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पंडोरा बॉक्स

>> Wednesday, 27 January 2010





पंडोरा बॉक्स की ही तरह है



ये अंखियों की डिब्बी


ज़रा खोल दो तो


सारे ख्वाब


बाहर कूद आते हैं.

6 comments:

shikha varshney Wed Jan 27, 07:43:00 pm  

हम्म..... और बिना देखे-भाले कूदते हैं ख्वाब और गिरते हैं तपाक से और बहुत चोट लगती है ....गज़ब कि पंक्तियाँ हैं दी

rashmi ravija Wed Jan 27, 08:53:00 pm  

बढ़िया अभिव्यक्ति....पर पूरे भी तो तभी होंगे...हाँ, खो भी जाते हैं,कूद कर

मनोज कुमार Wed Jan 27, 09:05:00 pm  

एक बार फ़िर चित्र और शब्दों के चमत्कार!
आपको नमस्कार!!!

Apanatva Thu Jan 28, 09:49:00 am  

एक बार फ़िर चित्र और शब्दों के चमत्कार!
आपको नमस्कार!!!
aaj manoj jee ke shavd cut paste kar rahee hoo usase acchee tipannee nahee likh patee.
ati sunder

रचना दीक्षित Thu Jan 28, 02:50:00 pm  

बहुत सटीक और मार्मिक चित्रण किया है

अनामिका की सदायें ...... Thu Jan 28, 11:58:00 pm  

ये पंडोरा बॉक्स क्या है????

सुच खाब कूद आते है???

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