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कसक

>> Wednesday, 22 October 2008

दिल ने फिर तेरे दिल पर दस्तक दी है
तन्हाई ने फिर एक कसक दी है
चाहूँ तेरी बाहों में सिमट जाना
ख़्वाबों ने तेरी फिर कसक दी है ।

8 comments:

"Nira" Wed Oct 22, 07:34:00 pm  

bahut khub ji
aap tho chate jaa rahe ho
god bless u for all the efforts

arvind Tue Oct 06, 06:56:00 pm  

jab maine vaatayan khola
hawa ka ek jhonka aaya
aur bhar gaya mujhme
tere pyar ka wo ehsaas
jo kabhi saath jiya tha
maine tumne aur humne

bahut sundar likhti hai aap

M VERMA Tue Oct 06, 08:54:00 pm  

बहुत खूबसूरत लगा आपका ब्लोग.

Yashwant R. B. Mathur Tue Aug 09, 10:59:00 am  

कल 10/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

विभूति" Wed Aug 10, 03:01:00 pm  

बहुत ही सुन्दर...

आनंद Thu Aug 11, 02:25:00 pm  

३ साल पुरानी रचना दी, वाह लिंक से पता नहीं चला किसकी रचना है.

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