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भीगी खामोशी

>> Tuesday, 10 August 2010




खामोशियों  की 

पैरहन को 

आँखों की 

बारिश ने 

भिगो दिया है 

इतना कि

चिपक कर 

रह गयी है 

जेहन से 

इसे उतारने की

कोशिश भी 

नाकाम हो चली है ..









.

74 comments:

मनोज कुमार Tue Aug 10, 09:32:00 pm  

खामोशियों में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
यह और बात है, दुनियां इसे न पहचाने।
बहुत संवेदनशील!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' Tue Aug 10, 09:37:00 pm  

संगीता जी...
भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए आपके पास शब्द गोया खुद चलकर आते हैं...

Avinash Chandra Tue Aug 10, 09:41:00 pm  

टीस बहुत है इन शब्दों में...

kshama Tue Aug 10, 09:55:00 pm  

Aap to khamosh kar deteen hain! Kya kahun??

अरुणेश मिश्र Tue Aug 10, 09:57:00 pm  

रूपक प्रशंसनीय ।

shikha varshney Tue Aug 10, 09:57:00 pm  

ख़ामोशी की भी अपनी जुबान होती है :) बेहतरीन अभिव्यक्ति दी !

Sadhana Vaid Tue Aug 10, 11:07:00 pm  

खामोशी की भी अपनी जुबान होती है,
जिसमें दिल की हर टीस बयान होती है !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति संगीता जी !

Mithilesh dubey Tue Aug 10, 11:51:00 pm  

humesha ki tarah aapki rachna bahut badhiya lagi

Unknown Wed Aug 11, 12:48:00 am  

क्या रचनाएँ लिखती है
आप संगीता जी.....
कम से कम शब्दों में इतना कुछ कहा जाती है
की हमारे शब्द भी कम पड़ जाते हैं .....

Alpana Verma Wed Aug 11, 02:43:00 am  

मजबूरी और कसक लिए दर्द भरी रचना .

Udan Tashtari Wed Aug 11, 06:37:00 am  

बहुत उम्दा अभिव्यक्ति..मेरा पहले किया कमेंट खो गया.

Deepak Shukla Wed Aug 11, 06:46:00 am  

Hi di..

Har din padhte kavita teri..
Har din ka hai bhav alag..
Jaise marham alag se hote..
Jab hote hain ghav alag..
Khamoshi aankhon main jab bhi..
chipk ke baithe agar kahin..
Man ki chhoti khushi se bhi..
Usko khurchen jaldi hi..

Deepak..

रश्मि प्रभा... Wed Aug 11, 07:20:00 am  

खामोशियों की पैरहन और आंसुओं की बारिश....बहुत अच्छी लगी

राजभाषा हिंदी Wed Aug 11, 08:35:00 am  

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

प्रवीण पाण्डेय Wed Aug 11, 08:49:00 am  

एक एक शब्द से संवेदना टपकती हुयी।

मुकेश कुमार सिन्हा Wed Aug 11, 10:24:00 am  

sangeeta di, ki iss khasiyat ka jabab nahi.......kuchh shabd liya aur sab kuchh usme bhi bata diya..:)

hai na di!

aradhana Wed Aug 11, 11:37:00 am  

बहुत ही ख़ूबसूरत रचना और उस पर मनोज जी की टिप्पणी... सोने पर सुहागा.

vandana gupta Wed Aug 11, 12:15:00 pm  

बहुत सुन्दर ्खामोशी की अभिव्यक्ति।

सम्वेदना के स्वर Wed Aug 11, 01:02:00 pm  

संगीता दी,
ज़ेहन से चिपकी हुई ख़ामोशी अच्छी नहीं होती... आँसुओं की बारिश पर सब्र की छतरी लगाइए और खामोशी को ज़ेहन पर काबिज मत होने दीजिए... बिल्कुल नए विचार..

पुनश्चः ये स्वप्निल क्यों लापता है और शिखा जी ने 16 जुलाई के बाद से 'दी' नहीं लिखा अपनी टिप्पणियों में… (मज़ाक)

Urmi Wed Aug 11, 01:17:00 pm  

वाह क्या खूब लिखा है आपने! भावनाओं को आपने बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है!
जेहन से
इसे उतारने की
कोशिश भी
नाकाम हो चली है ॥
अद्भुत सुन्दर रचना!

shama Wed Aug 11, 01:25:00 pm  

Chand alfaaz aur kya kuchh kah guzarteen hain aap!

anoop joshi Wed Aug 11, 04:36:00 pm  

bahut khoob...................

जयकृष्ण राय तुषार Wed Aug 11, 05:45:00 pm  

blog ki duniyan me main apse naya hun.aapka blog aur charcha manch sarahneey hai

निर्मला कपिला Wed Aug 11, 07:33:00 pm  

जैसे सारी संवेदनायें कुछ शब्दों मे सिमट गयी हों बहुत अच्छी लगी रचना । आभार।

ताऊ रामपुरिया Wed Aug 11, 11:01:00 pm  

सुंदर अभिव्यक्ति.

रामराम.

Anonymous Thu Aug 12, 10:43:00 am  

bahut hi khoobsuart....

Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

Banned Area News : http://bannedarea.blogspot.com/2010/08/pravin-mani-tuning-background-score-for.html

Aruna Kapoor Thu Aug 12, 11:36:00 am  

खामोशियों की


पैरहन को


आँखों की


बारिश ने


भिगो दिया है ....
चलिए यही सही... बारिश ने मेहरबानी किसी जगह तो की है!...सुंदर रचना!

दीपक 'मशाल' Thu Aug 12, 12:34:00 pm  

सुन्दर बिम्ब का प्रयोग किया.. वाह..

