कुछ तो लोग कहेंगे .....
>> Sunday, 30 May 2010
आज जब
खामोशी ने
तोड़ दिए हैं
मौन के घुँघरू
लोग अब उसे
वाचाल कहते हैं ..
.
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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46 comments:
यही तो परेशानी है किसी भी तरह जीने नहीं देते लोग .बेहतरीन अभिव्यक्ति दी !
yeh to manaw ka charitra hi hai...
bahut khub likha hai aapne....
Yahi to samsya hai..is tarah bhi bure us tarah bhi bure..dunia ke dimag ka koi thikana nahi.. Chaalaa chakatti nazm mumma.. :-)
kuchh to log kaheng...title hi apki baat ka jawab hai.... sunder nazm.
वाह ... ये खामोशी भी क्या बात-चीत की कला है!
सही कहा जी , लोगों का काम ही है कहना ।
लेकिन आजकल लोग भी कहाँ परवाह करते हैं ।
वाचाल की बहुत ही सुन्दर परिभाषा दी है आपने!
sahi baat kahi jab tak na kaho sab theek aur jahan kuch kaha...bhoochal aa jaata hai
जख्म कुरेदे ही जाते है
पर मौन समाधान तो नहीं
बहुत सुन्दर रचना
सादर वन्दे !
दोनों कि अपनी एक रीति होती है, मौन का घुंघुरू तोड़ने के लिए कुरेदना आवश्यक हो जाता है|
वैसे इस छोटी सी कविता का बहु ही विशाल अर्थ है....
रत्नेश त्रिपाठी
हर हाल में ऊँगली उठेगी ही...
उम्दा अभिव्यक्ति!
ओढ़ रखी थी
जब तक
खामोशी
लोग तब
पर्त- दर - पर्त
कुरेदा करते थे ..log yahi kiya karte hain
क्या करें क्या ना करें ये कैसी मुश्किल हाय ....
अच्छी कविता
Jag kee sachchaai, chnad lafjon mein, bahut sundar sangeetaa ji.
बहुत सुंदर भाव
सुन्दर भावपूर्ण रचना !
हमारा ब्लॉग भी आपका इन्तजार कर रहा है -
http://sureshcartoonist.blogspot.com/2010/05/blog-post_30.html#comments
यही फितरत है ज़माने की....''कुछ तो लोग कहेंगे.. लोगों का काम है कहना..''
बहुत सुन्दर..... कम शब्दों में उत्तम रचना ...!
यही तो परेशानी है किसी भी तरह जीने नहीं देते लोग .बेहतरीन अभिव्यक्ति .........
achhi rachna hai...
kuchh to log kahenge,
logo ka kam hai kahna....
...बेहतरीन .... प्रसंशनीय !!!
कौन सुनेगा, किसको सुनाए,
इसलिए चुप रहते हैं...
जय हिंद...
लोग और दुनिया ऐसी ही होती है !
अब लोग वाचाल कहते हैं.....और लोगो का काम है कहना....
सुन्दर और सत्य भाव..
regards
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
न चुप से खुश न बोलने देंगे , चलो हम अपनी रास्ते खुद ही बना लेते हैं.
हम बोलेंगे तो कलम से और खामोश रहेंगे तब भी कलम बोलेगी हम नहीं.
Na bole,to kaha tum bahut khamosh rahti ho...muh khola to suna,tum bahut bolti ho..
हमेशा की तरह चंद लफ़्ज़ों में सच्चाई...बयाँ कर दी....कुछ तो लोग कहेंगे ...लोगों का काम है कहना...बस यही सोच कर इस मूक और वाचाल तमगे पर आँखें बंद कर लेनी चाहियें..
हमेशा की तरह चंद लफ़्ज़ों में सच्चाई...बयाँ कर दी....कुछ तो लोग कहेंगे ...लोगों का काम है कहना...बस यही सोच कर इस मूक और वाचाल तमगे पर आँखें बंद कर लेनी चाहियें..
बहुत खूब
बहुत अच्छा
कित्ती प्यारी बात लिखी आपने...बढ़िया है.
_____________
और हाँ, 'पाखी की दुनिया' में साइंस सिटी की सैर करने जरुर आइयेगा !
bilkul sahi kaha..........log kaise bhi nahi jeene dete.........atyant prabhavshali rachna.
chup raho to chup rehne nahi dete
kuch kehna chaho to kehne nahi dete
hai re duniya ka yeh kaisa dastur ki
hame chain se jeene nahi dete.
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! बिल्कुल सही कहा है आपने!
सुन्दर भावपूर्ण रचना बहुत कुछ कह दिया वो भी दिल के करीब से गुजर गया
वाचाल..... सही कहा जी.....
कुंवर जी,
sach kitna chhota sa hota hai ..bilkul sach
log jeene nahi dete..........:(
aur jeena hai to logo ke kahne se kya darna..............hai na Di!!
waqayi duniya aisi hi hai .......
kahin sakun nahi
जब तक मौन की भाषा लोग नहीं समझेंगे, मौन का गला घोंटते रहेंगे, तब तक मौन मुखर नहीं हो सकता. और यह समस्या बनी रहेगी! बहुत अच्छी बात कही आपने!!
kuch to log kahenge ....logo ka kaam hai kahna ...chup bhi nahi rahne dete
मनप्रीत ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति पसंद आई आपकी यह रचना शुक्रिया
vo chup rahen kuchh na kahen.
dekhnevaale kaho kaise rahen.
har haal mein vo pyare lagte,
jindgi ke vo ek sahare lagte.
Rachna ke bhav bade pyare hain.
nakaratmak hone kii jaroorat kya hain.sakaratmak rahen.
संगीता जी, सादर अभिवादन।
तस्लीम-चित्र पहेली-78 की विजेता बनने की हार्दिक बधाई। आपका ईमेल आईडी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, कृपया मेरे मेल आईडी zakirlko@gmail.com पर संपर्क करने का कष्ट करें, जिससे आपको विजेता प्रमाण पत्र भेजा जा सके।
यही तो समस्या है ! ना चुप रह कर गुजर होती है ना बोल कर ! सुन्दर शब्दों में बेहतरीन अभिव्यक्ति !
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