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हसरत ...

>> Sunday, 27 March 2011




एक वक्त था 
कि 
छाये रहते थे 
मेघ नेह के 
इन आँखों में , 
आज 
पसर गया है 
एक रेगिस्तान 
और 
तरस गयीं हैं 
ये आँखें 
एक बूँद 
नमी के लिए .

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पलाश

>> Friday, 18 March 2011




पलक पर जमी 
शबनम की बूंद को 
तर्जनी पर ले कर 
जैसे ही तुमने चूमा 
मेरी आँखों में 
न जाने कितने 
पलाश खिल गए ....


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बाढ़ का कहर

>> Sunday, 13 March 2011






सजा तो लिए थे 

मैंने पलकों पर 

फिर से 

मना कर 

रूठे हुए ख्वाब 


पर आज 

इतनी बारिश हुयी 

कि सारे ख्वाब 

बाढ़ में बह गए .......


.

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