copyright. Powered by Blogger.

प्याले गम -ऐ -दर्द के

>> Thursday, 16 October 2008

जब तन्हाई होती है तो ख़ुद से मिला करते हैं
किसी की ज़रूरत नही होती ख़ुद से बात किया करते हैं
ज़िन्दगी बन जाए रेगिस्तान तो फिर पानी की चाह भी क्यों हो ?
छलकाते नही गम-ऐ - दर्द के प्याले बस हम उन्हें पी लिया करते हैं।

2 comments:

अनामिका की सदायें ...... Thu Apr 16, 12:58:00 pm  

mujh se baat karo
mujhe hi apni tanhayi bana lo
paani b me ban jau..
registaan b mujhe akhtiyaar karo..
apne gam-e-dard ko
aao jara mujh me chhalka do..
pina he to sharaab-e-pyar piyo..
khud ko ab u na halkaan karo..!!

आशुतोष शर्मा Sat Nov 26, 11:36:00 am  

तन्हाई नहीं मिलती रिस्तो की भीड़ में,
आह कहा होती है किसी भरी महफ़िल में,
दर्द के पैमानों को नहीं छलकते देखा,
सुक़ून इश्क ना मिला उस सितमगर संगदिल में ।

आशुतोष

रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP