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ख़्वाबों से मिट्ठी ......

>> Thursday 5 August 2010


ख़्वाबों से 

मिट्ठी  करके

फिर सजा लिया है

मैंने  उनको 

अपनी पलकों पर ,

ख्वाब ना हों तो

आँखें पथरा सी

जाती हैं.......



74 comments:

kshama Thu Aug 05, 06:15:00 pm  

ख्वाब ना हों तो

आँखें पथरा सी

जाती हैं.......
Janti hun,jab aisa hota hai to kaisa lagta hai..

Sunil Kumar Thu Aug 05, 06:21:00 pm  

बहुत खूब , मुवारक हो

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Thu Aug 05, 07:36:00 pm  

सच ही कहा है..
ख्वाब के बगैर आंखें कितनी सूनी हो जाती हैं...
वाह....वाह.

डॉ टी एस दराल Thu Aug 05, 07:38:00 pm  

मिट्ठी का मतलब समझ नहीं आया जी ।

अरुण चन्द्र रॉय Thu Aug 05, 07:50:00 pm  

खाबों से मिट्ठी जो हो जाए जिन्दगी खूबसूरत हो जाती है.. छोटी किन्तु भावपूर्ण रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) Thu Aug 05, 08:05:00 pm  

सभी पाठकों का आभार ...

डा० दराल ,

मिट्ठी का मतलब दोस्ती...बचपन में बच्चे .कट्टी और मिट्ठी करते रहते हैं न अपने दोस्तों के साथ ...बस वही .. :):)

मनोज कुमार Thu Aug 05, 08:12:00 pm  

ओह!
और मैं इसे मीठी पढ रहा था, अपनी तरफ़ से सुधार करके।

Taru Thu Aug 05, 08:22:00 pm  

:):):)

bahut nanhi hi khoobsoorat baat kahi Mumma...:)
aur sateek bhi hai......ankhon ko khaali ni rakhna chahiye..hehhee..:)

मनोज कुमार Thu Aug 05, 08:22:00 pm  

बिना ख़्वाब के आंखें पथरा जाती हैं ...
कवयित्री की भाषिक संवेदना पाठक को ख़्वाब की दुनिया की हक़ीक़त का सैर कराने में सक्षम है ...

sheetal Thu Aug 05, 08:36:00 pm  

khwabo se kaun bichadna chahta hain,
dil main apne hamesha basaye rakhna chahta hain.
palko par phir se inhe sajaa kar,dosti ki nayi shuruaat karna chahta hain.

khwab ke bager aankhe sachmuch suni ho jaati hain.

ब्लॉ.ललित शर्मा Thu Aug 05, 09:01:00 pm  

हां जी,कट्टी(खट्टी)के मिट्ठी होना भी जरुरी है।

आभार

रश्मि प्रभा... Thu Aug 05, 09:02:00 pm  

ख़्वाबों के बगैर आँखें निस्तेज

ताऊ रामपुरिया Thu Aug 05, 09:05:00 pm  

बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति.

रामराम.

Aruna Kapoor Thu Aug 05, 09:43:00 pm  

बिलकुल सही कहा संगीताजी!... आंखें और ख्वाब भला कभी अलग भी रह सकते है?...सुंदर रचना मेरे सामने है!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Thu Aug 05, 09:47:00 pm  

क्षणिका बहुत बढ़िया लिखी है आपने!

Armughan Thu Aug 05, 09:59:00 pm  

Achha msg hai. Khwab dekha jae tabhi pura karne ki koshish ki jati hai. Mera khwab Insaniyat ki seva hai. Kyonki mujhe lagta hai ki Insaniyat ki seva karna sabse achha kaam hai.

राजकुमार सोनी Thu Aug 05, 10:45:00 pm  

एक बार फिर मैं पंजाबी के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह पाश को कोड़ करूंगा
सचमुच सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना
ख्वाब को तो किसी भी सूरत में जिन्दा रखना होगा
ख्वाब श्रृंखला पर लिखी गई यह रचना भी उत्कृष्ट बन पड़ी है...
एक बात तो बताइए आपके ख्वाबों में किसकों दाखिल होने की इजाजत है...

