कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
Har din padhte kavita teri.. Har din ka hai bhav alag.. Jaise marham alag se hote.. Jab hote hain ghav alag.. Khamoshi aankhon main jab bhi.. chipk ke baithe agar kahin.. Man ki chhoti khushi se bhi.. Usko khurchen jaldi hi..
संगीता दी, ज़ेहन से चिपकी हुई ख़ामोशी अच्छी नहीं होती... आँसुओं की बारिश पर सब्र की छतरी लगाइए और खामोशी को ज़ेहन पर काबिज मत होने दीजिए... बिल्कुल नए विचार..
पुनश्चः ये स्वप्निल क्यों लापता है और शिखा जी ने 16 जुलाई के बाद से 'दी' नहीं लिखा अपनी टिप्पणियों में… (मज़ाक)
पिछले कुछ दिनों से आप लगातार खामोशी से ही अपनी बात कह रही है, लेकिन यह बात बहुत बड़ी और सार्थक है मुझे लगता है कि कुछ आपको अपने सबसे निकटतम को चुपके से बता ही देनी चाहिए इतनी खामोशी भी ठीक नहीं है कई बार चुप्पी नुकसानदायक होती है और यह भी जरूरी नहीं है कि हर बार चुप्पी किसी भाषा का रूप लें. रचना बहुत ही शानदार है
sangeeta ji main mafi chahti hoon aapki rachna par brabar nahi aa saki ,bahar thi bhopal me 10 dino me wapas aai hoon ,har baar ki tarah laazwaab rachna ,jai hind .dhero badhai is aazadi ke avasar par .
aapki sabse badi khasiyat yahi hai ki aap vastav mein shbdon ko moti ki tarah tarash deti hai...bahut lambi-chaudi baat na hokar..kam shbdon mein ek sundar nazm likh deti hai..aur jahir hai..hamesha hi acchi lagti hai ye chamak :)
sageeta di, dard se bhari behad bhau purn nazm .bahut hi achhi lagi .par mai thorda confus ho rahi hun.pairahan ka matlab theek -thkk sahi se nahi samajh paai aisa mujhe lagta hai. poonam
74 comments:
खामोशियों में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
यह और बात है, दुनियां इसे न पहचाने।
बहुत संवेदनशील!
संगीता जी...
भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए आपके पास शब्द गोया खुद चलकर आते हैं...
टीस बहुत है इन शब्दों में...
Aap to khamosh kar deteen hain! Kya kahun??
रूपक प्रशंसनीय ।
ख़ामोशी की भी अपनी जुबान होती है :) बेहतरीन अभिव्यक्ति दी !
bahut sundar bhavon ko prastut kiya hai.
खामोशी की भी अपनी जुबान होती है,
जिसमें दिल की हर टीस बयान होती है !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति संगीता जी !
humesha ki tarah aapki rachna bahut badhiya lagi
क्या रचनाएँ लिखती है
आप संगीता जी.....
कम से कम शब्दों में इतना कुछ कहा जाती है
की हमारे शब्द भी कम पड़ जाते हैं .....
मजबूरी और कसक लिए दर्द भरी रचना .
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति..मेरा पहले किया कमेंट खो गया.
Hi di..
Har din padhte kavita teri..
Har din ka hai bhav alag..
Jaise marham alag se hote..
Jab hote hain ghav alag..
Khamoshi aankhon main jab bhi..
chipk ke baithe agar kahin..
Man ki chhoti khushi se bhi..
Usko khurchen jaldi hi..
Deepak..
खामोशियों की पैरहन और आंसुओं की बारिश....बहुत अच्छी लगी
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
एक एक शब्द से संवेदना टपकती हुयी।
sangeeta di, ki iss khasiyat ka jabab nahi.......kuchh shabd liya aur sab kuchh usme bhi bata diya..:)
hai na di!
khamoshi ka chitran itna sahaj!!
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना और उस पर मनोज जी की टिप्पणी... सोने पर सुहागा.
बहुत सुन्दर ्खामोशी की अभिव्यक्ति।
bahut sundar
संगीता दी,
ज़ेहन से चिपकी हुई ख़ामोशी अच्छी नहीं होती... आँसुओं की बारिश पर सब्र की छतरी लगाइए और खामोशी को ज़ेहन पर काबिज मत होने दीजिए... बिल्कुल नए विचार..
पुनश्चः ये स्वप्निल क्यों लापता है और शिखा जी ने 16 जुलाई के बाद से 'दी' नहीं लिखा अपनी टिप्पणियों में… (मज़ाक)
वाह क्या खूब लिखा है आपने! भावनाओं को आपने बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है!
जेहन से
इसे उतारने की
कोशिश भी
नाकाम हो चली है ॥
अद्भुत सुन्दर रचना!
