copyright. Powered by Blogger.

खारे ख्वाब

>> Thursday, 8 April 2010





आँख  से  टपका

एक  ख्वाब  

रुखसार  पर 

ढुलक   गया 
 
और  

जज़्ब  हो गया 

लबों में 

आज जाना 

कि   ख्वाब  

खारे  क्यों  होते हैं  ?  






29 comments:

अनामिका की सदायें ...... Thu Apr 08, 10:45:00 pm  

खाबो को यु रुखसारो पे ढुलका जो दिया
क्या सोचा कभी की खाबो में भी
किसी की सूरत होती है..??
कितनी आसानी से कह तो दिया तुमने..
खारे होते है खाब...
क्या कभी पूच्छा खाबो से की
उनमे इतनी नमी क्यों है??
सूरत जो बसी है खाबो में..
वो नमी उसी सूरत की दी होती है..!!

rashmi ravija Thu Apr 08, 11:14:00 pm  

ओह एकदम अलग सी सोच लिए हुए है यह कविता...खारे ख़्वाबों की हकीकत बतलाती हुई

दिलीप Fri Apr 09, 12:47:00 am  

bahut khoobsoorat....

http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

M VERMA Fri Apr 09, 04:40:00 am  

ख्वाब संख्या मे ढेर सारे होते है
पर सच है कि ख्वाब खारे होते हैं

सुन्दर रचना
बेहतरीन

Udan Tashtari Fri Apr 09, 06:18:00 am  

वाह! शानदार...खारेपन का राज समझ आया.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Fri Apr 09, 07:52:00 am  

बहुत सुन्दर और मनभावन कविता है ! ख्वाब का खारापन शायद तब बढ़ जाता है जब ख्वाब टूटते हैं !

ओम आर्य Fri Apr 09, 08:43:00 am  

ek aur tarah ka khwab aaj aapke blog pe mila.

ताऊ रामपुरिया Fri Apr 09, 08:54:00 am  

बहुत बेहतरीन, आज समझ गये.

रामराम.

स्वप्निल तिवारी Fri Apr 09, 10:44:00 am  

khaare khaare khaab ...ye to nayi baat ho gayi na mummaa.......... :) khub bhalo kobita ...

Deepak Shukla Fri Apr 09, 03:13:00 pm  

Hi..
Kam shabdon main badi baat kahna koi aapse seekhe.. Sundar bhavpurn kavita..

DEEPAK..

kunwarji's Fri Apr 09, 04:43:00 pm  

बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
और ये सपनो के स्वाद की बात तो लाजवाब रही....
कुंवर जी,

vandana gupta Fri Apr 09, 06:00:00 pm  

क्या कहूँ ………………सोच को क्या रुख दिया है……………उफ़्फ़ बहुत ही गहरी कशिश है इन लफ़्ज़ों में…………………।बहुत ही गहरी बात कह दी।

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 Fri Apr 09, 10:19:00 pm  

SANGGTA JI AAPNE OT''GAGAR ME SAGAR ''BHAR DIYA HAI ..!!IN CHND PANKTIYON ME ..LAJAWAB..!!BADHYEE

Anonymous Fri Apr 09, 10:30:00 pm  

लाजवाब प्रस्तुति

Anonymous Sat Apr 10, 01:09:00 am  

खूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.


************************
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. यदि आप भी इसमें भागीदारी चाहते हैं तो अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों.

पूनम श्रीवास्तव Sat Apr 10, 10:39:00 am  

Kam shabdon men behatareen abhivyakti------.
Poonam

Urmi Sat Apr 10, 03:43:00 pm  

वाह वाह शानदार रचना! मन मोह लिया!

Dimple Maheshwari Sun Apr 11, 10:31:00 am  

काबिलेतारीफ है प्रस्तुति।.सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है|

वन्दना अवस्थी दुबे Sun Apr 11, 07:08:00 pm  

कि ख्वाब खारे क्यों होते हैं................ क्या कहूं? अतिसुन्दर.

रचना दीक्षित Mon Apr 12, 12:54:00 pm  

चलिए आपकी पोस्ट के ज़रिये ही सही सत्य तो उजागर हो ही गया की ख्वाब खारे क्यों होते हैं लाजवाब

निर्झर'नीर Fri May 14, 04:37:00 pm  

आज जाना
कि ख्वाब
खारे क्यों होते हैं ?

कुछ तो जिंदगी गुजार देते है ये जानने में और फिर भी बिना जाने ही बिदा हो जाते है

shikha varshney Thu Feb 18, 12:35:00 am  

सभी ख्वाब तो खारे नहीं होते। कुछ तो मीठे भी होते हैं ना।

रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP