कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ...
मन के भावों को
कैसे सब तक पहुँचाऊँ
कुछ लिखूं या
फिर कुछ गाऊँ
।
चिंतन हो
जब किसी बात पर
और मन में
मंथन चलता हो
उन भावों को
लिख कर मैं
शब्दों में
तिरोहित कर जाऊं ।
सोच - विचारों की शक्ति
जब कुछ
उथल -पुथल सा
करती हो
उन भावों को
गढ़ कर मैं
अपनी बात
सुना जाऊँ
जो दिखता है
आस - पास
मन उससे
उद्वेलित होता है
उन भावों को
साक्ष्य रूप दे
मैं कविता सी
कह जाऊं.
हर हंसीं पल में मेरे तू शामिल है , मेरे दिल का भी बस तू ही कातिल है , तू ही मेरे सीने में दिल बन के धड़कता है, इन मौजे - लहरों का तू ही साहिल है.
bas hansi palo me shamil karoge hame? ye baat keh katal karoge hame..?? sine me dil ban k dhadke to kya.. mauz-e-lehro k sahil bane bhi to kya.. gamo me to akele rehte ho tum bas hansi palo ka sathi banate ho tum..!!
1 comments:
हर हंसीं पल में मेरे तू शामिल है ,
मेरे दिल का भी बस तू ही कातिल है ,
तू ही मेरे सीने में दिल बन के धड़कता है,
इन मौजे - लहरों का तू ही साहिल है.
bas hansi palo me shamil karoge hame?
ye baat keh katal karoge hame..??
sine me dil ban k dhadke to kya..
mauz-e-lehro k sahil bane bhi to kya..
gamo me to akele rehte ho tum
bas hansi palo ka sathi banate ho tum..!!
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