>> Sunday, 2 November 2008
खलिश बन जाती हैं
बेबसी जब बाँध लगाती है तो
चुभन बन जाती है
वक्त को कब कौन रोक पाया है
ऐ मेरे दोस्त
जब वक्त साथ न दे तो
बेवफाई बन जाती है .
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खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
मेरी ज़िन्दगी की तबाहियां मत देख मेरे दोस्त,
कि चिराग गुल कर दो कुछ ऐसी मेरी ज़िन्दगी है,
कितना करोगे रोशन मेरे अंधेरे सायों को
,कि हर लौ मेरी अब बुझ चली है...........
Read more...अंधेरे मेरी ज़िन्दगी में जो इतने हैं,
कि अब किसी रोशनी से दिल घबराता है,
मुझे मेरे साये से लिपटे रहने दो,
किसी के होने के अहसास से दिल घबराता है।
Read more...पलकों पे जो ये अश्क चले आते हैं,
ये कितने बेदर्द हो कर चले आते हैं,
जब छोड़ देता है साथ ज़माना मेरा
तो ये भी मेरा साथ छोड़ कर चले आते हैं।
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