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महताब

>> Saturday, 19 December 2009

आँखों में बसाया है तुमको मैंने एक ख्वाब की तरह
दिल में छुपाया है तुमको मैंने एक चिराग की तरह
नज़र ना लग जाये मेरी मुहब्बत को ज़माने की
मेरे आसमां में चमको तुम बन के महताब की तरह .

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ऑंखें

>> Monday, 14 December 2009

बिना काजल के हैं कजरारी आँखें

पैनी धार सी हैं ये कटारी आँखें

वार तो नहीं किया तूने मुझ पर

क़त्ल कर गयीं ये तेरी प्यारी आँखें

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ख़ामोशी

>> Sunday, 13 December 2009

खामोश रह कर भी तुझसे बात करते हैं

आवाज़ नहीं आती पर लब हिलते हैं

ज़रा ध्यान से सुन कान लगा कर ज़रा

चुप रह कर भी हम बहुत कुछ कहते हैं.

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गुल

अश्कों को छुपा कर जो तुम मुस्कुराये
शबनम में भीगे कुछ गुल याद आए .

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आदत

>> Sunday, 29 November 2009

दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है
अश्कों को भी सबसे छुपाने की आदत है
लोग समझते हैं कि गम नहीं है ज़माने में कोई मुझे
क्यों कि गम को भी पी जाने की मुझे आदत है

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अजीज़

>> Thursday, 8 January 2009

बेरूखी भी तेरी मुझे अजीज़ है
क्यूँ कि वो भी तेरी दी हुई चीज़ है
तू लाख मुंह फेरे मुझसे ओ जाने - जाना
फ़िर भी तू मेरे दिल के करीब है ।

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गुनहगार

हर बार अपनी चाहत के हम गुनहगार हुए जाते हैं

कही - अनकही हर बात पर वो यूँ ही तोहमत लगाते हैं

सुनते हैं हर बात उनकी दिल औ जान से हम

फिर भी वो हैं कि हमसे खफा हुए जाते हैं ।

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रौनक -ऐ - ज़िन्दगी

>> Monday, 5 January 2009

बेनूर सी आंखों में , ख़्वाबों की चमक दी है

एहसास -ऐ - अकेलेपन को , चाहत की कसक दी है

लगता है कि तेरे बिन ये साँसे , चलती भी नही हैं

इस कदर मेरी ज़िन्दगी को तूने रौनक दी है.

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