कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
23 comments:
kitne masoom hote hai dil pyar ka sparsh matr ilaj sabit ho jata hai......
:)
wow simply great .. keep it up..what pathoes.
ravi pipal
UMDA .
वाह कमाल का लिखा है. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
भावपूर्ण अभिव्यक्ति है।
hayeeeeeeeeeeee..
क्या बात है बहुत ही सुन्दर अल्फाज़ दियें है आपने इन पंक्तियों को, बधाई ।
chhote se dil ke bade afsaane ,thik usi tarah rachna ek moti ki tarah ,small and sweet .
sunder panktiyan
उफ़ क्या लिखते हो, पढ़ कर ही आह निकल जाए.
छोटी सी सुन्दर सी प्यारी सी रचना बहुत अच्छी लगी! अद्भुत सुन्दर!
Its wonderful !!!!
बहुत लाजवाब, बहुत कुछ कह डाला इतने में ही बधाई
....बेहतरीन !!!
बहुत खूब ... कमाल का लिखा है ..
दो शब्दों मे इतनी कमाल की बात अद्भुत। शुभकामनायें
sundar blog...
शब्दों की अद्भुत संगति..भावपूर्ण रचना..बधाई.
______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".
वाह!!!होली पर शुभकामनाएं।
क्या वाकई दिल इसे ही टूटता है सुन्दर रचना
आभार
गागर में सागर............
होली पर आपको हमारी हार्दिक बधाइयाँ.
चन्द्र मोहन गुप्त
Wah..wah...wah.
Phira de zakhm par apni Ungli...
Ye padhkar aisa laga ki jaise....kahin na kahin har kisi ke man me yahi baat rehti hai...
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