कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
बहुत भावपूर्ण और सुन्दर नज़्म ! जुबान की ख़्वाबों को बुनने और उधेड़ डालने की कूवत को चंद शब्दों में ही कितनी कुशलता से आपने बयान कर दिया है ! तारीफ़ के लिए अल्फाज़ कम पड़ रहे हैं ! मेरा आभार स्वीकार करें !
फन्दा जब छूटता है तो ऐसा ही होता है हमारे देश की स्थिति कुछ ऐसी ही है. शायद शुरूआती दौर में फन्दे कसे नहीं गये या छूट गये, तभी तो तार तार हो रही है माँ का आँचल बेहतरीन रचना बेमिसाल
muaaaaaaaaaaah ! do baar padhi tab kahin jaake marm samajh aaya..............zubaan ki talkh salaayiaan samajh nahin aa raha tha..fir samajh aaya ki khawaab kisi ke the..doosre bande ki zubaan ne taar taar kar diya pairhan...
पैरहन बुनते हुए एक फंदा छूट गया जुबान की तल्ख़ सलाइयों ने लिबास ख्वाब का तार - तार कर दिया... जुबान की तल्खी किसी ख्वाब लो तार- तार ना करे ... अच्छी प्यारी सी कविता ...!!
हो सकता है कि आप बहुत अच्छी प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हों.....आपके इस प्रयास से शायद महिला ब्लोगर और प्रोत्साहित हों....
पर मैं अपने सभी सम्मानित पाठकों से निवेदन करना चाहूंगी कि मुझे इस प्रतियोगिता में शामिल ना करें....मैंने जब भी कुछ लिखा है मन से लिखा है...किसी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए नहीं.... आशा है सभी साथी मेरी भावनाओं को समझेंगे....
51 comments:
वाह ! शब्द कम परन्तु गहराई अधिक .....
waah badi kalatmak rachna bahut khoob...
इतने कम शब्दों में आप कितनी गहरी बात कह गयी ... बहुत सुन्दर !
गज़ब कर देती हैं आप्……………।गागर में सागर भर देती हैं।
जुबान की तल्ख़
सलाइयों ने
लिबास ख्वाब का
तार - तार कर दिया.
इन पंक्तियों ने मानो दिल ही निकाल दिया.
सच में सलाइयो ने
तल्खी तो दिखाई..
पर यही सलाइया तो
उठाएंगी..
गिरे हुए फंदे..
खाबो के....!!
दिल को छू गयी ये नन्ही सी नज़्म.
बधाई.
...सुन्दर भाव !!!
Kitni sahajtase kah diya! Khwabon ke pairhan kiske naseeb me hote hai?
रूपक बड़ा सुंदर बन पड़ा है.
थोड़े शब्दों में गहरे भाव.
बधाई .
रुमान और यथार्थ को उकेरती सशक्त रचना
बहुत खूब हर पंक्ति मनभावन
बहुत भावपूर्ण और सुन्दर नज़्म ! जुबान की ख़्वाबों को बुनने और उधेड़ डालने की कूवत को चंद शब्दों में ही कितनी कुशलता से आपने बयान कर दिया है ! तारीफ़ के लिए अल्फाज़ कम पड़ रहे हैं ! मेरा आभार स्वीकार करें !
फन्दा जब छूटता है तो ऐसा ही होता है
हमारे देश की स्थिति कुछ ऐसी ही है. शायद शुरूआती दौर में फन्दे कसे नहीं गये या छूट गये, तभी तो तार तार हो रही है माँ का आँचल
बेहतरीन रचना
बेमिसाल
अति सुन्दर...
teekhi zubaan se badi chot lagti hai....
आजकल तो बहुत कुछ तार तार हो रहा है ।अच्छी रचना ।
सही बात है ज़ुबान से चाहे जैसा काम लिया जा सकता है बहुत घ्यान देने की बात है
ख्वाब का मखमली लिबास तो आज वास्तव में तार-तार हो गया है!!
vaah ! maashaallah !
zabardast Mummaaaaaaaaaaaa......:D
muaaaaaaaaaaah !
do baar padhi tab kahin jaake marm samajh aaya..............zubaan ki talkh salaayiaan samajh nahin aa raha tha..fir samajh aaya ki khawaab kisi ke the..doosre bande ki zubaan ne taar taar kar diya pairhan...
khoob bhaaaaaalo likha Mumma..:D
बहुत खूब । सुन्दर ।
बहुत खूब
छुटा हुआ फ़ंदा ही समस्या बन जाता है।
आभार
अक्सर जुबान कि तल्ख़ सलाइयाँ ख्वाबों को तार-तार कर देती हैं.
