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श्श्श्श्श्श !

>> Wednesday, 21 July 2010





तमन्ना  ने तेरी

होठों पे उंगली

रख कर

जैसे ही कहा

श्श्शश्श

सारे  मेरे  ख्वाब    

ठिठक कर

रुक गए.....

71 comments:

M VERMA Wed Jul 21, 06:09:00 pm  

श्श्शश्श ...
ख्वाब का ठिठकना भी तो एहसास है

रश्मि प्रभा... Wed Jul 21, 06:22:00 pm  

thithke hue khwaabon kee daastaan ? use bhi to sunna hai

shikha varshney Wed Jul 21, 06:31:00 pm  

चलो किसी कि तमन्ना तो पूरी हुई..ख्वाब ठिठके ही हैं न ...थोडा धकेलो फिर चल पढेंगे :)
बहुत गहरे जज्बात दी ! बहुत सुन्दर.

मनोज कुमार Wed Jul 21, 06:37:00 pm  

कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है।

vandana gupta Wed Jul 21, 06:37:00 pm  

और जैसे ही उँगली हटाई
सारे ख्वाब मचल गये

आज तो गज़ब की अभिव्यक्ति है……………बहुत ही शानदार ……………दिल को छूती हुयी।

सम्वेदना के स्वर Wed Jul 21, 06:43:00 pm  

संगीता दी,
धड़कते दिल की तमन्ना और ख्वाबों का ठिठक जाना... इतने नाज़ुक एहसास के बीच ये प्यारी सी नज़्म... मानो कह रही हो उस ठिठके हुए ख्वाब से कि भाई ज़रा मुझे रास्ता तो दो,कोई कब से मेरा इंतज़ार कर रहा है...
दिल ख़ुश हो गया! दीदी!!
सलिल

rashmi ravija Wed Jul 21, 07:19:00 pm  

सच कहा, ख्वाब यूँ ही ठिठके हुए रहते हैं....सुन्दर भाव

अनामिका की सदायें ...... Wed Jul 21, 07:36:00 pm  

आज तक तमन्नाओ को सर उठाते देखा है...होंठो पर ऊँगली रखते पहली बार जाना....

लेकिन कविता और कल्पना में तो सब कुछ संभव है.

सुंदर अभिव्यक्ति.

रचना दीक्षित Wed Jul 21, 08:01:00 pm  

सारे मेरे ख्वाब
ठिठक कर
रुक गए...

बहुत अच्छी प्रस्तुति.

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Jul 21, 09:11:00 pm  

आप सभी पाठकों का दिल से आभार ....


@@ अनामिका ,
शुक्रिया ,
पर आपकी इस बात से मैं इत्तफाक नहीं रखती कि कविता में कुछ भी लिखा जा सकता है...मना कि तमन्नाएँ बेसाख्ता सिर उठाती हैं .... पर उन पर भी अंकुश लगाना ज़रूरी होता है...क्यों कि मुझे ऐसा लगता है कि ...

तमन्नाएँ जब
उठाती हैं
बेसाख्ता सिर
और
मचाती हैं शोर
तो ,
इंसान की
जड़ें ,
हो जाती हैं
कमज़ोर....
तब उनको इशारे से खामोश करना होता है....

एक बार फिर शुक्रिया

दीपक 'मशाल' Wed Jul 21, 09:36:00 pm  

अजब ही अदा है इस क्षणिका की.. ख्वाब का ठिठकना पहली बार देखा..

प्रवीण पाण्डेय Wed Jul 21, 10:10:00 pm  

ठिठकते ख्वाबों की सुन्दर कहानी।

अरुण चन्द्र रॉय Wed Jul 21, 11:23:00 pm  

simit shabdo me asimit baaten ! behat prabhavi !

