कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
खाबो को यु रुखसारो पे ढुलका जो दिया क्या सोचा कभी की खाबो में भी किसी की सूरत होती है..?? कितनी आसानी से कह तो दिया तुमने.. खारे होते है खाब... क्या कभी पूच्छा खाबो से की उनमे इतनी नमी क्यों है?? सूरत जो बसी है खाबो में.. वो नमी उसी सूरत की दी होती है..!!
************************ 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटे रचनाओं को प्रस्तुत करने जा रहे हैं. यदि आप भी इसमें भागीदारी चाहते हैं तो अपनी 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों.
29 comments:
खाबो को यु रुखसारो पे ढुलका जो दिया
क्या सोचा कभी की खाबो में भी
किसी की सूरत होती है..??
कितनी आसानी से कह तो दिया तुमने..
खारे होते है खाब...
क्या कभी पूच्छा खाबो से की
उनमे इतनी नमी क्यों है??
सूरत जो बसी है खाबो में..
वो नमी उसी सूरत की दी होती है..!!
बहुत सुन्दर!!
लाज़वाब !
ओह एकदम अलग सी सोच लिए हुए है यह कविता...खारे ख़्वाबों की हकीकत बतलाती हुई
bahut khoobsoorat....
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
ख्वाब संख्या मे ढेर सारे होते है
पर सच है कि ख्वाब खारे होते हैं
सुन्दर रचना
बेहतरीन
वाह! शानदार...खारेपन का राज समझ आया.
acchee rachana........
बहुत सुन्दर और मनभावन कविता है ! ख्वाब का खारापन शायद तब बढ़ जाता है जब ख्वाब टूटते हैं !
ek aur tarah ka khwab aaj aapke blog pe mila.
बहुत बेहतरीन, आज समझ गये.
रामराम.
khaare khaare khaab ...ye to nayi baat ho gayi na mummaa.......... :) khub bhalo kobita ...
Hi..
Kam shabdon main badi baat kahna koi aapse seekhe.. Sundar bhavpurn kavita..
DEEPAK..
बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
और ये सपनो के स्वाद की बात तो लाजवाब रही....
कुंवर जी,
क्या कहूँ ………………सोच को क्या रुख दिया है……………उफ़्फ़ बहुत ही गहरी कशिश है इन लफ़्ज़ों में…………………।बहुत ही गहरी बात कह दी।
SANGGTA JI AAPNE OT''GAGAR ME SAGAR ''BHAR DIYA HAI ..!!IN CHND PANKTIYON ME ..LAJAWAB..!!BADHYEE
लाजवाब प्रस्तुति
खूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.
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Kam shabdon men behatareen abhivyakti------.
Poonam
gagar men sagar
बहुत खूब .....!!
वाह वाह शानदार रचना! मन मोह लिया!
काबिलेतारीफ है प्रस्तुति।.सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है|
कि ख्वाब खारे क्यों होते हैं................ क्या कहूं? अतिसुन्दर.
उत्कृष्ट ।
चलिए आपकी पोस्ट के ज़रिये ही सही सत्य तो उजागर हो ही गया की ख्वाब खारे क्यों होते हैं लाजवाब
आज जाना
कि ख्वाब
खारे क्यों होते हैं ?
कुछ तो जिंदगी गुजार देते है ये जानने में और फिर भी बिना जाने ही बिदा हो जाते है
अति सुन्दर
सभी ख्वाब तो खारे नहीं होते। कुछ तो मीठे भी होते हैं ना।
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