लम्हा
>> Thursday, 16 October 2008
कोई लम्हा नही गुज़रता जो तुझे याद न किया हो ,
कोई सोच ऐसी नही कि जिसमे तुझे शामिल न किया हो ,
आंख बंद करते हैं जब भी हम अपनी ,
कोई ख्वाब ऐसा नही जिसमें तुझे देखा न किया हो।
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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1 comments:
कोई लम्हा नही गुज़रता जो तुझे याद न किया हो ,
कोई सोच ऐसी नही कि जिसमे तुझे शामिल न किया हो ,
आंख बंद करते हैं जब भी हम अपनी ,
कोई ख्वाब ऐसा नही जिसमें तुझे देखा न किया हो।
tera pyar hi to mujhe zinda rakhta hai..
teri yaad hi to mujhe sanse deti hai..
is duniya ki bheed me bas tu hi to sath hai..
jb bhi thokar khati hu bas tera hi to haath hai....
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