कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
संगीता जी ..जन्मदिन के ढेरो शुभकामनाये .....हम ईश्वर से यही दुआ करते है की ....आपकी जीवन बगिया ....इस तरह ही महकती रहे ....और आपका मार्गदर्शन और स्नेह हमें यू ही मिलता रहे .....********happy birthday ********
mummaa..mummaa..cholly del se aane ke liye..par manish aya hua hai..6 maheene bad to hum ghum rahe hain.. :-)..aur ye chhutki nazm badi dhansu si sketch hai..jaise raat ke waqt samandar me jvar ho lehron ke thik upar chand ho aur chandni lehron se reflect ho kar sahil pe pad rahi ho..mujhe badi pasand ayi nazm..luv u
संगीताजी जब हम संवेदना से भरकर कोई नज्म लिखते हैं, हमें लगता है-हमारे साथ जमाने के भी जख्म रिसते हैं। तभी तो इन नज्मों को पढ़कर कोई वाह-वाह करता है और कोई सिर्फ एक गहरी सर्द आह भरता है।
bahut hi sundar rachna... kamaaal ke bhaw hain... yun hi likhte rahein... ----------------------------------- mere blog mein is baar... जाने क्यूँ उदास है मन.... jaroora aayein regards http://i555.blogspot.com/
एक ही साँस में आपको पढ़ गयी और एक ही साथ टिपण्णी करने के लिए माफ़ी चाहती हूँ . आपकी सारी रचना बहुत अच्छी है . जितनी तारीफ करूँ कम ही होगा . बहुत आनंद आया आपको पढ़ कर . बधाई ..........
46 comments:
उफ़्………।दिल को छू लिया………अन्दर तक उतरते चले गये अल्फ़ाज़्…………गज़ब की प्रस्तुति।
बेह्तरीन अन्दाज़्।
बार बार पढ्ने को दिल कर रहा है।
ऐसा मेरे साथ कम ही होता है मगर आज की इस कविता ने तो दिल मे घर कर लिया।
क्या खूबसूरत भाव है………………सच अनमोल है।
साहिल पर बिछी
तपती रेत जैसे
चांदनी बरसा गयी
मन में बसी खूबसूरत उमंगों को
शोख लफ़्ज़ों का लिबास दे दिया आपने
बहुत अच्छी कविता है
एक एक शब्द लाल गुलाब सा है जिसे बहुत खूबसूरती से गूंथ आपने खूबसूरत सी माला बना दी है...जबरदस्त रोमांटिक कविता दी ...
Kya kahun? Rashk hota hai,jab aap jaise,itne kam shabdon me itna kuchh kah jate hain..hame nishabd kar dete hain!
तपती रेत पर
जैसे
चाँदनी
बरस गयी
kya roopak istemaal kiya hai..wah !!!!.. man sheetal ho gaya chandni ki kirnon se :)
तपती रेत पर
जैसे
चाँदनी
बरस गयी
तपती रेत पर चादनी को बरसना ही होगा वरना शीतलता कहाँ से आयेगी.
बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर भाव
तेरी ख्वाहिशों के
चाँद ने
मेरे मन के
सागर को
ज्यों ही छुआ
वाह क्या बात है ... बहुत सुन्दर !
very Good....
बहुत सुन्दर ।
जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें संगीता जी ।
और पूरा मन चांदनी से भर गया
.क्या बात कह दी...तपती रेत पर चांदनी का बरसना..वाह
जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो.
गागर में सागर - जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ
हमेशा की तरह कोमल नज़्म...
आज मेरे बेटे का भी जन्मदिन है… आपके चिरायु होने की हम मंगलकामना करते हैं.
waah sangeeta ji kya likha hai...bahut hi sundar...aur han...janmdin ki hardik badhaiyan...
अद्भुत भाव...बहुत .खूबसूरत रचना सुंदर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
कितनी सच्चाई और पाकीजगी रही होगी उन ख़वाहिशो में जिनकी चांदनी मन की तपती रेत पर भी चांदनी सी शीतलता बिखेर गयी....बहुत गहरे भाव. बधाई.
