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घुंघरू

>> Thursday, 21 January 2010




ख़ामोशी के घुंघरू भी



करते हैं बहुत शोर


कभी कभी


महफ़िल में भी


तन्हाई होती है


चारों ओर .

15 comments:

shikha varshney Thu Jan 21, 04:21:00 pm  

ekdam sachchi baat...tabhi main ghungroo nahi pahanti bahut shor karte hain..

अनामिका की सदायें ...... Thu Jan 21, 04:53:00 pm  

aapki ye lines bahut khoobsurat hai..me jara 2 line apni bhi mila du..aapki rachna ko ek nazm bana du..

maine likhi do line ab aage ki kadi tum mila do..


ghunghru bajne de..
khamoshi ko sunNe de..
mehfil me kya rakha hai..
tanha ko tanhayi se milne de.

Harshvardhan Thu Jan 21, 10:10:00 pm  

rachna achchi lagi..........

सदा Sat Jan 23, 03:08:00 pm  

बहुत ही बेहतरीन ।

लोकेन्द्र विक्रम सिंह Sat Jan 23, 10:03:00 pm  

सच कहा आपने...

महफ़िल में भी
तन्हाई होती है

निर्मला कपिला Mon Jan 25, 07:29:00 pm  

वाह क्या सही कहा है गागर मे सागर शुभकामनायें

रंजू भाटिया Tue Jan 26, 09:59:00 am  

बहुत बढ़िया कम लफ़्ज़ों में पूरी बात कह दी है आपने शुक्रिया

वन्दना अवस्थी दुबे Tue Jan 26, 11:19:00 pm  

क्या बात है संगीता जी.बहुत खूब.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.

Avinash Chandra Tue Feb 02, 07:54:00 pm  

behad khoobsurat...bahut hi sundar...

Bahut bahut dhanyawaad itni sundar rachna ke liye

Yashwant R. B. Mathur Sun Jul 31, 10:07:00 am  

बेहतरीन कविता है।

सादर

वीना श्रीवास्तव Sun Jul 31, 01:56:00 pm  

ग़ज़ब की अभिव्यक्ति है....

vandana gupta Sun Jul 31, 03:01:00 pm  

सच भीड मे भी अकेला ही होता है इंसान्……………गागर मे सागर भर दिया।

Anupama Tripathi Sun Jul 31, 04:12:00 pm  

घुँघरू करते ही हैं शोर ...फिर ख़ामोशी के ही क्यों न हों ...!!
बहुत सुंदर बात ...और गहराई लिए हुए ...

Dorothy Sun Jul 31, 07:58:00 pm  

गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

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