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घुलते अलफ़ाज़

>> Monday, 30 August 2010



खत पढ़ कर 

आँखों से 

आँसू बहते रहे 

और  

सारे अलफ़ाज़ 

जैसे  

अश्कों में 

घुलते रहे ....





68 comments:

Aruna Kapoor Mon Aug 30, 06:32:00 pm  

दिल का दर्द आखिर आंखो के रास्ते से ही बाहर आएगा न?....उत्तम रचना...बधाई!

ओशो रजनीश Mon Aug 30, 06:33:00 pm  

अच्छी कविता लिखी है आपने .......... आभार
कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com

रश्मि प्रभा... Mon Aug 30, 06:35:00 pm  

khat ke dhule alfaaz yahan tak bah aaye...

मनोज कुमार Mon Aug 30, 06:39:00 pm  

आह!
मौन हूं....

आंसू था सिर्फ एक बूंद, मगर जाने क्यों
भींग गयी है सारी जिंदगी।

Anonymous Mon Aug 30, 06:42:00 pm  

bahut hi sundar,,,,,,

सु-मन (Suman Kapoor) Mon Aug 30, 06:46:00 pm  

बहुत सुन्दर नज़्म.............

Manish aka Manu Majaal Mon Aug 30, 07:01:00 pm  

बहुत दिनों बाद राखी के कारण एक ख़त मिला, तो महसूस हुआ की e -mail में वो बात नहीं.

अच्छी अभिव्यक्ति

डॉ टी एस दराल Mon Aug 30, 07:01:00 pm  

छोटी पर सुन्दर ।

ज्योति सिंह Mon Aug 30, 07:28:00 pm  

ahsaas kaanch se bhi jyada najuk hote .do shabdo ke sparsh se hi pighal jaate hai ,sundar rachna .

Sadhana Vaid Mon Aug 30, 07:55:00 pm  

पता नहीं आँसू और खतों का इतना गहरा रिश्ता कैसे बन जाता है ! अल्फाजों की सारी स्याही उनमें घुल जाती है और कागज़ बेरंग हो जाता है ! बहुत सुन्दर क्षणिका ! बधाई !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Mon Aug 30, 08:11:00 pm  

कह नही पाये जो अधर, अन्तस् के ज़ज़्बात।
अश्क मूक बनकर स्वयं, कह जाते सब बात।।

kshama Mon Aug 30, 08:35:00 pm  

Aapki rachnaon pe tippanee dene me mujhe badahee sankoch hota hai...aap khaamosh hee kar detee hain!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Mon Aug 30, 09:01:00 pm  

बहुत अच्छी प्रस्तुति... सारे अल्फाज़ों ने अश्क ले आये...

Dr.Ajit Mon Aug 30, 09:39:00 pm  

आदरणीय संगीता जी,

सर्वप्रथम हार्दिक धन्यवाद मुझ निर्वासित और टिप्पणियों के लिए तरसते उपेक्षित ब्लागर की रचना आपको अच्छी लगी और आपने उसको चर्चामंच के लिए चुना। तीन साल से ब्लागिंग करते हुए भी मै अभी तक वो गुरुमंत्र नही सीख एक दो चार लाईनो पर ही 60-70 वाह-वाह के शब्द मिल जाएं।आपने इज्जत बख्शी सो तहेदिल से शुक्रिया। बाकी आप मुझे बताएं कि मुझे क्या करना होगा चर्चामंच पर?

सादर

डा.अजीत

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Mon Aug 30, 09:46:00 pm  

खत पढ़ कर आँखों से आँसू बहते रहे

और सारे अलफ़ाज़ जैसे अश्कों में घुलते रहे ...

कई ग़ज़लों पर भारी है
बस...
एक शेर जैसी ये नज़्म...

सम्वेदना के स्वर Mon Aug 30, 10:02:00 pm  

संगीता दी,
ख़त, लफ्ज़ और अश्क़ का रिश्ता बहुत पुराना है..आपने इन तीनों को एक रिश्ते की डोर से बाँध दिया है जिसका कोई नाम नहीं...बस महसूस कर रहा हूँ!!
सलिल

rashmi ravija Mon Aug 30, 10:53:00 pm  

बहुत ही सुन्दर नज़्म...

DR.ASHOK KUMAR Tue Aug 31, 01:54:00 am  

संगीता दी नमस्कार! "अश्क की जुबाँ खामोश होती है, कहते हैँ वो जो तहरीर होती है।" अति भावपूर्ण रचना। बधाई! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते है।........गजल पढ़ने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।

स्वप्निल तिवारी Tue Aug 31, 02:36:00 am  

bheegi bheegi ....chutputiya.... ek dum naya naya blog lag raha hai ye to ... :)

Udan Tashtari Tue Aug 31, 06:38:00 am  

चन्द शब्दों में पूर्ण अभिव्यक्ति!!

