कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
43 comments:
अच्छी कविता है हकीकत से रुबरु कराती हुई।
दिल के भीतर छुपे एहसासों को उकेरती हुई रचना.
बधाई.
हमेशा की तरह चंद लफ्जों में बहुत ऊँची बात , संगीता जी
... बेहद प्रभावशाली
Aapki rachnayen moti kya, heere manik bikher deteen hain!
चंद लफ्जों में अच्छी प्रभावशाली कविता...
वाह ! क्या खूब ! बहुत सुन्दर रचना ! ख्वाब पर भरोसा नहीं ... पर ख्वाब ज़रूरी भी है !
aah hamesha dukhti rag par haath rakh deti ho ...bhatak hi to rahe hain kab se :)
वाह जी क्या बात है , बहुत बड़ी बात कह दी आपने चंद शब्दो में ।
bahut khoob...
कम शब्द और पूरा आकाश
इस तरह की रचनाएँ लिखने में तो आप
सिद्धहस्त होती जा रही हैं!
--
पुन: एक सारगर्भित कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद!
--
बौराए हैं बाज फिरंगी!
जन्म-दिवस पर मिला : मुझे एक अनमोल उपहार!
मुझको सबसे अच्छा लगता : अपनी माँ का मुखड़ा!
हकीकत और भ्रम --कम शब्दों में बखूबी बयाँ।
बहुत सुन्दर उपमाएँ और भाव
.प्यारी सी कविता के लिये बधाई और शुभकामनाएँ.
ख़्वाब का हक़ीक़त से सामना जब होता है तो भटकन ही तो नसीब में भटकन ही तो होता है।
Hi..
Sangita di..
Kam shabdon main badi baat,
kahne ki fitrat paayi hai..
Bhavon ki savita har kavita,
main dikhi smaayi hai..
Wah..
DEEPAK..
Kam shabdon mein gahri baat ... khwaab os ki boond ki tarah bikhar jaate hain ..
वास्तविकता के मरूस्थल में स्वप्न की मरीचिका का आभास और आपका बयान… एकदम सटीक चित्रण.
aacha bhao jagaya aap ne.
bahut khub kaha aapne...
behatreen rachna...
mere blog par jaane kyun udaas hai mann...
jaroor aayein
http://i555.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर और प्रभावशाली कविता! कम शब्दों में सुन्दर एहसास के साथ लाजवाब कविता लिखा है आपने!
बहुत प्रभावशाली
http:// adeshpankaj.blogspot.com/
http:// nanhendeep.blogspot.com/
हकीकत का ताप
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
समन्दर को
आगोश में ले लिया है
और कहते है
कि भगवान ने
बाहें बहुत छोटी बनायी है!
बहुत खूब जी!बहुत सुन्दर!
कुंवर जी,
बहुत खूब लिखा अपने...कम शब्दों में बड़ी बात ...सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई !!
Sach hi to hai na :)
एक कविता का आनन्द आया ।
क्या कहूँ………निशब्द कर दिया है।बहुत ही गहन अभिव्यक्ति।
बूंद बने सागर.
धन्यवाद.
ये तो रेत का समंदर है मुझे तो हर बार गलत दिशाओं में भटका ही देता है
सुन्दर चित्र के साथ नन्ही सी मगर लाजवाब कविता..
bahut acchi chhutku nazm hai mummaaaaaaa..:)
Wah ji achhi rachna...
गागर में सागर...बिहारी की याद आ गई संगीता जी.
वाह जी वाह ..जितनी सुन्दर और कशिश कविता में है उससे भी ज्यादा इस तस्वीर में है
शब्द नहीं जिनसे तारीफ़ कर सकूं
बिलकुल गागर में सागर भर दिया है...बहुत ही गहन अभिव्यक्ति
प्यारी सी कविता और प्यारा सा चित्र...बढ़िया है.
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'पाखी की दुनिया' में- जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा !!
बहुत ही गहन अभिव्यक्ति
http://madhavrai.blogspot.com/
http://qsba.blogspot.com/
...बेहतरीन !!!!
कम शब्द बेहतर चित्रमय प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
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