कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
satya bayan kiya hai aapnedhode mein sab kuch keh diya hai ...soogate ant mein yehi prapt hoti hai jab pyar pyar nahi rehker suvidhaon ka madhyam matraban ker reh jata hai aur jab ve suvidhaye puri nahi hoti tab pyar ki ais hi soogaate milti hai ...dhanyawad achi rachna ke liye
10 comments:
हम्म एसा ही होता है..प्यार बफा के बदले यही मिलता है आज की दुनिया में :)
बहुत खूब दी
satya bayan kiya hai aapnedhode mein sab kuch keh diya hai ...soogate ant mein yehi prapt hoti hai jab pyar pyar nahi rehker suvidhaon ka madhyam matraban ker reh jata hai aur jab ve suvidhaye puri nahi hoti tab pyar ki ais hi soogaate milti hai ...dhanyawad achi rachna ke liye
कैसे बे-दर्द है वो
और कैसे बदनसीब भी..
प्यार, वफ़ा देते नहीं..
और खुशियों के बदले
लुटाते है नफरत अपनी..
ऐसे बे-वफाओ को दो न
वफ़ा ना दवा
very touching poem.......
कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है ।
न जांने हमेशा यही क्यूं होता है ।
बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार कविता प्रस्तुत किया है! बधाई!
Aaj kitne din baad aapko padha....aur utna hi achchha padha
bahut khoob
बहुत सुंदर और स्पर्षी रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
dil ko chhu lene wali hai ye rachana
aap ko bahot shubh kamana
dikshya
www.sheeroshayari.blogspot.com
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