TRIPURARI Thu Aug 05, 10:50:00 pm  

आज के दौर में अगर आँखें पथरा जाये तो कोई मुश्किल नहीं है मगर ऐसा न हो तो बेहतर है ।

प्रवीण पाण्डेय Thu Aug 05, 10:55:00 pm  

ख्वाब ही जीवन की राह दिखाते हैं।

सम्वेदना के स्वर Thu Aug 05, 11:16:00 pm  

संगीता दी,
ख़्वाबों से कुट्टी ही क्यों की ...
किसी की तमन्ना होठों पर उँगली रखकर आपके ख़्वाबों को ठिठकने पर मजबूर करती है...कभी ख्वाहिशों की कमी के कारण ख़्वाबों के अम्बार आँखें नम कर जाते हैं...कभी ये ज़िद्दी बच्चों की तरह ज़बरदस्ती चले आते हैं...कभी कोई ख़्वाबों में आकर बिना दस्तक दिए चला जाता है आपके...
जब ख़्वाबों ने इतने रूप दिखाए हैं आपको तो फिर कुट्टी ही क्यों… और फिर मिट्ठी भी... मैं तो दीदी को छोड़कर ख़्वाबों की साइड में हूँ... जब आँखें पथरा जाएंगी तब कहूँगा इनसे कि चल खुसरो घर आपने रैन भई चहुँ देस!!
संगीता दी बहुत ख़ूबसूरत नज़्म!!

अनामिका की सदायें ...... Thu Aug 05, 11:36:00 pm  

आप की रचना 06 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com

आभार

अनामिका

rashmi ravija Thu Aug 05, 11:53:00 pm  

सुन्दर अभिव्यक्ति...सपने के बिना तो निस्तेज हैं आँखें

लोकेन्द्र सिंह Fri Aug 06, 12:27:00 am  

ख्वाब न हों तो हमें नींद भी नहीं आती है
और तो और ख्वाब में ही उस हंसी परी से मुलाकात हो पाती है....
बहुत उम्दा रचना..........

Anonymous Fri Aug 06, 12:36:00 am  

bahut khub...lajawab...

Sadhana Vaid Fri Aug 06, 01:36:00 am  

भगवान से यही प्रार्थना है कि ख़्वाबों से आपकी मिट्ठी हमेशा कायम रहे और आपकी आँखों को कभी पथराने की तकलीफ से ना गुजरना पड़े ! बहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण रचना संगीताजी ! बहुत बहुत बधाई

Asha Lata Saxena Fri Aug 06, 06:52:00 am  

एक नया सोच लिये रचना |
बधाई |
आशा

Satish Saxena Fri Aug 06, 08:16:00 am  

संगीता जी ,
बहुत दिन बाद मिट्ठी शब्द का प्रयोग सुना ...आनंद आ गया रूहेलखंड क्षेत्र में यह शब्द बच्चों में बहुत प्रचलित है , प्यारी रचना के लिए शुभकामनायें

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) Fri Aug 06, 08:25:00 am  

सुन्दर अभिव्यक्ति......... सुंदर रचना....

वाणी गीत Fri Aug 06, 08:25:00 am  

ख्वाब ना हो तो आँखें पथरा जाती हैं ...
सच कहा ...!

sanu shukla Fri Aug 06, 09:25:00 am  

ख्वाब ना हों तो

आँखें पथरा सी

जाती हैं.......|

एकदम सच बात है...सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

Udan Tashtari Fri Aug 06, 10:13:00 am  

बहुत उम्दा!

समयचक्र Fri Aug 06, 10:17:00 am  

भावपूर्ण उम्दा रचना ...

