कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
Hi.. Jism se to rooh ka rishta sada anant hai.. Ye shuru hota hai sang aur.. Chhutta jab ant hai.. Sang jo chhuta purana.. Rooh ke aansu bahe.. Deh jo nishpran thi.. Us par the aansu ja gire..
संगीता जी शब्दों के मन्थन के साथ साथ आत्म मंथन भी करें जिसे सुरति शब्द साधना कहा जाता है वैसे आपको शायद जानकारी नहीं है रूह को न तो कोई चोट पहुँचती है न कोई घाव आदि होता है रूह के प्रति यदि कोई सच्ची सहानभूति या संवेदना भाव है तो वो एकमात्र यही हो सकता है खुद को या आत्मा को जानना जो दोनों एक ही बात है
जब उपरवाले ने हमारे सथ बाज़ी खेली और मौत का पासा फेंका.. तब इंसान के बचने की बस एक ही तदबीर है... जिस्म का खोल उतार कर , रूह का मोहरा बचा लो... गुलज़ार साहब की इस अभिव्यक्ति के बाद आपकी समकक्ष रचना...
राजीव जी, आपने सही कहा है कि रूह को चोट नहीं पहुंचती...फिर भी जब कोई इंसान अत्यंत दुखी होता है तो कह दिया जाता है कि आत्मा कलाप रही है......मेरे शब्द एक कल्पना को लेकर चले हैं...और कवि या कवयित्री को इतनी छूट तो मिली होती है...खैर आपने इस ओर ध्यान दिलाया शुक्रिया ..
सभी पाठकों का दिल से शुक्रिया ...हर टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है
39 comments:
बहुत सुन्दर ! रूह के बिना जिस्म कुछ भी नहीं ! और एक सुन्दर रूह हो तो सुन्दर रचनायें निकलती है !
bahuUT KHUB
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
Oh my god! Itne kam alfaaz aur itni badi baat..!Stabdh kar diya aapne!
bahut khub
वाह!! सुन्दर!
बहुत अच्छा लिखा..."
waah...
bahut khub...
waah prem ka kya prateekatmak vivechan...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
Hi..
Jism se to rooh ka rishta sada anant hai..
Ye shuru hota hai sang aur..
Chhutta jab ant hai..
Sang jo chhuta purana..
Rooh ke aansu bahe..
Deh jo nishpran thi..
Us par the aansu ja gire..
DEEPAK
Oh..ye to wahi nazm hai na mumma jo padhi thi...ab tak gamak rahi hai jehan me.. :-) khub bhalo nazm aache..hehe..
रूह की रूहानियत और गमकती हुई रचना
nice
अरे वाह,यहाँ तो जिस्म के साथ पोस्ट भी गमक उठी है. जबरदस्त अभिव्यक्ति है रूह और जिस्म की
हमेशा की तरह बेहतरीन रचना.
एक खूबसूरत भाव..बढ़िया अभिव्यक्ति...
निःशब्द कर दिया अश्कों ने
अहिल्योद्धार प्रसंग की याद आ गयी सहसा -कुछ्छ गलत तो नहीं ?
नायाब प्रस्तुति - बधाई
संगीता जी बस आप यूँ ही गमकते रहिये ......!!
bahut khoob.........
wah
वाह ! क्या बात है
ji bahut badhiya...
kunwar ji,
"रूह ने
कुछ फूल
चढ़ा दिए
अश्कों के
उस शिला पर
जिस्म भीग कर
गमकने लगा था "
बेहतरीन , बहुत सुन्दर भाव !
kutchh pyar ke phool kisi ko bhi mahka ya gamka deti hai..........bahut khub!!
"रूह ने
कुछ फूल
चढ़ा दिए
अश्कों के
उस शिला पर
जिस्म भीग कर
गमकने लगा था "
बस वाह निकलता है मुख से....बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
sundar nihayt khubsurat .
aapke shabd prabhavshali hain.
अच्छी रचना....
bina rooh ke to insaan but ke siva kuchh nahi ,sunder rachna .
अद्भुत!
बहुत सुन्दर लिखा आपने आंटी जी !
________________
'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!
संगीता जी शब्दों के मन्थन के साथ साथ आत्म
मंथन भी करें जिसे सुरति शब्द साधना कहा
जाता है वैसे आपको शायद जानकारी नहीं
है रूह को न तो कोई चोट पहुँचती है न कोई
घाव आदि होता है रूह के प्रति यदि कोई
सच्ची सहानभूति या संवेदना भाव है तो वो
एकमात्र यही हो सकता है खुद को या आत्मा
को जानना जो दोनों एक ही बात है
बहुत बढ़िया...
जब उपरवाले ने हमारे सथ बाज़ी खेली और मौत का पासा फेंका.. तब इंसान के बचने की बस एक ही तदबीर है... जिस्म का खोल उतार कर , रूह का मोहरा बचा लो... गुलज़ार साहब की इस अभिव्यक्ति के बाद आपकी समकक्ष रचना...
वाह!
कम शब्दों में आपने मन भी महका दिया।
..आँसू की दो बूंदें मन हल्का कर देती हैं।
lajwaab rachna .....
bahut sahi aur sundar likha hai shukriya
राजीव जी,
आपने सही कहा है कि रूह को चोट नहीं पहुंचती...फिर भी जब कोई इंसान अत्यंत दुखी होता है तो कह दिया जाता है कि आत्मा कलाप रही है......मेरे शब्द एक कल्पना को लेकर चले हैं...और कवि या कवयित्री को इतनी छूट तो मिली होती है...खैर आपने इस ओर ध्यान दिलाया शुक्रिया ..
सभी पाठकों का दिल से शुक्रिया ...हर टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है
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