तोहफा जन्मदिन का
>> Thursday, 20 December 2012
प्रिय शिखा के जन्मदिन पर .... कुछ हाइकु रचनाएँ
जन्मदिन का
नन्हा सा है तोहफा
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
तुम्हारे बोल झुलसा ही तो गए मन आँगन |
रोने वालों को मिल जाते हैं कंधे तभी रोते हैं |
मन के छाले रिसते रहे यूं ही नासूर हुये |
आँखों की सुर्खी झरते रहे आँसू खुश्क हुयी मैं |
धुआँ है उठा सुलगता है मन राख़ हुयी मैं |
इंतज़ार क्यों ? तोड़ा है विश्वास हतप्रभ मैं |
तुम्हारी राहें अलग थलग थीं सो ,मैं भटकी |
दुश्मनी कहाँ ? दोस्ती की नींव पर गहरा घाव |
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