परमजीत सिहँ बाली Fri Aug 06, 11:24:00 am  

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

परमजीत सिहँ बाली Fri Aug 06, 11:25:00 am  

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

शारदा अरोरा Fri Aug 06, 11:51:00 am  

सपना होगा तो उड़ान होगी ...
लहर होगी तो शान होगी

Parul kanani Fri Aug 06, 11:56:00 am  

ab to bas kehna padega..'waah'!

shikha varshney Fri Aug 06, 11:56:00 am  

ख़्वाबों से कट्टी करके तो आँखें सूनी ही रहेंगी..मिट्ठी करने में ही भलाई है :)

रेखा श्रीवास्तव Fri Aug 06, 12:55:00 pm  

ख़्वाब ही तो जिन्दगी की सीढ़ी जिस पर चढ़ कर मंजिलों की तरफ बढ़ा जा सकता है. इनसे रूठ कर तो गति ही थम जायेगी. ख़्वाब ही दिशा है, मंजिल की ओर इशारा करते हुए दिग्दर्शक हैं. बस इसी तरह से चले चलिए आँखों में ख़्वाबबसाये.

डॉ टी एस दराल Fri Aug 06, 01:15:00 pm  

संगीता जी , अच्छा हुआ जो लाज शर्म सब छोड़कर हमने मिट्ठी का मतलब पूछ लिया । हमरे साथ औरों को भी समझ आ गया ।
बचपन में कट्टी शब्द तो सुना था हालाँकि कभी किसी से की नहीं। लेकिन मिट्ठी कभी नहीं सुना था , जबकि करते सब से रहे ।
अब तो रचना का आनंद दुगना हो गया । आभार ।

vandana gupta Fri Aug 06, 02:25:00 pm  

ख्वाब बिना तो ज़िन्दगी भी अधूरी है इनका पलकों पर सजे रहना बहुत जरूरी है……………बेहद सुन्दर भाव्।

Armughan Fri Aug 06, 02:30:00 pm  

मुझे क्षमा करना, मेरे प्रिय पाठकों! मुझे क्षमा करना, मैं अपनी और अपनी तमाम मुस्लिम बिरादरी की ओर से आप से क्षमा और माफ़ी माँगता हूँ जिसने मानव जगत के सब से बड़े शैतान (राक्षस) के बहकावे में आकर आपकी सबसे बड़ी दौलत आप तक नहीं पहुँचाई उस शैतान ने पाप की जगह पापी की घृणा दिल में बैठाकर इस पूरे संसार को युद्ध का मैदान बना दिया। इस ग़लती का विचार करके ही मैंने आज क़लम उठाया है...

आपकी अमानत

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Fri Aug 06, 02:52:00 pm  

"ख्वाब ना हों तो


आँखें पथरा सी


जाती हैं......."

बहुत सुन्दर संगीता जी ! ख्वाबो के बगैर शायद इन्सान ठीक से जी भी न पाए !

मुकेश कुमार सिन्हा Fri Aug 06, 02:53:00 pm  

ख्वाब ना हों तो


आँखें पथरा सी


जाती हैं.......

sachchi di! ham to isliye jagte aankho se bhi khabab dekhte hain.........:)

SATYA Fri Aug 06, 03:56:00 pm  

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Anonymous Fri Aug 06, 04:26:00 pm  

बहुत सुन्दर!

RADHIKA Fri Aug 06, 05:10:00 pm  

वाह संगीता जी क्या कहूँ इतने कम शब्दों में इतनी बड़ी बात .बस वाह वाह वाह वाह

RADHIKA Fri Aug 06, 05:10:00 pm  

वाह संगीता जी क्या कहूँ इतने कम शब्दों में इतनी बड़ी बात .बस वाह वाह वाह वाह

आपका अख्तर खान अकेला Fri Aug 06, 05:44:00 pm  

sngitaa bhn bhut khub aankh,mitti or khvaab kaa chn alfaazon men yeh vistrit vrnn qaabile taaif he, bdhayi ho . akhtar khan akela kota rajsthan

VIVEK VK JAIN Fri Aug 06, 11:10:00 pm  

aapki har post khoobsurat hoti h........mere paas comment karne layak tazurba to nhi h, phir bhi 'sukhe phool' aur' shhhhh' bahut pasand ayi.

रचना दीक्षित Fri Aug 06, 11:30:00 pm  

बहुत सुन्दर भाव् अभिव्यक्ति है।बधाई।

Urmi Sat Aug 07, 12:14:00 pm  

वाह बहुत खूब लिखा है आपने! आखिर ख़्वाब ही हमें जीवन की राह दिखाती है और बिना ख़्वाब देखे कुछ भी नहीं कर सकते हम !

