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बेवफाई

>> Sunday, 4 April 2010


बेचैनियाँ जब हद से गुज़र जाती हैं
तो खलिश बन जाती हैं ,
बेबसी जब बाँध लगाती है
तो चुभन बन जाती है ,
वक्त को कब कौन रोक   पाया है
मेरे दोस्त ,
जब वक्त साथ दे तो
बेवफाई  बन   जाती है.



22 comments:

संजय भास्‍कर Sun Apr 04, 10:59:00 pm  

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

अनामिका की सदायें ...... Sun Apr 04, 11:12:00 pm  

बेचैनियो को हद से गुजरने न दो
खलिश अब और बढ़ने न दो
बेबसी की चुभन जब होने लगे..
वक़्त की सुई बिन रुके बढ़ने लगे..
बेवफाई के एहसास मचलने लगे..
होंठ घुमाओ, सीटी बजाओ..
और बोलो आल इज वेल्ल..

हा.हा.हा.

Shekhar Kumawat Sun Apr 04, 11:34:00 pm  

sundar rachna

dil ke hal khol kar rakh diye aap ne hamare

shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

ओम पुरोहित'कागद' Mon Apr 05, 06:12:00 am  

बहुत कुछ कहती है आपकी यह नज़्म।अच्छी लगी।बधाई!

Apanatva Mon Apr 05, 06:19:00 am  

anamika ka nuskha bahut pasand aaya.
gour farmane layak hai.

ताऊ रामपुरिया Mon Apr 05, 10:48:00 am  

बहुत सुंदर.

रामराम.

मनोज कुमार Mon Apr 05, 11:16:00 am  

सही कहा है . . जब वक्त साथ न दे तो बेवफ़ाई बन जाती है।

रचना दीक्षित Mon Apr 05, 01:32:00 pm  

बहुत अच्छी प्रस्तुति हृदयस्पर्शी

मुकेश कुमार सिन्हा Mon Apr 05, 03:04:00 pm  

jab waqt saath na de, to bebawafai ban jati hai..........bahut khub!! bahut badhiya...

Gaurtalab Mon Apr 05, 04:33:00 pm  

वाह क्या बात है !!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Mon Apr 05, 09:08:00 pm  

अच्छी कविता है .... बेचैनी और बेबसी के बीच आदमी घुन्टते रहता है
और फिर वक़्त ने आजतक किसी का साथ दिया भी नहीं ...

vandana gupta Tue Apr 06, 12:42:00 pm  

बडी ही सुन्दरता से वक्त की दास्तान बयाँ कर दी।

kunwarji's Tue Apr 06, 05:50:00 pm  

राम राम जी,
बहुत सुन्दर रचना सदा की तरह......

कुंवर जी,

कविता रावत Wed Apr 07, 09:37:00 am  

Bahut sahi kaha aapne vaqt kahan kisi ke liye rukta hai...
Bahut shubhkamnayne...

Urmi Thu Apr 08, 04:16:00 pm  

वाह क्या खूब कहा है आपने! सुन्दर भाव के साथ उम्दा रचना!

shama Thu Apr 08, 08:48:00 pm  

Kya gazab dhaya hai! Wah!

kshama Thu Apr 08, 08:52:00 pm  

Kin,kin panktiyonko dohraun? Pooree rachana baar,baar dohrayi ja sakti hai!

अंजना Fri Apr 09, 02:49:00 pm  

बहुत सुंदर रचना ...

Dr.NISHA MAHARANA Thu Sept 22, 10:13:00 am  

bilkul shi kha aapne sangeeta ji .
bhut achi rachna.

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