कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
8 comments:
bahut khub ji
aap tho chate jaa rahe ho
god bless u for all the efforts
jab maine vaatayan khola
hawa ka ek jhonka aaya
aur bhar gaya mujhme
tere pyar ka wo ehsaas
jo kabhi saath jiya tha
maine tumne aur humne
bahut sundar likhti hai aap
बहुत खूबसूरत लगा आपका ब्लोग.
कल 10/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
very very nice...
बहुत ही सुन्दर...
SACHHHHHHHHHHHH ??????
:):):):)
३ साल पुरानी रचना दी, वाह लिंक से पता नहीं चला किसकी रचना है.
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