अरुण चन्द्र रॉय Wed Jul 21, 11:23:00 pm  

simit shabdo me asimit baaten ! behat prabhavi !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Thu Jul 22, 12:06:00 am  

गज़ब की अभिव्यक्ति है……………बहुत ही शानदार ……………दिल को छूती हुयी।

Unknown Thu Jul 22, 12:10:00 am  

संगीता जी
क्या पंक्तियाँ लिखी है आपने ......awesome.
जभी तो भावनाओं को सब्दों में पिरोना अगर आसान होता तो मैं भी आपकी तरह कवी होता ...!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Thu Jul 22, 12:35:00 am  

सिखाजी का बात त एकदम मत मानिएगा... किसी का तमन्ना को चुप कराना जरूरी है..लेकिन ख़्वाब को धकियाना, बहुत सम्भल कर..हर ख्वाब का माथा पर लिखा होता है FRAGILE..WITH CARE!! अ‍ऊर तब्बे एगो सायर बोल गए हैं
ख्वाब तो काँच से भी नाज़ुक हैं
टूटने से उन्हें बचाना है.
बहुत खूबसूरत नज्म!!

nilesh mathur Thu Jul 22, 01:25:00 am  

वाह! कमाल करती हैं आप भी, बेहतरीन!

राजकुमार सोनी Thu Jul 22, 06:49:00 am  

जो कुछ भीतर जल रहा है
उसे थोड़ा और जलने दो
तमन्ना हर किसी की नहीं जागती
सो तमन्नाओं को पलने दो

मनुष्य अपनी तमन्नाओं, ख्वाबों को फांसी पर लटकाकर क्या जिंदा रहता है...
शायद नहीं..
रचना ने फिर सोचने का काम दे दिया.
फिर एक बार मेरी बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Thu Jul 22, 07:40:00 am  

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!
--
बहुत-बहुत बधाई!

राजभाषा हिंदी Thu Jul 22, 08:02:00 am  

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

स्वप्निल तिवारी Thu Jul 22, 12:00:00 pm  

mithun ki style me...kya baat kya baat kya baat ...hehe khab ka thithakna ..shandaar hai mumma...

Madan Mohan 'Arvind' Thu Jul 22, 01:48:00 pm  
This comment has been removed by the author.
Madan Mohan 'Arvind' Thu Jul 22, 01:55:00 pm  

संगीता जी, आप बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित लिखती हैं. मेरी शुभ कामनाएं स्वीकारें.
सादर
मदन मोहन 'अरविन्द'

अर्चना तिवारी Thu Jul 22, 03:27:00 pm  

सुंदर अभिव्यक्ति...ख्वाब का ठिठकना...

sheetal Thu Jul 22, 04:36:00 pm  

kya kare, kabhi kabhi chah kar bhi hum apni tammnnai khul kar keh nahi paate.

Akshitaa (Pakhi) Thu Jul 22, 05:28:00 pm  

अले वाह, कित्ती छोटी, पर प्यारी कविता....

admin Thu Jul 22, 05:56:00 pm  

संगीता जी, कविता पढकर लगा जैसे गागर में सागर समा गया हो।
………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।

Udan Tashtari Thu Jul 22, 08:22:00 pm  

श्श्शश्श ...हम भी ठिठक गये

रेखा श्रीवास्तव Fri Jul 23, 03:12:00 pm  

are, bade agyakari hain. hamen bol kar dekho ham to nahin rukane vale.
bahut sundar likha hai.

मेरे भाव Fri Jul 23, 04:26:00 pm  

shabad hi thithak gaye...... sunder panktiyan...

वीना श्रीवास्तव Fri Jul 23, 06:29:00 pm  

सारे मेरे ख्वाब
ठिठककर
रुक गए.....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

#vpsinghrajput Fri Jul 23, 07:16:00 pm  

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित

#vpsinghrajput Fri Jul 23, 07:21:00 pm  

यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी...

