कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
अच्छी कविता लिखी है आपने .......... आभार कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये -- (क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?) http://oshotheone.blogspot.com
पता नहीं आँसू और खतों का इतना गहरा रिश्ता कैसे बन जाता है ! अल्फाजों की सारी स्याही उनमें घुल जाती है और कागज़ बेरंग हो जाता है ! बहुत सुन्दर क्षणिका ! बधाई !
सर्वप्रथम हार्दिक धन्यवाद मुझ निर्वासित और टिप्पणियों के लिए तरसते उपेक्षित ब्लागर की रचना आपको अच्छी लगी और आपने उसको चर्चामंच के लिए चुना। तीन साल से ब्लागिंग करते हुए भी मै अभी तक वो गुरुमंत्र नही सीख एक दो चार लाईनो पर ही 60-70 वाह-वाह के शब्द मिल जाएं।आपने इज्जत बख्शी सो तहेदिल से शुक्रिया। बाकी आप मुझे बताएं कि मुझे क्या करना होगा चर्चामंच पर?
संगीता दी, ख़त, लफ्ज़ और अश्क़ का रिश्ता बहुत पुराना है..आपने इन तीनों को एक रिश्ते की डोर से बाँध दिया है जिसका कोई नाम नहीं...बस महसूस कर रहा हूँ!! सलिल
आपका तह दिल से धन्यवाद . जो आपने मेरी रचनायों को इस लायक समझा कि वे किसी मंच पर विचार के लिए रखा जाये. आपके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए गर्भित अनुभव कर रहा हूं , किन्तु मैं हैदराबाद में रहता हूं और आपने यह भी नही लिखा कि कहाँ आना है . कैसे आना है .
आपका तह दिल से धन्यवाद . जो आपने मेरी रचनायों को इस लायक समझा कि वे किसी मंच पर विचार के लिए रखा जाये. आपके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए गर्भित अनुभव कर रहा हूं , किन्तु मैं हैदराबाद में रहता हूं और आपने यह भी नही लिखा कि कहाँ आना है . कैसे आना है .
Are kiska khat aa gaya di is Email ke jamane men ? :) vaise log yun hi aapko " LADY BIHARI" ( kavi bihari ...bihar wale bihari nahi)nahi kahte .gagar men sagar bharne kee kala khoob aati hai aapko.
कम शब्दों में दिल की बात उतार दी...मनभावन प्रस्तुति. ___________________ 'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
उफ्फ.... आपकी रचनाओं में पीडा की बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ती छुपी हुई है. लेकीन यह पीडा मर्म पर चोट नही करती बल्की उसको सहलाती सी लगती है. इस ब्लोग की सभी राचनाए पढी. गागार में सागर. साधु-साधु !!
Sangeeta ji, Ansoon ke bare main....kuch esa hee meri beti(Supreet - 11 Year old) ne likha hai.She has posted her kavita on her blog " Aseem Asman" Aap ke vicharon kee parteeksha main... link hai ... http://limitlesky.blogspot.com Abhar Hardeep
संगीता जी ,आखिर चर्चा मंच पर अपनी कविता को खोज ही लिया ,आप ने स्थान दिया आभारी हूँ . सुखद अनुभूति यह कि इस पोस्ट पर एक से एक सुन्दर रचनाएँ पढ़ने को मिली..आप ने जितनी मेहनत से सजाया है इस चर्चा मंच को आप साधुवाद कि पात्र हैं.
aapne is email aur mobile ke daur main khat ki yaad dila di jab hum apne ghar ki dyodhi par khade ho daakiye ka intezaar kiya karte the aur apno ka khat paakar bilkul isi tarah khusi ke ashko se alfazo ko yuhi ghulaya karte the aur phir dino din us khat ko apne takiye ke sirhaane sahez kar rakha karte the.
aur aapka shukriya ki aapko meri rachna acchi lagi.
प्रणाम संगीता दीदी. आपने बहुत ही कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया.. आपमें जैसी मासूमियत और सरलता है वैसी ही आपकी कविताएँ... आपके व्यक्तित्व का आइना है आपकी कविताएँ... बहुत ही सुन्दर पोस्ट और साथ ही सबंधित पोस्ट हेतु चित्रों के चयन के लिए आपको बहुत सारी बधाईयाँ...
68 comments:
दिल का दर्द आखिर आंखो के रास्ते से ही बाहर आएगा न?....उत्तम रचना...बधाई!
अच्छी कविता लिखी है आपने .......... आभार
कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
khat ke dhule alfaaz yahan tak bah aaye...
आह!
मौन हूं....
आंसू था सिर्फ एक बूंद, मगर जाने क्यों
भींग गयी है सारी जिंदगी।
bahut hi sundar,,,,,,
बहुत सुन्दर नज़्म.............