Rajeev Sharma Sat Aug 07, 01:04:00 pm  

aap ki prastuti hakikat byan karti hai

सु-मन (Suman Kapoor) Sat Aug 07, 06:20:00 pm  

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....................

मुदिता Sat Aug 07, 06:49:00 pm  

दीदी ,
इतनी प्यारी बात कही...पढते ही मुस्कराहट आ गयी होठों पे ....मुझे तो पता ही नहीं था कि आपने ख़्वाबों से कुट्टी भी की थी....चलो अच्छा हुआ मिट्ठी कर ली....अब आँखें चमकेंगी उन ख़्वाबों के नूर से ....:)

mukti Sun Aug 08, 02:27:00 am  

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं...अब ख़्वाबों से कट्टी-मिट्ठी भी... :-)
और उस पर प्रवीण जी की टिप्पणी भी क्या खूब है. पोस्ट देर से पढ़ने का मज़ा ही कुछ और है. प्यारी सी प्सोत पर प्यारी सी टिप्पणियाँ पढ़ने को मिलती हैं... बोनस के रूप में.

Aruna Kapoor Mon Aug 09, 12:12:00 pm  

आपकी शुभकामनाएं मेरे लिए अमूल्य निधि है!....धन्यवाद!

Shri"helping nature" Mon Aug 09, 03:49:00 pm  

is choti si rachna ne to jaan hi le li bahut khub

सदा Mon Aug 09, 04:19:00 pm  

बहुत ही खूबसूरत शब्‍दों का उपयोग किया है आपने, भावपूर्ण प्रस्‍तुति ।

Akshitaa (Pakhi) Mon Aug 09, 04:29:00 pm  

आपने तो बहुत सुन्दर लिखा...

anita saxena Tue Aug 10, 08:08:00 am  

संगीता जी ख़्वाबों से मिट्ठी करके जिंदगी जीने का अंदाज क्या खूब है ...फिर एक नया सपना देखने का मन कर रहा है ....
और हॉं आपका एक संदेश मिला है मुझे कि मंगलवार 10 अगस्त को मेरी रचना चर्चा मंच पर ली जा रही है कृपया मुझे विस्तार से इस बारे में बताने का कष्ट करेंगी ।.

कविता रावत Tue Aug 10, 02:24:00 pm  

ख्वाब ना हों तो
आँखें पथरा सी
जाती हैं.......
...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
...धन्यवाद!

मुकेश कुमार तिवारी Tue Aug 10, 02:44:00 pm  

संगीता जी,

शायद यही जीवन संदेश भी है ख्वाबों को फिरसे सजा लेना आँखों पर।

बहुत सुन्दर!

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

चर्चामंच मे "कवितायन" को शामिल किये जाने के लिये आभार, धन्यवाद।

दिगम्बर नासवा Tue Aug 17, 06:03:00 pm  

बात कही है ... सच में ख्वाब न हों तो जीवन नही ...

देवेन्द्र पाण्डेय Mon Sept 06, 11:40:00 pm  

ख़्वाबों से
मिट्ठी करके..........

..आपकी छोटी-छोटी कविताएँ बड़ी-बड़ी बातें करती हैं।
एक-एक पर लम्बी चर्चा हो सकती है।

अनुपमा पाठक Sun Sept 19, 01:20:00 am  

dreams keep us alive!
lovely expression!
regards,

Neelam Tue Sept 21, 10:46:00 am  

bahut khoob...har nzm ki tarah behadd umda.


सपना सपना ही रहने दो,
सपने मैं ही सही तुम्हे अपना कहने दो,

तुम्हें मुबारक हो घर अपना
दीवारों से मुझको लिपटा रहने दो,

मील के पत्थर बताते हैं मंजिल का पता.
पत्थर ही सही उसे मेरा हम सफ़र रहने दो,

इंतज़ार की हद्द बाकी है अभी,
आँखों को मरने के बाद भी खुला रहने दो,

सपना सपना ही रहने दो,
सपने मैं ही सही तुम्हे अपना कहने दो.

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