ब्लॉ.ललित शर्मा Tue Aug 31, 07:26:00 am  


कम शब्दों में पूरी बात कह जाना भी एक कला है।

साधुवाद

खोली नम्बर 36......!

Nityanand Gayen Tue Aug 31, 09:22:00 am  

आपका तह दिल से धन्यवाद . जो आपने मेरी रचनायों को इस लायक समझा कि वे किसी मंच पर विचार के लिए रखा जाये. आपके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए गर्भित अनुभव कर रहा हूं , किन्तु मैं हैदराबाद में रहता हूं और आपने यह भी नही लिखा कि कहाँ आना है . कैसे आना है .

धन्यवाद के साथ


आपका

नित्यानंद

Nityanand Gayen Tue Aug 31, 09:22:00 am  

आपका तह दिल से धन्यवाद . जो आपने मेरी रचनायों को इस लायक समझा कि वे किसी मंच पर विचार के लिए रखा जाये. आपके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए गर्भित अनुभव कर रहा हूं , किन्तु मैं हैदराबाद में रहता हूं और आपने यह भी नही लिखा कि कहाँ आना है . कैसे आना है .

धन्यवाद के साथ


आपका

नित्यानंद

sonal Tue Aug 31, 10:27:00 am  

dil ka dard aise hee byan hota hai

vandana gupta Tue Aug 31, 10:27:00 am  

खत पढ़ कर

आँखों से

आँसू बहते रहे

और

सारे अलफ़ाज़

जैसे

अश्कों में

घुलते रहे ....

कुछ तेरी
तो कुछ
मेरी कहते रहे
जो तू
खत मे
कह ना सका
जिसे मै
खत मे
पढ न सकी
सब अश्कों
मे ढलकर
बह निकला

आपने तो मुझे इतना कहने को मजबूर कर दिया……………बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये हैं जो इंसान को कहने को मजबूर कर देते हैं।

डिम्पल मल्होत्रा Tue Aug 31, 11:28:00 am  

thode se lafjo me bahut kuch kah diya aapne...kaht hote hi aisee cheez hai jo aksar rula dete hai..khat jlana nahi chupa rakhna....

shikha varshney Tue Aug 31, 12:12:00 pm  

Are kiska khat aa gaya di is Email ke jamane men ? :)
vaise log yun hi aapko " LADY BIHARI" ( kavi bihari ...bihar wale bihari nahi)nahi kahte .gagar men sagar bharne kee kala khoob aati hai aapko.

HBMedia Tue Aug 31, 12:18:00 pm  

hamesha ki trah ek aur sundar najm...
bahut achha laga!

KK Yadav Tue Aug 31, 12:39:00 pm  

कम शब्दों में दिल की बात उतार दी...मनभावन प्रस्तुति.
___________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)

Urmi Tue Aug 31, 01:44:00 pm  

वाह! कम शब्दों में बहुत ही गहरी बात ! बहुत सुन्दर !

रचना दीक्षित Tue Aug 31, 03:02:00 pm  

मेरा ख़त आपके हाथ कब लगा ?????

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Tue Aug 31, 04:11:00 pm  

मगर आपने कम अल्फाज में ही बहुतकुछ कह दिया !

कडुवासच Tue Aug 31, 06:42:00 pm  

... बहुत सुन्दर !!!

Unknown Tue Aug 31, 11:01:00 pm  

बहुत सुन्दर रचना दी.......
कम से कम शब्दों में भी आप कितना सब कुछ कहा जाती हैं ...आभार
you are so sweet ....

लोकेन्द्र सिंह Wed Sept 01, 02:35:00 am  

मुझे अपने खत याद आ गए। संदूक खोलकर देखता हूं, संजोकर रखे हैं मैंने।

Asha Joglekar Wed Sept 01, 03:58:00 am  

दर्द को निजात देने के लिये ही तो हैं ये आँखें । भावुककर देने वाली रचना ।

SATYA Wed Sept 01, 10:51:00 am  

बहुत सुन्दर,
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

करण समस्तीपुरी Wed Sept 01, 11:54:00 am  

उफ्फ.... आपकी रचनाओं में पीडा की बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ती छुपी हुई है. लेकीन यह पीडा मर्म पर चोट नही करती बल्की उसको सहलाती सी लगती है. इस ब्लोग की सभी राचनाए पढी. गागार में सागर. साधु-साधु !!

Dr. Tripat Mehta Wed Sept 01, 03:24:00 pm  

Ah! bahut kuch keh diya..
ati sunder :)

कविता रावत Wed Sept 01, 03:27:00 pm  

आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ Wed Sept 01, 10:30:00 pm  

संगीता माँ,
नमस्ते!
गागर में सागर इसे ही कहते हैं!
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish

RAJWANT RAJ Wed Sept 01, 10:57:00 pm  

didi
gagr me sagr
shi kha na ?

