कल्पना का इन्द्रधनुष
>> Wednesday, 24 March 2010
कल्पना के
इन्द्रधनुष को
किसी क्षितिज की
दरकार नहीं
ये तो
उग आते हैं
मन के
आँगन के
किसी कोने में ....
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हुनर
>> Saturday, 20 March 2010
उदासी सी मन पर
यूँ ही उतर आई
किसी ने कहा कि
ये भी एक हुनर है .
जो सीख लें हुनर तो
बुराई क्या है
हर हुनर को सीखने का
हौसला होना चाहिए
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नमक
>> Wednesday, 17 March 2010
समझौतों ने कभी भी
मरहम नहीं लगाया
मन की
दरार पर
ये तो
वो नमक है
जो लोग लगा देते हैं
अक्सर जख्म पर , Read more...
वजूद
>> Thursday, 11 March 2010
वजूद के टुकड़े
क्या बांटेंगी
उदास शामें
और ग़मज़दा रातें
जिसने
टुकड़े टुकड़े
जोड़ कर ही
बनाया हो
वजूद अपना .
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ख़्वाबों की कश्ती
>> Sunday, 7 March 2010
ख़्वाबों को कश्ती में
डाल कर
उतार दिया है
इस जहाँ के
दरिया में
मंझधार से बचे
तो बेड़ा पार लगे. Read more...
शबनम .
>> Friday, 5 March 2010
समंदर छलका
जो आँखों का
तो,
बह आई एक लहर
मन के साहिल की
तपती रेत पर
पड़ गयी हो
जैसे शबनम .
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