वाह! क्या बात है ! कमाल की पंक्तिया और भाव है!
एक अच्छी रचना
Hi..
Sarvpratham to janm divas ki shubhkamnayen..(joki abhi tippaniyon se pata chala)
Aapki sabhi Kavitain gudh hoti hain.. Adhikanshtah 2-3 baar padhne ke uprant hi koi bhi un par koi tippani de sakta hai..
Aaj ki kavita prem ka shabdik rupantaran hai.. Kahna hi hoga.. WAH KYA KAVITA HAI..
Bhav teri kavita ke aksar..
Dil main asar dikhate aisa..
Tapte se sehra main jaise..
Kabhi kahin ho jaaye barkha..
DEEPAK..
Poem: Cause and effect! Purity...
And Happy B'Day!!!
सभी पाठकों को मेरा हार्दिक अभिनन्दन...और शुक्रिया
डा. दराल, रश्मि रविजा ,राकेश कौशिक , दिलीप ,संवेदना के स्वर ,दीपक शुक्ला , आशीष,
आप सबका शुभकामनायें देने का धन्यवाद ...
@ दीपक शुक्ला,
आपकी पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत हैं....शुक्रिया
संगीता जी ..जन्मदिन के ढेरो शुभकामनाये .....हम ईश्वर से यही दुआ करते है की ....आपकी जीवन बगिया ....इस तरह ही महकती रहे ....और आपका मार्गदर्शन और स्नेह हमें यू ही मिलता रहे .....********happy birthday ********
राजेन्द्र मीणा ..मेरा परिवार और सभी मित्र
mummaa..mummaa..cholly del se aane ke liye..par manish aya hua hai..6 maheene bad to hum ghum rahe hain.. :-)..aur ye chhutki nazm badi dhansu si sketch hai..jaise raat ke waqt samandar me jvar ho lehron ke thik upar chand ho aur chandni lehron se reflect ho kar sahil pe pad rahi ho..mujhe badi pasand ayi nazm..luv u
शानदार रचना...
khub surti ret pe chandni kya baat haiiiiiiiiiiiiiii
Sangita di..
Dhanyawad..
DEEPAK..
bahut achchhe bhaav lage..
Aadarneeya Sangeeta ma'am ko bahut bahut shubhkaamnaye.. varshgaanth mubarak ho.
janm din kee shubhkamnae Sangeeta jee....
hamesha kee tarah ek behatreen rachana......
जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है! बेहद सुन्दर और भावपूर्ण रचना!
aacha bhao jagaya hai aap ne.
शानदार...
साहिल पर बिछी
तपती रेत जैसे
चांदनी बरसा गयी
wakai dil ko chhoo gayi aapki sundar rachna .
संगीताजी
जब हम संवेदना से भरकर कोई नज्म लिखते हैं, हमें लगता है-हमारे साथ जमाने के भी जख्म रिसते हैं। तभी तो इन नज्मों को पढ़कर कोई वाह-वाह करता है और कोई सिर्फ एक गहरी सर्द आह भरता है।
bahut achchhe bhaav lage.
bahut sundar ..bhaav purn rachna
Bikhri chandni acchi lagi
बहुत सुंदर । आपकी चांदनी ने रेत के साथ साथ मन भी शीतल कर दिया ।
bahut hi sundar rachna...
kamaaal ke bhaw hain...
yun hi likhte rahein...
-----------------------------------
mere blog mein is baar...
जाने क्यूँ उदास है मन....
jaroora aayein
regards
http://i555.blogspot.com/
bahut pyari si nazm kahi hai masi jaan..
loved this one
उम्दा रचना।
तपती रेत पर
जैसे
चाँदनी
बरस गयी
speechless
तपती रेत पर
जैसे
चाँदनी
बरस गयी
उफ़!!
एक ही साँस में आपको पढ़ गयी और एक ही साथ टिपण्णी करने के लिए माफ़ी चाहती हूँ . आपकी सारी रचना बहुत अच्छी है . जितनी तारीफ करूँ कम ही होगा . बहुत आनंद आया आपको पढ़ कर . बधाई ..........
Post a Comment