पंडोरा बॉक्स
>> Wednesday, 27 January 2010
पंडोरा बॉक्स की ही तरह है
ये अंखियों की डिब्बी
ज़रा खोल दो तो
सारे ख्वाब
बाहर कूद आते हैं. Read more...
यादों की पोटली
>> Tuesday, 19 January 2010
यादों की पोटली
जब सिरहाने रखी
तो विस्मृत सी बातें
निकल आयीं उसमें से,
और नींद आँखों से
कोसों दूर हो गयी.
ठिठोली
>> Saturday, 16 January 2010
तन्हाई में आज
चाँद, चांदनी संग
ठिठोली कर रहा था
सितारे सब
तेरे आंचल में
शर्मा कर छुप गए . Read more...
चमक
>> Friday, 15 January 2010
हथेलियों ने
सहला दिया था
आँखों को
और समेट लिए थे
सारे मोती
वापस आ गयी है
आँखों में
फिर से वो चमक
जिसकी रोशनी में
तुम नहाया करते थे Read more...
गुनाह
>> Saturday, 9 January 2010
गुनाह किया जो मैंने
उसकी न कोई माफ़ी है
तेरी आँख से गिरी
टप से वो बूंद
यही सजा
मेरे लिए काफी है.
Read more...
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छोटी कविता
ऐतबार
>> Friday, 8 January 2010
ख्वाहिशे सुलगती हैं
दिल बेचैन है
नजारों पर नज़रें
टिकती नहीं हैं
ऐतबार भी नहीं
अब तो
किसी पैगाम पर
रात के बाद
सुबह होती नहीं है Read more...
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