श्श्श्श्श्श !
>> Wednesday, 21 July 2010
तमन्ना ने तेरी
होठों पे उंगली
रख कर
जैसे ही कहा
श्श्शश्श
सारे मेरे ख्वाब
ठिठक कर
रुक गए.....
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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71 comments:
श्श्शश्श ...
ख्वाब का ठिठकना भी तो एहसास है
thithke hue khwaabon kee daastaan ? use bhi to sunna hai
BAHUT SUNDAR....
चलो किसी कि तमन्ना तो पूरी हुई..ख्वाब ठिठके ही हैं न ...थोडा धकेलो फिर चल पढेंगे :)
बहुत गहरे जज्बात दी ! बहुत सुन्दर.
कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है।
और जैसे ही उँगली हटाई
सारे ख्वाब मचल गये
आज तो गज़ब की अभिव्यक्ति है……………बहुत ही शानदार ……………दिल को छूती हुयी।
संगीता दी,
धड़कते दिल की तमन्ना और ख्वाबों का ठिठक जाना... इतने नाज़ुक एहसास के बीच ये प्यारी सी नज़्म... मानो कह रही हो उस ठिठके हुए ख्वाब से कि भाई ज़रा मुझे रास्ता तो दो,कोई कब से मेरा इंतज़ार कर रहा है...
दिल ख़ुश हो गया! दीदी!!
सलिल
सच कहा, ख्वाब यूँ ही ठिठके हुए रहते हैं....सुन्दर भाव
nice expression
आज तक तमन्नाओ को सर उठाते देखा है...होंठो पर ऊँगली रखते पहली बार जाना....
लेकिन कविता और कल्पना में तो सब कुछ संभव है.
सुंदर अभिव्यक्ति.
सारे मेरे ख्वाब
ठिठक कर
रुक गए...
बहुत अच्छी प्रस्तुति.
:)
आप सभी पाठकों का दिल से आभार ....
@@ अनामिका ,
शुक्रिया ,
पर आपकी इस बात से मैं इत्तफाक नहीं रखती कि कविता में कुछ भी लिखा जा सकता है...मना कि तमन्नाएँ बेसाख्ता सिर उठाती हैं .... पर उन पर भी अंकुश लगाना ज़रूरी होता है...क्यों कि मुझे ऐसा लगता है कि ...
तमन्नाएँ जब
उठाती हैं
बेसाख्ता सिर
और
मचाती हैं शोर
तो ,
इंसान की
जड़ें ,
हो जाती हैं
कमज़ोर....
तब उनको इशारे से खामोश करना होता है....
एक बार फिर शुक्रिया
अजब ही अदा है इस क्षणिका की.. ख्वाब का ठिठकना पहली बार देखा..
ठिठकते ख्वाबों की सुन्दर कहानी।
simit shabdo me asimit baaten ! behat prabhavi !
simit shabdo me asimit baaten ! behat prabhavi !
गज़ब की अभिव्यक्ति है……………बहुत ही शानदार ……………दिल को छूती हुयी।
संगीता जी
क्या पंक्तियाँ लिखी है आपने ......awesome.
जभी तो भावनाओं को सब्दों में पिरोना अगर आसान होता तो मैं भी आपकी तरह कवी होता ...!
सिखाजी का बात त एकदम मत मानिएगा... किसी का तमन्ना को चुप कराना जरूरी है..लेकिन ख़्वाब को धकियाना, बहुत सम्भल कर..हर ख्वाब का माथा पर लिखा होता है FRAGILE..WITH CARE!! अऊर तब्बे एगो सायर बोल गए हैं
ख्वाब तो काँच से भी नाज़ुक हैं
टूटने से उन्हें बचाना है.
बहुत खूबसूरत नज्म!!
वाह! कमाल करती हैं आप भी, बेहतरीन!
जो कुछ भीतर जल रहा है
उसे थोड़ा और जलने दो
तमन्ना हर किसी की नहीं जागती
सो तमन्नाओं को पलने दो
मनुष्य अपनी तमन्नाओं, ख्वाबों को फांसी पर लटकाकर क्या जिंदा रहता है...