Shabad shabad Thu Sept 02, 07:23:00 am  

सर्वप्रथम हार्दिक धन्यवाद......
आपको मेरी रचना अच्छी लगी और आपने उसको चर्चामंच के लिए चुना।
आपको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!

कम शब्द और बहुत ही गहरी बात
बहुत सुन्दर क्षणिका !
बधाई !

Shabad shabad Thu Sept 02, 07:30:00 am  

Sangeeta ji,
Ansoon ke bare main....kuch esa hee meri beti(Supreet - 11 Year old) ne likha hai.She has posted her kavita on her blog
" Aseem Asman"
Aap ke vicharon kee parteeksha main...
link hai ...
http://limitlesky.blogspot.com
Abhar
Hardeep

Urmi Thu Sept 02, 08:49:00 am  

आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

Aruna Kapoor Thu Sept 02, 11:56:00 am  

....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!

विनोद कुमार पांडेय Fri Sept 03, 07:59:00 am  

गागर में सागर एक उम्दा भाव..सुंदर पोस्ट के लिए धन्यवाद

अरुणेश मिश्र Fri Sept 03, 01:04:00 pm  

नीर मे डूबा न मैं
डूबा नयन के नीर मे ।

nilesh mathur Fri Sept 03, 01:17:00 pm  

बहुत सुन्दर! बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कहना तो कोई आपसे सीखे!

HBMedia Fri Sept 03, 04:46:00 pm  

bahut hi sundar.........aabhar!

वीरेंद्र सिंह Fri Sept 03, 08:24:00 pm  

Sunder abhivayakti..........padhkar bahut hi achhi lagi.

सुरेश यादव Fri Sept 03, 10:49:00 pm  

संगीता जी ,आखिर चर्चा मंच पर अपनी कविता को खोज ही लिया ,आप ने स्थान दिया आभारी हूँ . सुखद अनुभूति यह कि इस पोस्ट पर एक से एक सुन्दर रचनाएँ पढ़ने को मिली..आप ने जितनी मेहनत से सजाया है इस चर्चा मंच को आप साधुवाद कि पात्र हैं.

sheetal Sat Sept 04, 12:45:00 pm  

aapne is email aur mobile ke daur main khat ki yaad dila di jab hum apne ghar ki dyodhi par khade ho daakiye ka intezaar kiya karte the aur apno ka khat paakar bilkul isi tarah khusi ke ashko se alfazo ko yuhi ghulaya karte the aur phir dino din us khat ko apne takiye ke sirhaane sahez kar rakha karte the.

aur aapka shukriya ki aapko meri rachna acchi lagi.

सुनीता शानू Sat Sept 04, 06:33:00 pm  

क्या बात है सारी कहानी चार लफ़्जो में बयान कर दी बहुत खूब संगीता जी, बधाई।

सुनीता शानू Sat Sept 04, 06:33:00 pm  

क्या बात है सारी कहानी चार लफ़्जो में बयान कर दी बहुत खूब संगीता जी, बधाई।

Roshani Sat Sept 04, 06:39:00 pm  

प्रणाम संगीता दीदी. आपने बहुत ही कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..
आपमें जैसी मासूमियत और सरलता है वैसी ही आपकी कविताएँ...
आपके व्यक्तित्व का आइना है आपकी कविताएँ...
बहुत ही सुन्दर पोस्ट और साथ ही सबंधित पोस्ट हेतु चित्रों के चयन के लिए आपको बहुत सारी बधाईयाँ...

ASHOK BAJAJ Sat Sept 04, 11:34:00 pm  

आपका ब्लाग अच्छा लगा .ग्राम चौपाल मे आने के लिए धन्यवाद .आगे भी मिलते रहेंगें

खबरों की दुनियाँ Sun Sept 05, 02:01:00 pm  

गागर में सागर सुना था , आज पढ़ा भी । बधाई ।

निर्मला कपिला Sun Sept 05, 10:23:00 pm  

देर बाद ही सही एक अच्छी रचना तो पढ पाई। शुभकामनायें

'साहिल' Wed Sept 08, 10:41:00 pm  

बहुत खूबसूरत..........'गागर में सागर'

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) Tue Sept 14, 09:32:00 pm  

दीदी ........ अलफ़ाज़ घुलने में वक़्त नहीं लेते जब वो मर्म को छू जाएँ............तो जाहिर है आँखों से ही छलकेंगे..........बहुत अच्छी रचना........

Neelam Tue Sept 21, 10:41:00 am  

Sangeeta jee...behadd umda .shabd nahi tareef ke liye .

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