बरगद !!!!
>> Saturday, 8 May 2021
ज़िन्दगी की धूप में
छाँव की तलाश में
और
बरगद
अपनी बाहें फैलाये
रह जाता है
एक जगह
ठिठका सा .
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
ज़िन्दगी की धूप में
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