शायद नहीं..
रचना ने फिर सोचने का काम दे दिया.
फिर एक बार मेरी बधाई
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!
--
बहुत-बहुत बधाई!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
mithun ki style me...kya baat kya baat kya baat ...hehe khab ka thithakna ..shandaar hai mumma...
...वाह!
संगीता जी, आप बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित लिखती हैं. मेरी शुभ कामनाएं स्वीकारें.
सादर
मदन मोहन 'अरविन्द'
सुंदर अभिव्यक्ति...ख्वाब का ठिठकना...
kya kare, kabhi kabhi chah kar bhi hum apni tammnnai khul kar keh nahi paate.
...बेहतरीन!!!
अले वाह, कित्ती छोटी, पर प्यारी कविता....
संगीता जी, कविता पढकर लगा जैसे गागर में सागर समा गया हो।
………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
बेहतरीन क्षणिका !
श्श्शश्श ...हम भी ठिठक गये
are, bade agyakari hain. hamen bol kar dekho ham to nahin rukane vale.
bahut sundar likha hai.
bahut shandar..
shabad hi thithak gaye...... sunder panktiyan...
सारे मेरे ख्वाब
ठिठककर
रुक गए.....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित
यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी...
आदरणीया....
नज़्म छोटी ज़ुरूर है मगर कहन के हिसाब से कई दीवानों के माफिक है....."तमन्ना जब इशारा कर दे तो ख्वाबों का सहमना स्वाभाविक है" , इस नजरिये को बहुत खूब सूरती से बयान किया है.....अच्छी रचना हम तक पहुँचाने का दिल से आभार .
बिना कहे ही सारे ख्वाब साकार हो गये \वह गागर में सागर |
बहुत ही सुन्दर शब्द इस रचना के बधाई ।
Sunder Abhivayakti.......Congrats.
Very nice...........!
बहुत खूब ...क्षण में ही मौन की झलक मिलती है जब सब कुछ ठहर जाता है ...जैसा यहाँ हुआ ।
bahut sunder
बिना कहे ही सबकुछ कह दिया आपने ....., गागर मे सागर ।
sangeeta ji choti parantu gaharaiyo se nikle yah jajbaat.beintaha khoobsurat.
poonam
kitni khoobsurat baat kahi hai...kuch lazon mein!
charchamanch par jikra ke liye tahe dil se aabhar :)
बहुत खूब ... कुछ ही शब्दों में गहरी बात ... कभी कभी कम शब्द पूरा इतिहास लिख जाते हैं ...
kam शब्दो मे बहुत ही गम्भीर बात है आपकी ,सुन्दर
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!
kya baat hai ...
Wah . Kwab to kwab hain thithke hain to chal bhee padenge. Sakar bhee honge. Sunder chitr aur shabd.
...बेहतरीन!!!
उम्दा रचना...शानदार
ांअअकी रचनाओं मे यही एक खास बात होती है कि कम शब्दों मे बहुत बडी बात कह देती हैं । सुन्दर रचना बधाई
arre wah!!! :D
http://liberalflorence.blogspot.com/
bahut sundar !
ये चोट तो अपने साथ हुई थी.........
अति उत्तम .......
बहुत सुन्दर!
घुघूती बासूती
bauhat acchi...
कहीं गहरे में जा कर ये एहसास भी उतरा होगा !
पता नहीं होठों पर ऊंगली वाला कौन चेहरा होगा ?
बहुत अच्छी रचना है।
संगीता जी, आप के मोती तो अनमोल हैं. इतने कम शब्दों में सम्वेदन के बड़े खंड को बांधकर पेश करना सचमुच मुश्किल काम है, पर वह आप कर लेती हैं. यह विशाल सागर में मोती ढूढने जैसा ही है. मैं जबसे ब्लाग की दुनिया में आया हूं आप का स्नेह लगातार मिलता रहा है. साखी पर आप की मौजूदगी मेरा मनोबल बढाने में सहायक होगी. धन्यवाद.
behad khoobsurat.
देखन में छोटे लगे पर घाव करे गंभीर
Sunder....
Oh really! Beautiful
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