कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
27 comments:
bahut sundar laghu rachanatmak lekhan.
bahut badhiya......
आपके लिखने का अंदाज़ पसंद आया
राम राम जी,
कमाल कि रचना,कितने कम शब्दों में कितना कुछ बयाँ कर दिया!
बहुत ही सुन्दर!
कुंवर जी,
kya likh diya aapne......baarish nahi hui, sare arth simat aaye, bahut badhiyaa
आप कहां से लाती हैं इतनी अच्छी-अच्छी तस्वीरें! कुछ टिप तो दीजिए।
एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है।
बहुत कमाल की रचना.
रामराम.
बहुत खूब .....!!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने शुक्रिया
bahut sundar
shabdon ka chayan bahut achha raha..
होता है कभी ऐसा भी
जब नैनो के मेघ
हो जाये भारी
बरसने की बजाये
जम जाते है कुछ
हिम कण
और नज़्म
रह जाती है
यू ही छट-पटाती सी ..
बहुत गहरे भावो भरी रचना.
मन को छू गई आपकी यह कविता!
dil ko jhakjhor jane walee rachana........
अगर हो जाती तो जज्बातों और संवेदनाओं की बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता।
सच बहुत कम शब्दों में बहुत लम्बी बातें,न कहते हुए भी बहुत कुछ कह गयीं
bahut shandar bhav..atisundar rachna
वाह वाह अद्भुत सुन्दर और कमाल का रचना लिखा है आपने! चित्र भी बहुत अच्छा लगा!
nice...
Jitna sundar bhav hai prastuti bhi utni hi asardar.shubkamnayen.
बहुत कम शब्दों में आप अपनी बात कह देती हैं !
bhut sundar.
wow.....bahut hi sundar ...bahut se jyada
संगीता जी चंद शब्दो में बहुत बडी बात कः दि आपने. बहुत खूब! अति सुंदर.
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