तल्ख स्मृतियाँ ( हाइकु )
>> Tuesday, 14 May 2013
कड़वी यादें
चीर देती हैं सीना
मैं हुयी मौन ।
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पीड़ित यादें
झटक ही तो दीं थीं
पीले पत्ते सी ।
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विष से बुझा
याद है व्यंग्य बाण
मरा मेरा 'मैं' ।
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तल्ख स्मृतियाँ
जेहन में घूमतीं
चैन न आए ।
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खुद से जंग
जंगरहित यादें
निज़ात नहीं ....
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