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तू मेरा , बाकी तेरा

>> Wednesday, 28 April 2010





खुदा  मेरे ,
तूने  इस कायनात को 
बड़े करीने से 
बनाया है ,
ज़मीन पर 
खींच दी हैं  लकीरें 
इंसान ने ,
और फ़लक  
तेरे हिस्से आया है ,
चल आ  बाँट लें 
इस कायनात को आज ,
ये मेरे 
मन में आया है ,
बस तू रहे मेरा 
बाकी हो सब तेरा ,
वर्ना तो 
मोह जाल में 
हर इंसान 
यूँ ही भरमाया है ....




http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/136.html

44 comments:

rashmi ravija Wed Apr 28, 07:24:00 pm  

आ चल बाँट ले कायनात .....वाह...बहुत ही सुन्दर भाव हैं कविता के

अजय कुमार झा Wed Apr 28, 07:25:00 pm  

बहुत ही सुंदर रचना है और अद्भुत कल्पना है ,

रश्मि प्रभा... Wed Apr 28, 07:29:00 pm  

वाह क्या सही कहा है खुदा को, खुदा भी मुस्कुराया है

अनामिका की सदायें ...... Wed Apr 28, 07:33:00 pm  

काश इंसान इतने में ही सब्र कर ले. कितनी अजीब बात है न की सब कुछ जमा पूंजी इंसान ने यही छोड़ जानी है यही परम सत्य है फिर भी धरती का हर प्राणी मात्र इसी जोड़-तोड़ में और लकीरे खीचने में लगा है. बहुत सुंदर भावो से सुसज्जित ये रचना. बधाई.

Arvind Mishra Wed Apr 28, 07:55:00 pm  

एक गीत के शब्द याद से आ गए ---सब कुछ है तेरा कुछ नहीं है मेरा -मगर यहाँ तो सब कुछ और मैं सिर्फ तेरी ...उची बात है ! .

रचना दीक्षित Wed Apr 28, 07:59:00 pm  

कमाल है !!!!!!!!!!!!!!सिर्फ चंद पंक्तियाँ और अनंत विस्तार
अच्छे हैं मन के ये उदगार

Nipun Pandey Wed Apr 28, 08:04:00 pm  
This comment has been removed by the author.
Nipun Pandey Wed Apr 28, 08:05:00 pm  

वाह ! बहुत सुन्दर ख्याल आया है मन में आपके सचमुच....

बस तू रहे मेरा बाकी सब कुछ हो तेरा....सुन्दर ...:)

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Wed Apr 28, 08:06:00 pm  

मनुष्य का सिमित सोच से अनंत असीम तक ... आपकी यह कविता मुझे बहुत अच्छी लगी ... बधाई !

दिलीप Wed Apr 28, 08:08:00 pm  

waah re insaan ki fitrat sab use dekar fir use hi maang liya kahin sab chhin na jaye :D

M VERMA Wed Apr 28, 08:40:00 pm  

फलक तेरे हिस्से में आया है
वाह बेहतरीन रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Apr 28, 08:41:00 pm  

दिलीप जी ,

यहाँ कुछ छीनने की फितरत नहीं है....बस ईश्वर को अपना मान लो तो और किसी चीज़ की ख्वाहिश ही नहीं रहती ...

सभी सुधि पाठकों को रचना तक आने का शुक्रिया

अजय कुमार Wed Apr 28, 08:52:00 pm  

अंतिम चार लाइने बहुत अच्छी लगीं

मनोज कुमार Wed Apr 28, 09:11:00 pm  

वाह क्या कहा है ...
चल आ
बाँट लें
इस कायनात को आज ,ये मेरे
मन में आया है ,
बस तू रहे
मेरा
बाकी सब रहे तेरा

Apanatva Wed Apr 28, 09:14:00 pm  

bhaktibhav sub kuch samarpit karata acchaa laga.............

kshama Wed Apr 28, 10:01:00 pm  

Aapne gazab dha diya...khamosh kar diya..."qudratne to bakshi thi hame ekhi dharati,Hamne hain Bharat kahin Eeran banaya!"

nilesh mathur Wed Apr 28, 11:04:00 pm  

सुन्दर रचना!

