कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
21 comments:
chtr kavita ek doosare ke poorak hai...........
बिल्कुल सही और सटीक फ़रमाया आपने. बहुत खूबसूरत रचना.
रामराम.
ओये क्या बात है ...टुकड़े टुकड़े जोड़ कर बना वजूद...माशाल्लाह..
Atyanta sundar abhibyakti...
वाह , बहुत खूब ।
बहुत खूब और सटीक अभिव्यक्ति। शुभकामनायें
सच ही कहा आपने हम सभी टुकड़े टुकड़े जोड़ कर ही अपना वजूद बना पाए हैं और फोटो तो क्या कहने!!!!!!!!!1
वाह पहले से ही इतना मंजा हुआ है वजूद...
बढ़िया है...सर्दी /गर्मी/ आंधी/तूफान का कोई असर नहीं पड़ेगा.
Hi..
Kam shabdon main dil chhu lene vali kavita..
Tukdon main to banta jeevan hai..
Tukdon main hi rahna hai..
Gam ki raatain ya fir din hon..
Dard sabhi ko sahna hai..
DEEPAK SHUKLA..
sach bayaan kar diyaa aapne,in panktiyon me...sach tukde tukde sanjo kar hi ek vajood ban paata hai..
बहुत सुन्दर लिखा...बेहतरीन रचना !!
______________
"पाखी की दुनिया" में देखिये "आपका बचा खाना किसी बच्चे की जिंदगी है".
अद्भुत सुन्दर रचना! बेहद पसंद आया!
bahut sundar!
अति सुन्दर प्रस्तुति.
बहुत सुंदर शव्दो से सजाया है आप ने इस सुंदर कविता को.बहुत सुंदर
धन्यवाद
sangeeta ji, bahut hi sadhe shabdon me bahut sachchi bat kahi aapane.itni khubsurat rachna ke liye badhai..
poonam
sundar prastuti
abhar........
waah..!!
bahut khoob...
kya baateingi ye gumzada shaam vajood ko tukdon mein...
behtareen..
aabhaar..
टुकड़ों-टुकड़ों में वजूद बचता ही कहाँ है संगीता जी ........!!
अदा जी,
उदास शाम और गमज़दा रातें ...:):) कहाँ रह पता है फिर वजूद ?? :):)
हरिकीरत हीर जी ,
नारी का वजूद तो ना जाने कितने टुकड़ों में बंटा रहता है..सब टुकड़े मिल कर ही तो नारी को गढते हैं...
आप सभी का आभार ...इस ख़याल को सराहने का
udas saam aur gamjada raaten..........bahut khub ...........:)
बहुत ही सुंदर रचना! सचमुच तुकडे तुकडे जोडकर ही तो बना है वजूद अपना .
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