गमकती यादें ..../ हाइकु
>> Wednesday, 12 December 2012
यादों की झड़ी
खुशी - गम का साया
आँखों से झरी ।
सुकून मिला
तेरी यादों का टेसू
गमक गया ।

यादों के घेरे
तुम जैसे सम्मुख
बंद थीं आँखें ।

अमलतास सा
खिला तेरा चेहरा
यादों में बसा ।
कब भूली मैं
पल -पल बिताया
साथ सँजोया ।
दीप बन कर देखो .... / हाइकु
>> Monday, 12 November 2012
मन का दीप
रोशन कर देखो
खुशी ही खुशी
माटी का दिया
एक रात की उम्र
ज्योति से भरा ।
आम आदमी
लगा रहा हिसाब
कैसे हो पर्व ?
लगाएँ बाज़ी
परंपरा के नाम
पत्तों का खेल ।
बम - पटाखे
क्षण भर की खुशी
धुआँ ही धुआँ ।
दीयों की बाती
उजियारा फैलाती
स्वयं जलती ।
दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनायें ।
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हाइकु / दीपावली
आस्था और चाँद / हाइकु
>> Friday, 2 November 2012
चौथ का चाँद
आँखों में उतरता
प्रेम दर्शाये ।
देखा जो चाँद
धरती के चाँद ने
मन हर्षाया ।
उठी निगाहें
चाँद की प्रतीक्षा में
करें अर्चना ।
नेह बंधन
स्वीकारें मन से
चाँद है साक्षी ।
बिना प्रेम के
परंपरा के लिए
न करो व्रत ।
मन की आस्था
चाँद में निहारती
उम्र पति की .
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माँ की भक्ति / हाइकु रचनाएँ
>> Tuesday, 16 October 2012
कन्या पूजन?
दोहरा मापदंड
हत्या भ्रूण की ।

नवरात्रि में
किया माँ का आह्वान
माँ को पूछा क्या ?
शैल पुत्री को
शिला ही बना डाला
पूजें पत्थर ।
माँ की अर्चना
लाउडस्पीकर पे
शोर ही शोर ।
कैसी है भक्ति
नमन पाहन को
माँ तरसती ।
पतझर / हाइकु
>> Thursday, 27 September 2012
झरते पत्ते
देते यह संदेश
जाना तो है ही ।
ये मेरा मन
झर झर जाता है
पीले पत्तों सा ।
ऋतु दबंग
हर लेती है पत्ते
सूनी शाखाएँ ।
पत्रविहीन
कर रहा प्रतीक्षा
नए पत्तों की ।
उदास मन
टूटता है नि:शब्द
पतझर सा ।
बेखौफ पत्ते
छोड़ गए शाखाएँ
पल्लव आयें
सूखे जो पत्ते
टपक ही तो गए
शाख से नीचे ।
पतझर में
पीली हुयी धरती
ज़र्द पत्तों सी ।
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पतझर / हाइकु
घर गुलज़ार .... बिटिया से ( हाइकु )
>> Friday, 24 August 2012
नन्ही बिटिया
महकता आँगन
खुशी के पल ।
पलाश खिले
घर गुलज़ार है
बेटी जो आई ।

प्यारी सी धुन
बिटिया की मुस्कान
गूँजे संगीत .
बेटी का आना
सावन की फुहार
ज़िंदगी मिली .
बेटी मुस्कायी
खिल गयी बगिया
फूल ही फूल .
मेरी है छाया
मन हुलसित है
प्रभु की माया .
दिया जो तूने
आँचल में बेटी को
गोद है भरी .
बिना बेटी के
घर निष्प्राण लगे
नैन तरसें .
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हाइकु । बेटियाँ
खुश्क आँखें
>> Tuesday, 17 July 2012
अब नम नहीं होतीं
मेरी आँखें
ज़िंदगी की तपिश ने
कर दिया है
खुश्क उनको
अब तो जब भी
झपकती हूँ पलक
तो होता है बस
एक एहसास
चुभन का ।
( आँखों में कुछ दिनों से जलन का एहसास हो रहा था , आज डॉक्टर को दिखाईं तो उन्होने बताया कि नमी सूख गयी है इसीलिए इरिटेशन होता है )
ख्वाबों के आँचल
>> Thursday, 5 July 2012
कुछ होते हैं
ख़्वाबों के आँचल
ऐसे भी
जिन्हें ना गुल
और ना ही
कांटे की
दरकार होती है..
बस
बढते हैं
जंगली बेल की तरह
इनसे भी
जिंदगी खुशगवार
होती है .
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छोटी कविता / सर्वाधिकार सुरक्षित
दोस्ती की नींव पर ....... हाइकु रचनाएँ
>> Thursday, 21 June 2012
तुम्हारे बोल झुलसा ही तो गए मन आँगन |
रोने वालों को मिल जाते हैं कंधे तभी रोते हैं |
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मन के छाले रिसते रहे यूं ही नासूर हुये |
आँखों की सुर्खी झरते रहे आँसू खुश्क हुयी मैं |
धुआँ है उठा सुलगता है मन राख़ हुयी मैं |
इंतज़ार क्यों ? तोड़ा है विश्वास हतप्रभ मैं |
तुम्हारी राहें अलग थलग थीं सो ,मैं भटकी |
दुश्मनी कहाँ ? दोस्ती की नींव पर गहरा घाव |
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हाइकु / दोस्ती / संवेदनाएँ
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