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चांदनी की सड़क

>> Wednesday, 7 July 2010

DarkMoonLady1.jpg image by bec10111111111111




चाँदनी की 

सड़क पर 

पाँव  रख

चाँद  पाने की 

मैंने 

ख्वाहिश की  

जब नींद टूटी 

तो देखा 

पाँव  में 

छाले पड़े हुए थे . 
 




66 comments:

shikha varshney Wed Jul 07, 03:40:00 pm  

उफ़...........पर चिंता न कीजिये हर रात की सुबह है छाले पड़े जरुर हैं पर दर्द का फल जरुर मिलेगा चाँद जरुर मिलेगा.जैसे आपके चित्र की कन्या छाले देख जरुर रही है पर चाँद पर पहुँच ही गई .
बहुत बहुत बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .

vandana gupta Wed Jul 07, 03:44:00 pm  

उफ़्………………चंद शब्दों मे ही गहरी बात कह दी।
जब चांदनी भी जलाने लगे
पाँव मे छाले पडने लगें
तब किस आग से सहलाऊँ
किस राख का मरहम लगाऊँ

मनोज कुमार Wed Jul 07, 04:00:00 pm  

बहुत संवेदनशील रचना।

kshama Wed Jul 07, 04:10:00 pm  

Aaphi ke alfaaz..."Har lafz jaise seep se nikla hua moti ho"!

आचार्य उदय Wed Jul 07, 04:17:00 pm  

भावपूर्ण लेखन।

मनोज कुमार Wed Jul 07, 04:36:00 pm  

उफ़्फ़!!
चांदनी की सड़क पे मत चलिए ना। खुरदुरे ज़मीन पर सूरज की किरणों से तपती दोपहरी में चलिए, चांद आ जएगा चांदनी लेकर शीतलता प्रदान करने।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Wed Jul 07, 04:38:00 pm  

छोटी सी रचना में बहुत ही गहरी बात कह दी है!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Wed Jul 07, 04:38:00 pm  

छोटी सी रचना में बहुत ही गहरी बात कह दी है!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Wed Jul 07, 04:38:00 pm  

छोटी सी रचना में बहुत ही गहरी बात कह दी है!

sheetal Wed Jul 07, 04:38:00 pm  

bahut hi sundar panktiyaa.

रश्मि प्रभा... Wed Jul 07, 04:39:00 pm  

छालों पैर मरहम लगाने अब चाँद को आना होगा ....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Wed Jul 07, 04:40:00 pm  

क्या बात है संगीता जी...बहुत गहरी बात छिपी है इन पंक्तियों में ... अक्सर चोट वहां से मिलती है जहाँ से उम्मीद ना हो ... जो दीखते हैं फूल से कोमल उनमे ही छिपे होते हैं कांटे ...
बहुत सुन्दर रचना !

rashmi ravija Wed Jul 07, 04:47:00 pm  

चाँद को पाने की तमन्ना में छाले क्या चीज़ हैं...सुन्दर रचना

Amitraghat Wed Jul 07, 05:03:00 pm  

"गहरे अर्थ लिए हुई ....

दिगम्बर नासवा Wed Jul 07, 05:07:00 pm  

जो चीज़ सबसे ज़्यादा प्रिय हो उसे पाने में मेहनत तो लगती है ... पाँव में छाले पड़ना लाज़मी है ...

नीरज मुसाफ़िर Wed Jul 07, 05:35:00 pm  

छाले पडना तो ठीक है लेकिन पहुंचे कहां तक थे?

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Jul 07, 06:12:00 pm  

सभी पाठकों का आभार..

@@ नीरज जी ,

पहुंचे कहाँ? नींद तो टूट गयी...

Avinash Chandra Wed Jul 07, 06:32:00 pm  

chandni ki pagdandi se nahi jana tha apko..

wo kaise dekhe chand se kisi ka saniddhya...
shukra-dhruv se kaqhtin...langar laga, jhulte hue chhupke bhijwate... :)

aaj raat chand aayega, uske chhale daag ban aur ubhar aayenge is poonam ko... :)


Wiase itne sateek photu kahan milte hain? Usi chandni wali sadak par...


sundar kavita, sundar chitra :)

अनामिका की सदायें ...... Wed Jul 07, 07:02:00 pm  

मैं तो कब से बैठी थी
छालों का मरहम लिए..
तुमने रुक कर देखा नहीं..
चाँद की ख्वाहिश में
मग्न थी तुम तो..
मेरी आवाज़ को भी
पहचाना नहीं.

