विश्वास की ईंट
>> Thursday, 30 September 2010
झूठ की एक
नन्हीं सी फांस
उखाड़ देती है
विश्वास की
जमी हुई नींव को
फिर कितना ही
सच का गारा
लगाओ
जम नहीं पाती
एक भी ईंट
विश्वास की ...
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
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