कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
लम्हा दर लम्हा हम इम्तिहान देते रहे , तेरी दूरी का दर्द भी हम सहते रहे , हद से गुज़र गई है दर्दे गम की बरसात , हर पल में न जाने कितनी बार मरते रहे ।
lamha dar lamha u imtehaan diya na karo.. dard-e-duri bhi u saha na karo.. had se guzer jaye jab dard-o-gam ki barsat dil se purkaro hame..aur paas aa jaya karo...!!
6 comments:
लम्हा दर लम्हा हम इम्तिहान देते रहे ,
तेरी दूरी का दर्द भी हम सहते रहे ,
हद से गुज़र गई है दर्दे गम की बरसात ,
हर पल में न जाने कितनी बार मरते रहे ।
lamha dar lamha u imtehaan diya na karo..
dard-e-duri bhi u saha na karo..
had se guzer jaye jab dard-o-gam ki barsat
dil se purkaro hame..aur paas aa jaya karo...!!
दर्द की इन्तिहा .......
सादर !
bahut hi khoobsoorat najm.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks.
bahut sunder rachna ...
kam shabdon me ..gahare dard ka varnan ....
bahut khuub!
जिन्दगी एक इम्तिहान है हमें इसे देना ही होगा ,भावभीनी पंक्तिया
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