Pawan Kumar Fri Jul 23, 10:40:00 pm  

आदरणीया....
नज़्म छोटी ज़ुरूर है मगर कहन के हिसाब से कई दीवानों के माफिक है....."तमन्ना जब इशारा कर दे तो ख्वाबों का सहमना स्वाभाविक है" , इस नजरिये को बहुत खूब सूरती से बयान किया है.....अच्छी रचना हम तक पहुँचाने का दिल से आभार .

शोभना चौरे Fri Jul 23, 11:01:00 pm  

बिना कहे ही सारे ख्वाब साकार हो गये \वह गागर में सागर |

सदा Sat Jul 24, 10:36:00 am  

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द इस रचना के बधाई ।

मनोज भारती Sat Jul 24, 11:03:00 pm  

बहुत खूब ...क्षण में ही मौन की झलक मिलती है जब सब कुछ ठहर जाता है ...जैसा यहाँ हुआ ।

सुशीला पुरी Mon Jul 26, 11:40:00 am  

बिना कहे ही सबकुछ कह दिया आपने ....., गागर मे सागर ।

पूनम श्रीवास्तव Mon Jul 26, 01:04:00 pm  

sangeeta ji choti parantu gaharaiyo se nikle yah jajbaat.beintaha khoobsurat.
poonam

Parul kanani Mon Jul 26, 02:50:00 pm  

kitni khoobsurat baat kahi hai...kuch lazon mein!


charchamanch par jikra ke liye tahe dil se aabhar :)

दिगम्बर नासवा Mon Jul 26, 02:58:00 pm  

बहुत खूब ... कुछ ही शब्दों में गहरी बात ... कभी कभी कम शब्द पूरा इतिहास लिख जाते हैं ...

ज्योति सिंह Tue Jul 27, 01:37:00 am  

kam शब्दो मे बहुत ही गम्भीर बात है आपकी ,सुन्दर

Urmi Tue Jul 27, 11:12:00 am  

वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!

Asha Joglekar Wed Jul 28, 08:28:00 am  

Wah . Kwab to kwab hain thithke hain to chal bhee padenge. Sakar bhee honge. Sunder chitr aur shabd.

ajay saxena Wed Jul 28, 04:18:00 pm  

...बेहतरीन!!!

ajay saxena Wed Jul 28, 04:30:00 pm  

उम्दा रचना...शानदार

निर्मला कपिला Wed Jul 28, 09:28:00 pm  

ांअअकी रचनाओं मे यही एक खास बात होती है कि कम शब्दों मे बहुत बडी बात कह देती हैं । सुन्दर रचना बधाई

Dr. Tripat Mehta Thu Jul 29, 02:32:00 pm  

arre wah!!! :D

http://liberalflorence.blogspot.com/

Anonymous Thu Jul 29, 11:19:00 pm  

bahut sundar !

लोकेन्द्र सिंह Fri Jul 30, 12:57:00 am  

ये चोट तो अपने साथ हुई थी.........

Dev Fri Jul 30, 09:25:00 am  

अति उत्तम .......

ghughutibasuti Fri Jul 30, 04:53:00 pm  

बहुत सुन्दर!
घुघूती बासूती

TRIPURARI Sat Jul 31, 01:44:00 am  

कहीं गहरे में जा कर ये एहसास भी उतरा होगा !
पता नहीं होठों पर ऊंगली वाला कौन चेहरा होगा ?

बहुत अच्छी रचना है।

Subhash Rai Sat Jul 31, 11:45:00 am  

संगीता जी, आप के मोती तो अनमोल हैं. इतने कम शब्दों में सम्वेदन के बड़े खंड को बांधकर पेश करना सचमुच मुश्किल काम है, पर वह आप कर लेती हैं. यह विशाल सागर में मोती ढूढने जैसा ही है. मैं जबसे ब्लाग की दुनिया में आया हूं आप का स्नेह लगातार मिलता रहा है. साखी पर आप की मौजूदगी मेरा मनोबल बढाने में सहायक होगी. धन्यवाद.

anita saxena Tue Aug 10, 08:29:00 am  

देखन में छोटे लगे पर घाव करे गंभीर

रफ़्तार

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