शब्दों की जादूगरी ने अच्छे भाव पैदा किए हैं...बधाई.
इस लघु कविता में प्रत्यक्ष अनुभव की बात की गई है, इसलिए सारे शब्द अर्थवान हो उठे हैं।
badi alag alag upmaayen hain mumma...khub achhi8 nazm lagi ye to . :)
जन्मदिवस की शुभकामना के लिए आपको बहुत धन्यवाद.
बहुत बढ़िया प्रतीकों का प्रयोग करते हुए
बहुत बढ़िया ढंग से
आपने अपनी बात रखी है
इस नज़्म में!
--
बौराए हैं बाज फिरंगी!
हँसी का टुकड़ा छीनने को,
लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!
Hi..
Ek purana sher yaad aa gaya..
Kudrat ko napasand hai sakhti juban main,
rakhi nahi hai esliye haddi juban main..
Sundar kavita.. WAH..
DEEPAK..
सुन्दर रचना!
इतने ही नाजुक होते हैं ख्वाब ..बस इसे ही तार तार होते देर नहीं लगती..गहराई लिए हुए रचना हुई है.
सुंदर शीर्षक के साथ..... बहुत सुंदर रचना...
वाह संक्षिप्त शब्दों में गहरी बात कह दी ।
... बहुत सुन्दर !
waah!
पैरहन बुनते हुए
एक फंदा छूट गया
जुबान की तल्ख़ सलाइयों ने
लिबास ख्वाब का
तार - तार कर दिया...
जुबान की तल्खी किसी ख्वाब लो तार- तार ना करे ...
अच्छी प्यारी सी कविता ...!!
सभी प्रबुद्ध पाठकों का आभार ....
########################
Kumar Jaljala ji ,
हो सकता है कि आप बहुत अच्छी प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हों.....आपके इस प्रयास से शायद महिला ब्लोगर और प्रोत्साहित हों....
पर मैं अपने सभी सम्मानित पाठकों से निवेदन करना चाहूंगी कि मुझे इस प्रतियोगिता में शामिल ना करें....मैंने जब भी कुछ लिखा है मन से लिखा है...किसी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए नहीं....
आशा है सभी साथी मेरी भावनाओं को समझेंगे....
शुक्रिया
बहुत सुन्दर और प्यारी रचना..आपको बधाई.
_______________
'पाखी की दुनिया' में आज मेरी ड्राइंग देखें...
ज़ुबान .... ये कम्बख़्त ज़ुबान ही तो होती है जो सब कुछ बिगाड़ देती है .... गहरी बात को बहुत ही सूक्ष्मता से रक्खा है आपने ... बहुत लाजवाब रचना .....
संगीता जी , बहुत ही उम्दा रचना । शब्दों का चयन और उनका उपयोग आपने बडी ही खूबसूरती से किया है । बधाई और शुभकामनाएं
वाह ! शब्द कम परन्तु गहराई अधिक .....
श्रेष्ठ ब्लॉगरिन बहन फ़िरदौस
बहुत ही ख़ूबसूरत ख़याल हैं...और सच..ऐसा ही होता है
बेहतरीन
http://madhavrai.blogspot.com/
lajvab nihayat khubsurat waha waha
कम शब्दों में गहरी और ख़ूबसूरत बात.शुभकामनाएं !!
bahut gehari baat.
गागर मेँ सागर!
बधाई!
शब्द के बलाघात के ही अनेकानेक परिणाम हैं ।
आप्त रचना लिख दी आपने बधाई ।
बेमिसाल
सच इन छूटे हुए फंदों को उठाने में ही सारी उम्र निकल जाती है अगर उठाना भी चाहो तो
एक फंदा
छूट गया
awaysome ...creation
जुबान की तल्ख़
सलाइयों ने
लिबास ख्वाब का
तार - तार कर दिया.
wonderful
shaandar nazm kahi hai masi..
Post a Comment