecho.com/htmllinks10.htm
आँखों के रूप को कहाँ से जोड़ दिया ? बहुत सुन्दर यही आँखें तो हैं जो हर ख़ुशी और गम कि साक्षी होती हैं और हर हाल में रोटी भी है और हंसती भी हैं. काली इसलिए हैं कि इन पर कोई रंग असर नहीं करता वे तो सम ही रहती हैं. सब जहेज कर फिर अपने काम में लग जाती हैं.
Happy Anant Chaturdashi GANESH ki jyoti se noor miltahai sbke dilon ko surur milta hai, jobhi jaata hai GANESHA ke dwaar, kuch na kuch zarror milta hai “JAI SHREE GANESHA”
84 comments:
अभी तो सिर्फ़ तस्वीर देखी है।
बहुत अच्छी है।
कविता पर बाद में।
ये तो बिन काजल कजरारी ऑंखें हो गयीं. लाजवाब
आँखे तो नहीं मांगूंगी...
इस राख को ही भेज देना मेरे पास
देखूं तो ज़रा कैसा रंग है
इस राख का..
और क्या क्या समाया है इसमें ?
:):):):)
सुंदर और गहरी प्रस्तुति.
waah...kya baat hai!
ओह ऐसी कजरारी आँखें न मिले किसी को ..
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी !
कबिता छोटी है लेकिन
घाव गहरे है
अति सुन्दर.
ख्वाहिश श्रृंखला की एक और महत्वपूर्ण रचना.
शानदार
आपने जिन आंखों का चयन किया है वह भी जानदार है.
अत्यंत खूबसूरती प्रदान किया है आपने भाव पिरोने में
उफ! आँखे कजरारी इसलिये कजरारी होती हैं क्या !
मेरी आँखें ,
बस
राख बन गयी हैं
--
--
आँखों ने सब कुछ बोल दिया है!
--
बहुत सुन्दर रचना!
कभी कभी ख्वाब आँख मे ही राख बन जाते है
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी
deepti sharma(deeps)
उफ्फ, बस कुछ ओर नहीं आता विचार।
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
...काली आंखे बहुत कुछ कह रही है....सुंदर रचना...बधाई!
बहुत सुन्दर.............
सच में बिलकुल सच लिखा है
बहुत गहरी भावपूर्ण अभिव्यक्ति। इतनी सुन्दर पँक्तियाँ............ लाजबाव। आभार! -: VISIT MY BLOG :- Sansar( कविता/गजलेँ )
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
आंखों की स्याही को इस रूप में भी पेश किया जा सकता है...पहली बार जाना...और अच्छा लगा.
संगीता दी,
बस इतना हीः
.
मत तारीफ करो इन आँखों की
मातम में ये बातें अच्छी नहीं लगती
अभी अभी ख्वाहिशों की चिता जली है
और राख बिखरी हैं आँखों के श्मशान में.
.
बहुत ख़ूबसूरत जज़्बात!!
देखन में छोटे लगें घाव करें गम्भीर
उफ़ ! बड़ी गहरी कसक ख्वाइशों के जल जाने की ....काम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने दी
आभार
कम शब्दो मे जीवन का सार कह जाती है आप... सुन्दर रच्ना...
वाह!
laazwaab likha hai ,man ko chhoo gayi .
गज़ब!
बहुत खूब ....आभार !
aapka saamee koi nahee..........
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..!
ओह !
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
काव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
काली नहीं है मेरी आँखें ...
बस कुछ ख्वाहिशें राख हो गयी है ...
वाह ...!
उम्दा रचना . अब तो मै जितनी भी कजरारी आंख देखूंगा , सोचूंगा कितना दर्द छुपा है उनमे .
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
दीदी,
उफ्फ्फ्फ्फ्फ़..... क्या लिखती हो..... और मैं तो अपनी आंखें काजल डाल डाल कर काली करती हूँ....तौबा ऐसी बिना काजल की कजरारी आँखों से....ख्वाहिशों की राख ...ओह..!!! सोच के भी झुरझुरी चढती है....
bhawnaaon ki her lahren chhu ker jati hain
ख्वाइशों का राख होना और आँखों में दिख जाना लेकिन सुंदरता की आड में अन्दर का सबकुछ छिप जाना।
hmmm.....aankhein....
khoobsurat aankhon ke peeche kai gehre raaz hote hain, par khwaaishon ki raakh...? waah.....aap hi soch sakti thi ye
गहरा भाव लिए दमदार प्रस्तुति....
आभार .
उम्दा अभिव्यक्ति . पता नहीं आपने पहले कोशिश करी है या नहीं, पर मुझे लगता है की आप कमाल के शेर भी लिख सकती है... और शायद ग़ज़ल भी ..
वो लिंक के बारें में, अगर आपको या किसी साथी को HTML की थोड़ी जानकारी हो, तो नयी विंडो लिंक के लिए यह आजमाकर देखे. वैसे तो राईट क्लिक से भी काम चल जाएगा पर शायद सबको उस बारें में पता न हो ...
http://www.echoecho.com/htmllinks10.htm
khbsurat abhivyakti...
