कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
बेचैनियो को हद से गुजरने न दो खलिश अब और बढ़ने न दो बेबसी की चुभन जब होने लगे.. वक़्त की सुई बिन रुके बढ़ने लगे.. बेवफाई के एहसास मचलने लगे.. होंठ घुमाओ, सीटी बजाओ.. और बोलो आल इज वेल्ल..
22 comments:
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
बेचैनियो को हद से गुजरने न दो
खलिश अब और बढ़ने न दो
बेबसी की चुभन जब होने लगे..
वक़्त की सुई बिन रुके बढ़ने लगे..
बेवफाई के एहसास मचलने लगे..
होंठ घुमाओ, सीटी बजाओ..
और बोलो आल इज वेल्ल..
हा.हा.हा.
sundar rachna
dil ke hal khol kar rakh diye aap ne hamare
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत कुछ कहती है आपकी यह नज़्म।अच्छी लगी।बधाई!
anamika ka nuskha bahut pasand aaya.
gour farmane layak hai.
बहुत सुंदर.
रामराम.
सही कहा है . . जब वक्त साथ न दे तो बेवफ़ाई बन जाती है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति हृदयस्पर्शी
jab waqt saath na de, to bebawafai ban jati hai..........bahut khub!! bahut badhiya...
वाह क्या बात है !!
bahut khub bahut badhiya lagi shukriya
अच्छी कविता है .... बेचैनी और बेबसी के बीच आदमी घुन्टते रहता है
और फिर वक़्त ने आजतक किसी का साथ दिया भी नहीं ...
बहुत खूब.....!!
बडी ही सुन्दरता से वक्त की दास्तान बयाँ कर दी।
राम राम जी,
बहुत सुन्दर रचना सदा की तरह......
कुंवर जी,
Bahut sahi kaha aapne vaqt kahan kisi ke liye rukta hai...
Bahut shubhkamnayne...
wah. maza aa gaya .
वाह क्या खूब कहा है आपने! सुन्दर भाव के साथ उम्दा रचना!
Kya gazab dhaya hai! Wah!
Kin,kin panktiyonko dohraun? Pooree rachana baar,baar dohrayi ja sakti hai!
बहुत सुंदर रचना ...
bilkul shi kha aapne sangeeta ji .
bhut achi rachna.
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