लोकेन्द्र सिंह Fri Aug 13, 01:17:00 am  

बहुत ही खूबसूरत....... सलाम आपकी कविताओं-क्षणिकाओं को।

Anonymous Fri Aug 13, 11:58:00 am  

सार्थक और बहुत सुंदर

anoop joshi Fri Aug 13, 12:38:00 pm  

aapki anmol rai or hoshala badhane hetu dhnyabad.........

sonal Fri Aug 13, 01:54:00 pm  

Thanks sangeeta ji , hata diyaa

संजय भास्‍कर Sat Aug 14, 10:27:00 am  

सार्थक और बहुत सुंदर

सूबेदार Sat Aug 14, 12:04:00 pm  

बहुत
सुन्दर
अहसास
अच्छा लगा
धन्यवाद

सूबेदार Sat Aug 14, 12:04:00 pm  

बहुत
सुन्दर
अहसास
अच्छा लगा
धन्यवाद

HUMMING WORDS PUBLISHERS Sat Aug 14, 12:19:00 pm  

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राजकुमार सोनी Sat Aug 14, 12:58:00 pm  

पिछले कुछ दिनों से आप लगातार खामोशी से ही अपनी बात कह रही है, लेकिन यह बात बहुत बड़ी और सार्थक है
मुझे लगता है कि कुछ आपको अपने सबसे निकटतम को चुपके से बता ही देनी चाहिए
इतनी खामोशी भी ठीक नहीं है
कई बार चुप्पी नुकसानदायक होती है
और यह भी जरूरी नहीं है कि हर बार चुप्पी किसी भाषा का रूप लें.
रचना बहुत ही शानदार है

VIVEK VK JAIN Sat Aug 14, 01:34:00 pm  

hamesha aapke blog pe aakar kuch nya seekh k jata hoon.

अनामिका की सदायें ...... Sat Aug 14, 07:27:00 pm  

संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचना. जो मेरी खामोशियों की पैरहन को भी भिगो गयी.

Anonymous Sun Aug 15, 10:40:00 am  

HAPPY INDEPENDENCE DAY.....
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

भारतेन्दु Sun Aug 15, 11:19:00 am  

आपको और आप के सभी चाहने वालों को आज का दिन मुबारक हो। ब्लाग़ पर आगमन के धन्यवाद।

वन्दना अवस्थी दुबे Sun Aug 15, 02:05:00 pm  

स्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.

रचना दीक्षित Sun Aug 15, 06:40:00 pm  

बहुत ही खूबसूरत वाह..

ज़मीर Mon Aug 16, 06:01:00 am  

छोटी लेकिन बहुत अच्छी रचना.

ज्योति सिंह Mon Aug 16, 03:24:00 pm  

sangeeta ji main mafi chahti hoon aapki rachna par brabar nahi aa saki ,bahar thi bhopal me 10 dino me wapas aai hoon ,har baar ki tarah laazwaab rachna ,jai hind .dhero badhai is aazadi ke avasar par .

Akanksha Yadav Tue Aug 17, 04:50:00 pm  

खूबसूरती से व्यक्त भावनाएं...साधुवाद.
_________________________
'शब्द-शिखर' पर प्रस्तुति सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान

दिगम्बर नासवा Tue Aug 17, 06:02:00 pm  

तभी तो ये खामोशियाँ जीवन बन जाती हैं ... अलग नही होती ...

Anonymous Tue Aug 17, 08:06:00 pm  

bahut hi accha likha hai ji....

Parul kanani Wed Aug 18, 11:48:00 am  

aapki sabse badi khasiyat yahi hai ki aap vastav mein shbdon ko moti ki tarah tarash deti hai...bahut lambi-chaudi baat na hokar..kam shbdon mein ek sundar nazm likh deti hai..aur jahir hai..hamesha hi acchi lagti hai ye chamak :)

सदा Wed Aug 18, 03:32:00 pm  

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, बधाई ।

एक बेहद साधारण पाठक Wed Aug 18, 04:59:00 pm  

आदरणीया संगीता जी,
रचना, चित्र,रचना का टाइटल तीनो ही बेहतरीन है
एक दम परफेक्ट कॉम्बिनेशन
इस रचना के लिए धन्यवाद

Akshitaa (Pakhi) Wed Aug 18, 05:03:00 pm  

कित्ती प्यारी कविता ...बधाई.

रंजना Wed Aug 18, 05:39:00 pm  

ओह ...क्या कहूँ....
लाजवाब.... !!!

Khare A Thu Aug 19, 11:29:00 am  

nahut kuch keh diay in barish ki
bundon ne
nice

पूनम श्रीवास्तव Thu Aug 19, 12:42:00 pm  

sageeta di, dard se bhari behad bhau purn nazm .bahut hi achhi lagi .par mai thorda confus ho rahi hun.pairahan ka matlab theek -thkk sahi se nahi samajh paai aisa mujhe lagta hai.
poonam

निर्झर'नीर Wed Aug 25, 04:30:00 pm  

galib ki yaad aa gayii..............

chipak raha hai lahoo se badan pe perahan
hamari jeb ko ab hajat-e-rafoo kya hai ?

Nityanand Gayen Thu Aug 26, 09:05:00 am  

आदरणीय मैडम,

बहुत - बहुत धन्यवाद . आप जैसे ज्ञानी लोगों के टिप्पणी से ही मुझे कविता की नई प्रेरणा मिलती है , मैंने आपका ब्लॉग देखा , अतुलनीय कार्य कर रहे हैं आप .

Suman Tue Sept 14, 02:35:00 pm  

bahut sunder kavita hai....... thode se shabdo me bahut arth daal deti hai aap.

vidya Mon Jan 16, 09:56:00 pm  

वाह संगीता जी..
थोड़े से शब्द...भिगो गए मन को.
सादर.

रफ़्तार

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