रंगरेज़
>> Friday, 23 April 2021
इश्क़ तो
खुद है रंगरेज़
रंग देता
मन को
जैसे हो केसर ,
रे मन !
कभी तो
इस रंग के
समंदर में उतर ।
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
इश्क़ तो
खुद है रंगरेज़
रंग देता
मन को
जैसे हो केसर ,
रे मन !
कभी तो
इस रंग के
समंदर में उतर ।
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