आपकी कविता पढ़ कर कुछ यू ही ख़याल चले आये...

sonal Wed Jul 07, 07:18:00 pm  

chaalo mein abhi bhi dard ki lehre uthi hai

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Wed Jul 07, 07:36:00 pm  

मजा आ गया.. हर तरफ चाँदे चाँद छाया हुआ है... लेकिन आपका बात से त डर लगता है कि जो बाहर से सीतल मालूम देता है ऊ अंदर से एतना गुस्सा में काहे है कि गोड़ में छाला पड़ गया आपके. अबकी बार नींद में मिले त पूछिएगा जरूर. समुंदर का खारा पानी पसंद नहीं आया होगा बेचारा को, अऊर नदी का त पानिए नाला जईसा हो गया है... देखिए का कहते हैं ससि बाबू आपसे, अगिला मुलाकात में...

राजकुमार सोनी Wed Jul 07, 08:41:00 pm  

कुछ ख्वाहिशें छालों से भी बड़ा जख्म देकर जाती है.
आपने अच्छा लिखा है. कुछ यादें ताजा हो गई.

अजय कुमार Wed Jul 07, 08:45:00 pm  

चांद बड़ा छलिया निकला ,छाला दे गया ।

सम्वेदना के स्वर Wed Jul 07, 08:46:00 pm  

पहले तो बस स्वप्निल ही था
लेकिन अब तो
मुझको भी बर्दाश्त आपको करना होगा
ख़ास तौर पर तब
जबकि पड़ताल हो करनी चाँद की
काले आसमान में.
बगुले के पंखों की चप्पल
डाल रखी जो आपने होती पैरों में तो
छाले कभी नहीं पड़ते उस राह में
जिसपर चल निकली थीं ख्वाब में कल.
अब क्या बोलूँ
कल फिर जो आप निकल जाएँ उस सफर पे तो
एक बार ज़रा रुककर
उस चाँदनी से इतना तो कहना ही
कि जलने से पहले उसने क्या
आप की उम्र नहीं देखी
और बिला वज़ह ही ज़ख्म आपको
दे बैठी.

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Jul 07, 08:52:00 pm  

सभी पाठकों का आभार...


सलिल ,

ख़्वाबों में
उम्र का हिसाब
कहाँ होता है
पांव में
छाले देख
आज तो
चाँद भी
रोता है.....


संगीता

Aruna Kapoor Wed Jul 07, 09:44:00 pm  

सड़क पर


पाँव रख


चाँद पाने की


मैंने


ख्वाहिश की
....ख्वाहिश भी अगर हो...ऐसी ही अनुपम हो!....बधाई संगीताजी!

सम्वेदना के स्वर Wed Jul 07, 09:50:00 pm  

अबकि बार तो बस इतना ही – cho chweet!!

Saumya Wed Jul 07, 10:32:00 pm  

rachna dil ko choo gayi...

राजेश उत्‍साही Wed Jul 07, 11:03:00 pm  

पांव में छाले न हों तो सफर का मजा नहीं आता है

चांद भी कमबख्‍त वह चीज है कि हमें
ख्‍याबों में भी सताता है।

राजेश उत्‍साही Wed Jul 07, 11:05:00 pm  

पांव में छाले न हों तो सफर का मजा नहीं आता है,

चांद भी कमबख्‍त चीज है क्‍या कि हमें

ख्‍वाबों में भी सताता है।

Apanatva Thu Jul 08, 12:05:00 am  

ghar ke aangan me thalee me paanee bhar rakh deejiyega such maniye chand angana utar aaega........
aur ise tarah aap chalo se buch jaiyega.

देवेन्द्र पाण्डेय Thu Jul 08, 08:24:00 am  

कम शब्दों में सुंदर अभिव्यक्ति.
..बधाई.

Shah Nawaz Thu Jul 08, 09:22:00 am  

गहरी बात, बहुत खूब!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Thu Jul 08, 10:19:00 am  

बहुत खूबसूरत अल्फाज़ों से संजोई हुई ....भावपूर्ण कविता...

स्वप्निल तिवारी Thu Jul 08, 10:40:00 am  

Ek dum mast...gulzarish touch liye hue nazm hai mumma..

वाणी गीत Thu Jul 08, 11:54:00 am  

chand yun hi naseeb kahan hota hai ...chhale to hone hi the ...

sundar abhivyakti...

मुकेश कुमार सिन्हा Thu Jul 08, 12:27:00 pm  

chhote chhote shabdo ke mala koi aapse peerona seekhe..........:)

hai na Sangeeta di!!

anupam rachna!