Chand alfaaz aur kya kuchh kah guzarteen hain aap!
bahut samvedansheel abhivakti!
bahut khoob...................
blog ki duniyan me main apse naya hun.aapka blog aur charcha manch sarahneey hai
जैसे सारी संवेदनायें कुछ शब्दों मे सिमट गयी हों बहुत अच्छी लगी रचना । आभार।
बहुत सुन्दर
सुंदर अभिव्यक्ति.
रामराम.
bahut hi khoobsuart....
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..
Banned Area News : http://bannedarea.blogspot.com/2010/08/pravin-mani-tuning-background-score-for.html
खामोशियों की
पैरहन को
आँखों की
बारिश ने
भिगो दिया है ....
चलिए यही सही... बारिश ने मेहरबानी किसी जगह तो की है!...सुंदर रचना!
khubsurat Ahsaas...Sundar!!
Dhanywaad
सुन्दर बिम्ब का प्रयोग किया.. वाह..
सुन्दर नज़्म.
bahut sundar!!
बहुत ही खूबसूरत....... सलाम आपकी कविताओं-क्षणिकाओं को।
सार्थक और बहुत सुंदर
aapki anmol rai or hoshala badhane hetu dhnyabad.........
Thanks sangeeta ji , hata diyaa
...bahut sundar !!!
सार्थक और बहुत सुंदर
बहुत
सुन्दर
अहसास
अच्छा लगा
धन्यवाद
बहुत
सुन्दर
अहसास
अच्छा लगा
धन्यवाद
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http://www.hummingwords.in/
पिछले कुछ दिनों से आप लगातार खामोशी से ही अपनी बात कह रही है, लेकिन यह बात बहुत बड़ी और सार्थक है
मुझे लगता है कि कुछ आपको अपने सबसे निकटतम को चुपके से बता ही देनी चाहिए
इतनी खामोशी भी ठीक नहीं है
कई बार चुप्पी नुकसानदायक होती है
और यह भी जरूरी नहीं है कि हर बार चुप्पी किसी भाषा का रूप लें.
रचना बहुत ही शानदार है
hamesha aapke blog pe aakar kuch nya seekh k jata hoon.
संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचना. जो मेरी खामोशियों की पैरहन को भी भिगो गयी.
HAPPY INDEPENDENCE DAY.....
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
आपको और आप के सभी चाहने वालों को आज का दिन मुबारक हो। ब्लाग़ पर आगमन के धन्यवाद।
स्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.
बहुत ही खूबसूरत वाह..
छोटी लेकिन बहुत अच्छी रचना.
बहुत खूब !
wonderful expression!!!
sangeeta ji main mafi chahti hoon aapki rachna par brabar nahi aa saki ,bahar thi bhopal me 10 dino me wapas aai hoon ,har baar ki tarah laazwaab rachna ,jai hind .dhero badhai is aazadi ke avasar par .
BAHUT HEE ACHCHHI RACHNA...
खूबसूरती से व्यक्त भावनाएं...साधुवाद.
_________________________
'शब्द-शिखर' पर प्रस्तुति सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान
तभी तो ये खामोशियाँ जीवन बन जाती हैं ... अलग नही होती ...
bahut hi accha likha hai ji....
aapki sabse badi khasiyat yahi hai ki aap vastav mein shbdon ko moti ki tarah tarash deti hai...bahut lambi-chaudi baat na hokar..kam shbdon mein ek sundar nazm likh deti hai..aur jahir hai..hamesha hi acchi lagti hai ye chamak :)
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बधाई ।
आदरणीया संगीता जी,
रचना, चित्र,रचना का टाइटल तीनो ही बेहतरीन है
एक दम परफेक्ट कॉम्बिनेशन
इस रचना के लिए धन्यवाद
कित्ती प्यारी कविता ...बधाई.
ओह ...क्या कहूँ....
लाजवाब.... !!!
nahut kuch keh diay in barish ki
bundon ne
nice
sageeta di, dard se bhari behad bhau purn nazm .bahut hi achhi lagi .par mai thorda confus ho rahi hun.pairahan ka matlab theek -thkk sahi se nahi samajh paai aisa mujhe lagta hai.
poonam
galib ki yaad aa gayii..............
chipak raha hai lahoo se badan pe perahan
hamari jeb ko ab hajat-e-rafoo kya hai ?
आदरणीय मैडम,
बहुत - बहुत धन्यवाद . आप जैसे ज्ञानी लोगों के टिप्पणी से ही मुझे कविता की नई प्रेरणा मिलती है , मैंने आपका ब्लॉग देखा , अतुलनीय कार्य कर रहे हैं आप .
Vah kya likhaa hai...
bahut sunder kavita hai....... thode se shabdo me bahut arth daal deti hai aap.
bahut hi behtarin rachana hai
वाह संगीता जी..
थोड़े से शब्द...भिगो गए मन को.
सादर.
.बहुत खूब.....
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