बहुत दिनों बाद राखी के कारण एक ख़त मिला, तो महसूस हुआ की e -mail में वो बात नहीं.
अच्छी अभिव्यक्ति
छोटी पर सुन्दर ।
:( :( :(
ahsaas kaanch se bhi jyada najuk hote .do shabdo ke sparsh se hi pighal jaate hai ,sundar rachna .
गहरी पीर की चमक।
पता नहीं आँसू और खतों का इतना गहरा रिश्ता कैसे बन जाता है ! अल्फाजों की सारी स्याही उनमें घुल जाती है और कागज़ बेरंग हो जाता है ! बहुत सुन्दर क्षणिका ! बधाई !
कह नही पाये जो अधर, अन्तस् के ज़ज़्बात।
अश्क मूक बनकर स्वयं, कह जाते सब बात।।
Aapki rachnaon pe tippanee dene me mujhe badahee sankoch hota hai...aap khaamosh hee kar detee hain!
बहुत अच्छी प्रस्तुति... सारे अल्फाज़ों ने अश्क ले आये...
आदरणीय संगीता जी,
सर्वप्रथम हार्दिक धन्यवाद मुझ निर्वासित और टिप्पणियों के लिए तरसते उपेक्षित ब्लागर की रचना आपको अच्छी लगी और आपने उसको चर्चामंच के लिए चुना। तीन साल से ब्लागिंग करते हुए भी मै अभी तक वो गुरुमंत्र नही सीख एक दो चार लाईनो पर ही 60-70 वाह-वाह के शब्द मिल जाएं।आपने इज्जत बख्शी सो तहेदिल से शुक्रिया। बाकी आप मुझे बताएं कि मुझे क्या करना होगा चर्चामंच पर?
सादर
डा.अजीत
खत पढ़ कर आँखों से आँसू बहते रहे
और सारे अलफ़ाज़ जैसे अश्कों में घुलते रहे ...
कई ग़ज़लों पर भारी है
बस...
एक शेर जैसी ये नज़्म...
संगीता दी,
ख़त, लफ्ज़ और अश्क़ का रिश्ता बहुत पुराना है..आपने इन तीनों को एक रिश्ते की डोर से बाँध दिया है जिसका कोई नाम नहीं...बस महसूस कर रहा हूँ!!
सलिल
बहुत ही सुन्दर नज़्म...
संगीता दी नमस्कार! "अश्क की जुबाँ खामोश होती है, कहते हैँ वो जो तहरीर होती है।" अति भावपूर्ण रचना। बधाई! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते है।........गजल पढ़ने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
bheegi bheegi ....chutputiya.... ek dum naya naya blog lag raha hai ye to ... :)
चन्द शब्दों में पूर्ण अभिव्यक्ति!!
कम शब्दों में पूरी बात कह जाना भी एक कला है।
साधुवाद
खोली नम्बर 36......!
बहुत अच्छी कविता।
हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
आपका तह दिल से धन्यवाद . जो आपने मेरी रचनायों को इस लायक समझा कि वे किसी मंच पर विचार के लिए रखा जाये. आपके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए गर्भित अनुभव कर रहा हूं , किन्तु मैं हैदराबाद में रहता हूं और आपने यह भी नही लिखा कि कहाँ आना है . कैसे आना है .
धन्यवाद के साथ
आपका
नित्यानंद
आपका तह दिल से धन्यवाद . जो आपने मेरी रचनायों को इस लायक समझा कि वे किसी मंच पर विचार के लिए रखा जाये. आपके आमंत्रण को स्वीकार करते हुए गर्भित अनुभव कर रहा हूं , किन्तु मैं हैदराबाद में रहता हूं और आपने यह भी नही लिखा कि कहाँ आना है . कैसे आना है .
धन्यवाद के साथ
आपका
नित्यानंद
dil ka dard aise hee byan hota hai
खत पढ़ कर
आँखों से
आँसू बहते रहे
और
सारे अलफ़ाज़
जैसे
अश्कों में
घुलते रहे ....
कुछ तेरी
तो कुछ
मेरी कहते रहे
जो तू
खत मे
कह ना सका
जिसे मै
खत मे
पढ न सकी
सब अश्कों
मे ढलकर
बह निकला
आपने तो मुझे इतना कहने को मजबूर कर दिया……………बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये हैं जो इंसान को कहने को मजबूर कर देते हैं।
thode se lafjo me bahut kuch kah diya aapne...kaht hote hi aisee cheez hai jo aksar rula dete hai..khat jlana nahi chupa rakhna....
Are kiska khat aa gaya di is Email ke jamane men ? :)
vaise log yun hi aapko " LADY BIHARI" ( kavi bihari ...bihar wale bihari nahi)nahi kahte .gagar men sagar bharne kee kala khoob aati hai aapko.
hamesha ki trah ek aur sundar najm...
bahut achha laga!
