सिर्फ एक गुज़ारिश .....
>> Wednesday, 24 November 2010
तेरी बातों की
रुखाई ने
ला दी थी नमी
मेरी आँखों में
और तुमने
बो दिए थे बीज
कुछ उदासी के ,
अब अंकुरित हो
सज गए हैं वो
खामोशी के पत्तों से .
आज जब
बन गया है वो
विशाल वृक्ष
और आ गया है
दोनों की
राह के बीच ,
तो चाहते हो कि
काट डाला जाये इसे .
बस एक
गुज़ारिश है तुमसे
कम से कम
अब तो पर्यावरण का
लिहाज करो ..
.