बरस ही गए बादल
>> Thursday, 11 November 2010
बादल....और आसमां से आगे की कड़ी .....
सबने कहा था कि-
बादल बरस ही जायेंगे
देर - सबेर,
कल हुयी थी
बारिश मूसलाधार,
आज हल्की सी
धूप निखर आई है,
बस ज़रा आँखों में
सुर्खी उतर आई है ...
.
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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61 comments:
baras hi gaye badal,
fir suhani dhup khili hain,
aankho ki ye surkhi bhi dhere -dhere utar jaayegi.
fir chehre par chit-parichit muskaan laut aayegi.
वाह .. बहुत खूब !!
सुंदर संगीता स्वरूप जी| आँखों में सुर्खी उतर आई है| बहुत खूब| हमारे ब्लॉग पर भी पधारें http://thalebaithe.blogspot.com
चलिए बरसात हुई और आँखों में रंगों के इन्द्रधनुष उतर आए। अब मौसम साफ हो गया होगा?
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .
बहुत सुन्दर... आँखों में सुर्खी का उतरना अच्छा लगा.
धीरे धीरे सुर्खी भी चली जाएगी ... बहुत सुंदर संगीता जी ...
:) देखा कितना असर होता है लोगों के कहने का :)अब देखिये कैसे सतरंगी रंग फैलेंगे :)
सुन्दर पंक्तियाँ दी!
सुर्खी भी चली जाएगी । हर रात के बाद दिन भी आता है ।
बस जरा आंखों में
सुर्खी सी उतर आई है ....
वाह क्या सुंदर बात कही है , मन की गहराइयों तक उतर गई ।
bahut khub
aap to hamare blog ko bhul hi gye
kabhi samay nikal kal aaye
mujhe achha lagega
बादलों ने तो बरसना ही था , ....क्यूँकि समय सदा एक सा नहीं रहता, परिवर्तन प्रकृति का नियम है ..सुंदर भाव
बादलों के बरसने के बाद सुर्खी लाज़िमी है.
सुन्दर रचना
दी नमस्ते
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ...
दिल को छू गयी...
गहरे अर्थ लिए हुए,
भावप्रणव रचना!
आज हल्की सी
धूप निखर आई है,
बस ज़रा आँखों में
सुर्खी उतर आई है ...
Kya gazab kaa likha hai!
आज हल्की सी
धूप निखर आई है,
बस ज़रा आँखों में
सुर्खी उतर आई है
bahut hi khoob .
चलिए बादल बरसे तो ,सुर्खियों का क्या , वो बादलों की तरह ज्यादा वक़्त नहीं लेगी . जल्दी ही विलुप्त हो जाएगी ,
बहुत ही सुन्दर पंक्तिया.
इस छोटी सी कविता मे काफी गहरे भाव है .....
बहुत सुन्दर पंक्तिया....
इतने कम शब्दों में बहुत कुछ डाला आपने.............
:) :)
लाजबाव पँक्तियाँ, गहरे भाव तथा शब्दोँ के बहतरीन चुनाव के लिए बहुत- बहुत आभार।
हर दिन एक सामान नहीं रहते..सुर्खी भी उतर जायेगी...आप हमेशा हँसती मुस्कुराती रहें यही दुआ है.
वाह ! बेहतरीन पंक्तियाँ ...
सबने कहा था कि-
बादल बरस ही जायेंगे
देर - सबेर,
कल हुयी थी
बारिश मूसलाधार,
आज हल्की सी
धूप निखर आई है,
बस ज़रा आँखों में
सुर्खी उतर आई है ...
बेहतरीन......
प्रेमरस.कॉम
और सुर्खी न जाने क्या- क्या बयां कर गयी ......... सुन्दर रचना .
ये बादल रुलाते क्यों हैं?
नीर भरी दुख की बदरी ,,,,
khuda ka karishma aankhon ki surkhi bana
chalo baarish to hui
nishchesht patte dhule to
kyun...ho gaya na !!
hihihiihihhihi....... :P :D
chalo badhiya hai...ab aap smile karo...
:):):):):):):):):):):)
बहुत खूब,...
आज हल्की सी
धूप निखर आई है,
अच्छा लगा
बहुत ही ख़ूबसूरत गीत,,...
आपका लेखन काफी सराहनीय है | यूँ ही लिखती रहें | मेरे ब्लॉग में इस बार आशा जोगलेकर जी की रचना |
सुनहरी यादें :-4 ...
सुन्दर अभिव्यक्ति.....सुर्खी की परवाह किए बिना.....मुसलाधार बारिश हो जाए, यही अच्छा
ये भी सच है. बादल हैं तो बरेंगे और बरसेंगे तो सुर्खी भी होगी पर सुर्खी जाने के बाद ही तो सुहाना मौसम फिर आता है.
बादल बरसने के बाद मौसम का बदलना प्रकृति का नियम है. घनी उदासी के बादल बरसते हैं, तो मन के सरोवर में इंद्रधनुषी कमल खिलते हैं. खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार
सादर,
डोरोथी.
behad khoobsurat hai.
बहुत सुन्दर पंक्तिया....
are wah!....to ham ne thhik hi kaha thaa!...sundar!
बेहतरीन!
बहुत धारदार।
उमदा रचना। लेकिन दो किश्तों मे क्यों लिखी? ये समझ नही आया।
khoobsoorat hai...
ये सुर्खी भी हवा उड़ा ले जायगी ... फिर सपने दे जायगी ये बारिश ....
वाह .. बहुत खूब !!
Nice poem !!
वाह बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर ! बारिश के बाद धुप खिलना ज़रूरी है !
धूप निकल गयी है तो आंखो की नमी भी सूख जायेगी
बहुत सुन्दर, प्रेरणादयक कविता
संगीता जी, कैसे भर देती हैं शब्द रूपी गागर में भाव रूपी सागर। बहुत सुंदर।
---------
जानिए गायब होने का सूत्र।
….ये है तस्लीम की 100वीं पहेली।
बहुत खूबसूरती से लिखा आपने...बधाई.
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'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
कल हुई थी हल्की बारिश , आज धूप निखर आई है।
बहुत ही मनभावन और मुलायम रूह वाली रचना। आपकी जी की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है।
क्या बात है, बादलों पर रिसर्च चल रही है.. :P
इधर तो सिर पे ओले पड़ रहे हैं
अति उत्तम
ब्लाग4वार्ता :83 लिंक्स
मिसफ़िट पर बेडरूमम
आज हल्की सी
धूप निखर आई है,
बस ज़रा आँखों में
सुर्खी उतर आई है ...
..bahut sundar marmsparshi rachna...
bahut khoob...
..वाह..अभी लगता है कई रंग दिखाएंगे बादल।
hamesha ki tarah....man ko bhayi hai :)
Sangeeta Di,
Your imagination is at heights.The picture posted is touching.I can't see the tears in anybodies eyes. I simply hate them and have tried to wipe them from the eyes of my small students.
Thanks for guiding me to save the changes on my blog pages. I am feeling proud to connect with you.
Thank you very much.
Regards.
कई बार आँखों की सुर्खी भी न जाने कितनी बारिशें ले आती है....बस भीगते केवल हम हैं.....संगीता जी आपकी हर कविता मुझको अपने भीतर नया विचार,नया एहसास सा दिला जाती है..इतना अच्छा लिखने के लिए धन्यवाद..
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