आँखों के रूप को कहाँ से जोड़ दिया ? बहुत सुन्दर यही आँखें तो हैं जो हर ख़ुशी और गम कि साक्षी होती हैं और हर हाल में रोटी भी है और हंसती भी हैं. काली इसलिए हैं कि इन पर कोई रंग असर नहीं करता वे तो सम ही रहती हैं. सब जहेज कर फिर अपने काम में लग जाती हैं.
बहुत सुन्दर रचना!
aapke chand shabdon ne behadd bhavuk kar diya...
कहा था यूँ
कि
अब जँचती हैं..
तुम्हारी..
कजरारी आँखें
पर सच
काली नहीं हैं
मेरी आँखें ,
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
sach raakh hoti khawaahishen....ufff
aapke chand shabdon ne behadd bhavuk kar diya...
कहा था यूँ
कि
अब जँचती हैं..
तुम्हारी..
कजरारी आँखें
पर सच
काली नहीं हैं
मेरी आँखें ,
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
sach raakh hoti khawaahishen....ufff
नमस्ते संगीता दीदी, आपने बहुत ही प्यारा लिखा है. इस खुबसूरत और संवेदनशील नज़्म के सृजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ....
आपकी रोशनी :)
वाह............ बेहतरीन रूप में ख्वाहिशो की दास्ताँ.....
big things in small pack
kammal ki prastuti
kam shabdon me pura saar
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
यही तो आँखों की करामात है …………सब कुछ समा लेती हैं………………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
काली नहीं हैं
मेरी आँखें ,
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
छोटी सी सुन्दर रचना के माध्यम से आपने बहुत ही गहरी बात का ज़िक्र किया है! उम्दा रचना!
sundar abhivyakti!
regards,
उफ्फ कितनी तड़प है इन लाइनों में ... कजरारी आँखें नही रख हैं कुछ ख्वाहिशें .... लाजवाब ...
ख्वाहिशें भी निखर कर आ गई हैं ।
अति सुन्दर ।
sundar abhivyakti
Happy Anant Chaturdashi
GANESH ki jyoti se noor miltahai
sbke dilon ko surur milta hai,
jobhi jaata hai GANESHA ke dwaar,
kuch na kuch zarror milta hai
“JAI SHREE GANESHA”
बहुत सुंदर और गहरे भाव.
रामराम
वोह!! कजरारी आंखों का ऐसा सच्च्च्च-
बहुत ही बढ़िया....कम शब्दों में गहरे भाव....कजरारी आँखों का एक सच यह भी होता है.
अत्यंत प्रभावशाली अभिव्यक्ति ! आपकी रचना के तीर ठीक निशाने पर जाकर लगते हैं ! आपके इस शब्द संधान की जितनी दाद दी जाए कम है ! वाह वाह वाह !
अत्यंत प्रभावशाली अभिव्यक्ति ! आपकी रचना के तीर ठीक निशाने पर जाकर लगते हैं ! आपके इस शब्द संधान की जितनी दाद दी जाए कम है ! वाह वाह वाह !
सुंदर और गहरी प्रस्तुति.
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
वाह ! बेहतरीन, संगीता जी !
wah.bahot khoob.
पर सच
काली नहीं हैं
मेरी आँखें ,
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
सुन्दर शब्द लिये हुये बेहतरीन प्रस्तुति ।
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....
देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर!
जिस बात को कहने में कई पृष्ठ रंगने पड़ते कितनी आसानी से कह दिया आपने.
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति !!
सुन्दर भावमय कविता है। तस्वीर भी बहुत अच्छी लगी। सादर।
बहुत कुछ कह गई ये आंखे और उनकी ख्वाहिशे |
मेरे मन में उठती उमंग
उड़ जाऊँ नभ में पंख खोल।
उस खुली हवा का चखूं स्वाद
जिसके बदले न चुके मोल।।
सुन्दर रचना,
किसी ब्लॉग को फॉलो करें ब्लॉगर प्रोफाइल के साथ
lajwab . bs mhsoos kiya ja skta hai is ehsas ko .
सुन्दर,अनूठा लेखन !
बहुत ही सुंदर कविता, धन्यवाद
बस
राख बन गयी हैं
कुछ ख्वाहिशें ...
Bahut bahut sunder!
bahut sunder..........
Few words express than a novel
बहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !
स्ट्राबेरी आँखें ....
सोचती क्या हैं ... ???
स्ट्राबेरी आँखें ....
सोचती क्या हैं ... ???
[ये एक गीत के बोल हैं]
रचना अच्छी लगी :)
Kalee Kalee aankhon ka ye raj kuch alag sa hai.
काजल भी एक तरह से राख ही है ।
सुन्दर!
अति सुन्दर...
बस राख बन गयी है मेरी आँखे! बहुत ही सुन्दर!!!
कम पंक्तियों में बहुत गहरी बात कही है।
आभार।
सच !
no word to say .
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