कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
Sangeeta ji, Apane in chhotee chhotee najmon men bahut hee gaharee aur gambheer baten kaha dee hain jo mujhe behada achchhee lageen. shubhkamnaon ke sath. Poonam
8 comments:
oye hoye katal hai bas...abhi lai pankha...
masoom se maang....
kitni massom chingari he
bas chaahti he pyar ke
pankhe se ek jhoka
lo me vaar du tum par
apne pyar ka pura sota.
गागर में सागर!
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क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ"
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस
bahut sunder .
Sangeeta ji,
Apane in chhotee chhotee najmon men bahut hee gaharee aur gambheer baten kaha dee hain jo mujhe behada achchhee lageen.
shubhkamnaon ke sath.
Poonam
hmm....
वाह!
गागर में सागर.
Loved reading this thhank you
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