संगीता पुरी Wed Apr 28, 11:40:00 pm  

बहुत ही सुंदर रचना !!

Unknown Thu Apr 29, 12:06:00 am  

wowwwwwwww ! yeh wala bhaav to aajkal mujhe bhi jakde hue hai..sab kuch bhagwan ka rahe ya kisi aur ka bas wo mere rahein............:):)

thanks a lot Mumma is rachna ke liye..is waqt padhna aur achha laga..:):)

Anonymous Thu Apr 29, 12:42:00 am  

itne sundar wichaar..
padhkar achha laga...
hum bhagyashaali hain jo aapki rachnayein padhne ko milti hain..
yun hi likhte rahein....
aur haan..
-------------------------------------
mere blog par is baar
तुम कहाँ हो ? ? ?
jaroor aayein...
tippani ka intzaar rahega...
http://i555.blogspot.com/

अरुणेश मिश्र Thu Apr 29, 01:20:00 am  

इसे कविता कहते हैं ।

kunwarji's Thu Apr 29, 09:18:00 am  

अद्भुत संयोजन शब्दों का!अर्थ की तो बात ही कुछ और है!बहुत गहरे में उतरना पड़ेगा उनको आत्मसात करने के लिए तो!

कुंवर जी,

स्वप्निल तिवारी Thu Apr 29, 09:57:00 am  

waaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhh...kya batwara kiya hai mumma...lazawaab ...mast nazm ek dum

ताऊ रामपुरिया Thu Apr 29, 10:23:00 am  

बहुत ही नायाब रचना. शुभकामनाएं.

रामराम.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Thu Apr 29, 12:04:00 pm  

अंतिम चार पंक्तियों तो मन मोह लिया....

बहुत सुंदर कविता...

vandana gupta Thu Apr 29, 12:13:00 pm  

वाह्………………बहुत सुन्दर भाव संयोजन्………………इतना कर लें तो फिर हर चाह मिट जाये।

Shekhar Kumawat Thu Apr 29, 12:38:00 pm  

bahtrin bahut khub



badhia aap ko is ke liye

shkehar kumawat

वन्दना अवस्थी दुबे Thu Apr 29, 03:10:00 pm  

अरे वाह!! कितनी आसानी से अपना सब सौंप दिया ईश्वर को...सुन्दर.

Anonymous Thu Apr 29, 06:47:00 pm  

"बस तू रहे मेरा और
बाकी हो सब तेरा"
सहज और सरल लेकिन बेमिशाल

डॉ टी एस दराल Thu Apr 29, 09:05:00 pm  

बहुत सुन्दर भाव।
इस मोह जाल से इंसान जाने कब निकलेगा।

Tej Fri Apr 30, 02:02:00 am  

aap ne is baar bhi kuch naye andaaj main likha hai..

Ra Fri Apr 30, 06:53:00 am  
This comment has been removed by the author.
Ra Fri Apr 30, 06:54:00 am  

बहुत समय बाद ऐसा कुछ पढने को मिला ...मान गए भई ....एक सच्ची कविता इसे ही कहते है .....

http://athaah.blogspot.com/

Urmi Fri Apr 30, 06:30:00 pm  

बहुत ही सुन्दर कल्पना के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

Vinay Fri Apr 30, 11:30:00 pm  

bahut sundar kruti hai

Avinash Chandra Sat May 01, 09:24:00 pm  

jab 39th comment diya jaaye to bas samarthan me hath hi uthta hai...bahut khubsurat nazm

sm Sun May 02, 12:04:00 am  

beautiful thoughtful poem

hem pandey Sun May 02, 02:26:00 pm  

उत्तम दार्शनिक अंदाज़ है.

हरकीरत ' हीर' Sun May 02, 04:06:00 pm  

बस तू रहे मेरा बाकी सब कुछ हो तेरा.
बहुत खूब .....!!

तुम्हारे लिए.... Mon Aug 23, 12:30:00 am  

apke moti bikhare kahan hai,sare moti piro lo dhage main to mala taiyaar ho jati hai.dil ko choo jane wali her nazm ke liye badhai...........

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