नमकीन खीर
>> Monday, 31 October 2011
मेरे
ज़ख्मों पर
छिडकते हो
जब भी नमक ,
तो
खाने में
झर जाता है
नमक सारा
और
नमकीन हो जाती है
खीर भी .
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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