कम शब्दों में दिल की बात उतार दी...मनभावन प्रस्तुति.
___________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
वाह! कम शब्दों में बहुत ही गहरी बात ! बहुत सुन्दर !
मेरा ख़त आपके हाथ कब लगा ?????
मगर आपने कम अल्फाज में ही बहुतकुछ कह दिया !
... बहुत सुन्दर !!!
बहुत सुन्दर रचना दी.......
कम से कम शब्दों में भी आप कितना सब कुछ कहा जाती हैं ...आभार
you are so sweet ....
मुझे अपने खत याद आ गए। संदूक खोलकर देखता हूं, संजोकर रखे हैं मैंने।
दर्द को निजात देने के लिये ही तो हैं ये आँखें । भावुककर देने वाली रचना ।
बहुत सुन्दर,
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
उफ्फ.... आपकी रचनाओं में पीडा की बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ती छुपी हुई है. लेकीन यह पीडा मर्म पर चोट नही करती बल्की उसको सहलाती सी लगती है. इस ब्लोग की सभी राचनाए पढी. गागार में सागर. साधु-साधु !!
Ah! bahut kuch keh diya..
ati sunder :)
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
संगीता माँ,
नमस्ते!
गागर में सागर इसे ही कहते हैं!
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish
didi
gagr me sagr
shi kha na ?
सर्वप्रथम हार्दिक धन्यवाद......
आपको मेरी रचना अच्छी लगी और आपने उसको चर्चामंच के लिए चुना।
आपको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
कम शब्द और बहुत ही गहरी बात
बहुत सुन्दर क्षणिका !
बधाई !
Sangeeta ji,
Ansoon ke bare main....kuch esa hee meri beti(Supreet - 11 Year old) ne likha hai.She has posted her kavita on her blog
" Aseem Asman"
Aap ke vicharon kee parteeksha main...
link hai ...
http://limitlesky.blogspot.com
Abhar
Hardeep
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!
गागर में सागर एक उम्दा भाव..सुंदर पोस्ट के लिए धन्यवाद
नीर मे डूबा न मैं
डूबा नयन के नीर मे ।
बहुत सुन्दर! बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कहना तो कोई आपसे सीखे!
bahut hi sundar.........aabhar!
Sunder abhivayakti..........padhkar bahut hi achhi lagi.
संगीता जी ,आखिर चर्चा मंच पर अपनी कविता को खोज ही लिया ,आप ने स्थान दिया आभारी हूँ . सुखद अनुभूति यह कि इस पोस्ट पर एक से एक सुन्दर रचनाएँ पढ़ने को मिली..आप ने जितनी मेहनत से सजाया है इस चर्चा मंच को आप साधुवाद कि पात्र हैं.
aapne is email aur mobile ke daur main khat ki yaad dila di jab hum apne ghar ki dyodhi par khade ho daakiye ka intezaar kiya karte the aur apno ka khat paakar bilkul isi tarah khusi ke ashko se alfazo ko yuhi ghulaya karte the aur phir dino din us khat ko apne takiye ke sirhaane sahez kar rakha karte the.
aur aapka shukriya ki aapko meri rachna acchi lagi.
सचमुच लाजवाब कर दिया।
………….
जिनके आने से बढ़ गई रौनक..
...एक बार फिरसे आभार व्यक्त करता हूँ।
ek umda rachna....
A Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
Banned Area News : Mona Singh To Do Two Films As A Protagonist
क्या बात है सारी कहानी चार लफ़्जो में बयान कर दी बहुत खूब संगीता जी, बधाई।
क्या बात है सारी कहानी चार लफ़्जो में बयान कर दी बहुत खूब संगीता जी, बधाई।
प्रणाम संगीता दीदी. आपने बहुत ही कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..
आपमें जैसी मासूमियत और सरलता है वैसी ही आपकी कविताएँ...
आपके व्यक्तित्व का आइना है आपकी कविताएँ...
बहुत ही सुन्दर पोस्ट और साथ ही सबंधित पोस्ट हेतु चित्रों के चयन के लिए आपको बहुत सारी बधाईयाँ...
आपका ब्लाग अच्छा लगा .ग्राम चौपाल मे आने के लिए धन्यवाद .आगे भी मिलते रहेंगें
गागर में सागर सुना था , आज पढ़ा भी । बधाई ।
देर बाद ही सही एक अच्छी रचना तो पढ पाई। शुभकामनायें
बहुत खूबसूरत..........'गागर में सागर'
दीदी ........ अलफ़ाज़ घुलने में वक़्त नहीं लेते जब वो मर्म को छू जाएँ............तो जाहिर है आँखों से ही छलकेंगे..........बहुत अच्छी रचना........
Sangeeta jee...behadd umda .shabd nahi tareef ke liye .
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