रचना दीक्षित Thu Jul 08, 01:21:00 pm  

उफ़ फ फ फ.... पढ़ते पढ़ते कहीं दिल में छाले न पड़ जाएँ बहुत अनूठी

प्रवीण पाण्डेय Thu Jul 08, 03:02:00 pm  

चाँदनी भी गर्म हो गयी, अब शीतलता कौन देगा ।

HBMedia Thu Jul 08, 03:53:00 pm  

bahut achhi rachna....gaurtalab

ज्योति सिंह Thu Jul 08, 04:15:00 pm  

aapki rachna ne kaio ke man me naye khyal jaga diye ,yah bhi ek tarif ki ada hai ,jo prerit karti ho likhne ko .sundar सड़क पर


पाँव रख


चाँद पाने की


मैंने


ख्वाहिश की
apantav ji ki salah bhi achchhi hai .

RADHIKA Thu Jul 08, 04:19:00 pm  

अक्सर नींद खुलते ही सपनो का सपना होना जान पड़ता हैं ,पर चांदनी की सड़क वाकई कितनी खुबसूरत होगी इसकी मैं अब भी कल्पना ही कर रही हूँ,सुंदर लेखन

निर्मला कपिला Thu Jul 08, 06:49:00 pm  

सड़क पर


पाँव रख


चाँद पाने की


मैंने


ख्वाहिश की
वाह इन्सान भी कितनी बडी बडी ख्वाहिशें सजा लेता है
लाजवाब। बधाई

Anonymous Thu Jul 08, 07:07:00 pm  

bahut hi gehri rachna.....
yun hi likhte rahein...

Dr. Zakir Ali Rajnish Thu Jul 08, 07:15:00 pm  

Khoobsurat jazbon ki shaandar prastuti.

sanu shukla Thu Jul 08, 08:47:00 pm  

गहराई लिए हुए सुन्दर रचना...!!

Nai Kalam Fri Jul 09, 01:48:00 pm  

इतने थोड़े लफ़्ज़ों में बड़ी ही जान लिए नज़्म पढने को मिली.
शाहिद "अजनबी"

स्वाति Fri Jul 09, 02:34:00 pm  

har bar ki tarah phir se ek lazbab nazm...

Anonymous Fri Jul 09, 03:38:00 pm  

क्या कह दिया आपने - कमाल है

वीरेंद्र सिंह Fri Jul 09, 07:31:00 pm  

sangeeta ji ..Pahli baar aapke blog par aaya. Padha to lagaa ki aana safal ho gaya. Aapki bhavpoorn rachnaaye dil ko chhu lene vaali hain.

Kusum Thakur Fri Jul 09, 09:42:00 pm  

चाँद शब्दों में हीआपने बहुत ही गहरी बात कही है .......

ZEAL Sat Jul 10, 02:57:00 pm  

Bahut gehri baat keh di aapne.

त्रिवेणी Sat Jul 10, 05:44:00 pm  

गागर में सागर....
वाह क्या बात है.....

डॉ टी एस दराल Sun Jul 11, 05:36:00 pm  

चाँद को चकोर यूँ ही प्यार करता है , चुपके चुपके । सुन्दर रचना शिखा जी ।

हर्षिता Sun Jul 11, 08:21:00 pm  

सुन्दर भावाभिव्यक्ति है।

Dev Mon Jul 12, 10:21:00 am  

लाजवाब अभिव्यक्ति ......बहुत खूब

रावेंद्रकुमार रवि Mon Jul 12, 07:42:00 pm  

मैं तो यह सोच-सोचकर हैरान हूँ -

"चाँदनी से निर्मित पथ पर चलने के बाद भी
जिसके पैरों में छाले पड़ गए,
उसके पैर कितने नाज़ुक होंगे!"

रेखा श्रीवास्तव Tue Jul 13, 08:18:00 pm  

kabhi kabhi chadani bhi tej dhoop see jhulsane vali hoti hai. ye anubhuti to manodasha par nirbhar karati hai. bahut sundar likha hai.

विजय तिवारी " किसलय " Tue Jul 13, 10:38:00 pm  

संगीता स्वरुप जी...
भावपूर्ण ...
- vijay tiwari kislay

विजय तिवारी " किसलय " Tue Jul 13, 10:38:00 pm  

संगीता स्वरुप जी...
भावपूर्ण ...
- vijay tiwari kislay

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Thu Jul 15, 05:45:00 pm  

इतनी सुन्दर छोटी रचनायें मैंने पहले कभी नहीं पढी। बधाई

रफ़्तार

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