copyright. Powered by Blogger.

समंदर रेत का

>> Wednesday, 13 April 2011


पलकों को 
निचोड़ कर 
जब मैंने 
खोलीं थीं 
आँखें 
रेत का 
समंदर उनमें 
नज़र आया था 


100 comments:

rahul Wed Apr 13, 01:54:00 pm  

nice short one!!does sand means , tears have been dried...

ashish Wed Apr 13, 02:09:00 pm  

आँखों में क्या क्या आप देख लेती हो और सोच लेती हो ., कभी समंदर कभी रेगिस्तान . कभी नदिया कभी नखलिस्तान .

संध्या शर्मा Wed Apr 13, 02:17:00 pm  

भीगी पलकें गहरी आँखें
और उनमे तैरता रेत का समंदर...
संगीताजी इतनी गहराई तो आपकी ही रचना में मिलती है.. भावपूर्ण प्रस्तुति...

Sadhana Vaid Wed Apr 13, 02:21:00 pm  

वाह ! बहुत सुन्दर ! इस समंदर में भावनाओं के कितने मोती सीपियों में बंद पड़े होंगे उन्हें और खोजना होगा तभी यह श्रमसाध्य कार्य पूर्ण होगा ! बहुत प्यारी क्षणिका ! बधाई एवं शुभकामनायें !

shikha varshney Wed Apr 13, 02:21:00 pm  

जाने क्या क्या हम अपनी
आँखों में लिए फिरते हैं.
कभी बारिश तो कभी
रेत के समंदर भी दिखते हैं.
क्या बात है दी! कम शब्दों में पूरा सागर भर दिया.

Anonymous Wed Apr 13, 02:49:00 pm  

संगीता जी,

बहुत सुन्दर.....आँखें और रेत का समंदर.......वाह....शानदार

मनोज कुमार Wed Apr 13, 02:54:00 pm  

वाह-वाह!
वाह-वाह!!
एक वाह-वाह आपकी क्षणिका के लिए।
और दूसरी शिखा की टिप्पणिका के लिए।

संगीता स्वरुप ( गीत ) Wed Apr 13, 03:00:00 pm  

@ शिखा ,

हम तो आँखों में
लिए फिरते हैं
हसरतें
कभी होती हैं
लहरें तो कभी
रेत की सतहें ...

रश्मि प्रभा... Wed Apr 13, 03:31:00 pm  

ret hi jivan ka satya hai
stambh hai saagar ke andar baahar uska gahra wajood hai...
aankhon ke registaan kahte hain
lahren aane ko hain

anuj Wed Apr 13, 03:36:00 pm  

ankhen aksar man ka bhav bayan karti hai......dekhne wale ki kala hai ki koi toh samundar me moti dhund leta hai aur koi ret ke tile... sundar hai,,, bhav se paripurn....

Unknown Wed Apr 13, 04:03:00 pm  

अच्छा लिखा है. बधाई
मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है
दुनाली

vandana gupta Wed Apr 13, 04:07:00 pm  

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

सदा Wed Apr 13, 04:31:00 pm  

गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Unknown Wed Apr 13, 04:34:00 pm  

गहरी अभिव्यक्ति
मेरी तरफ से प्रणाम स्वीकार करे ब्लॉग जगत में नया हूँ|

मेरे भाव Wed Apr 13, 04:53:00 pm  

छोटी किन्तु प्रभावशाली कविता.

रेखा श्रीवास्तव Wed Apr 13, 05:10:00 pm  

आखें ही तो हैं तो सब कुछ देख कर अपने में समां लेती हैं और फिर पता नहीं कब और कैसे उनको ही व्यक्त भी कर देती हैं. प्रेम, वियोग , वितृष्णा, ममता सब उनमें झांक कर ही तो समझा जा सकता है. फिर उसको प्रस्तुत करने वाले की काला है. सुंदर अभिव्यक्ति के लिएबधाई.

kavita verma Wed Apr 13, 05:36:00 pm  

aankhon me samaya ret ka samnder..kya bat hai..

PRIYANKA RATHORE Wed Apr 13, 05:39:00 pm  

गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

vandana gupta Wed Apr 13, 05:56:00 pm  

कितना गहन लिखा है…………कहने को शब्द कम पड गये हैं………………चंद शब्दो मे ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा कह दिया।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ Wed Apr 13, 06:09:00 pm  

इतने कम शब्दों में इतनी गहन अभिव्यक्ति !
संगीता जी,आपकी लेखनी को नमन !

Er. सत्यम शिवम Wed Apr 13, 06:52:00 pm  

कितने गहरे भाव छुपा रखे है आपने बस कुछ पंक्तियों में...बहुत सुंदर...धन्यवाद।

ज्योति सिंह Wed Apr 13, 06:55:00 pm  

जाने क्या क्या हम अपनी
आँखों में लिए फिरते हैं.
कभी बारिश तो कभी
रेत के समंदर भी दिखते हैं.
sach hi to kaha hai aapne ,samya hi bharta inme sab ,sundar behad

Vaanbhatt Wed Apr 13, 07:55:00 pm  

bahut khoob...mitti ka sara pani nikal kar ret bana dala...

विभूति" Wed Apr 13, 08:11:00 pm  

aa gayi yaad teri soch me dubi aakhe..
jab bhi dekha teri aakho me samander dekha....

M VERMA Wed Apr 13, 08:39:00 pm  

रेत के इस समन्दर के पीछे मरीचिका ही सही जल के आभास होते ही हैं
लाजवाब रचना

Hemant Kumar Dubey Wed Apr 13, 11:12:00 pm  

आँखों से बहती गंगा-जमुना

जब सूख जाती है,

दर्द की हदे

पार हो जाती है

तब रेत ही रेत

दिखाती है

हर जगह |

Taru Wed Apr 13, 11:47:00 pm  

Mumma ..bahut pyaari nazm :)

khwaab ka samandar bana detin naa aap...:).....ret kyun bana diya.:/:/

विशाल Thu Apr 14, 12:25:00 am  

बहुत ही कम शब्दों में बड़ी बात.

सुन्दर पंक्तियाँ.

Bhola-Krishna Thu Apr 14, 03:53:00 am  

We have seen your BLOGs for the FIRST TIME to day.For each one we can say " Dekhan me chhote lage ghaav kare gambhiir .SUPERB . GOD BLESS U

Dr.Smt Krishna & BHOLA S'-tav

Bhola-Krishna Thu Apr 14, 03:56:00 am  

We have seen your BLOGs for the FIRST TIME today.For each one we can say " Dekhan men chhote lage ghaav kare gambhiir .SUPERB . GOD BLESS U

Dr.Smt Krishna & BHOLA S'-tav

अरुण चन्द्र रॉय Thu Apr 14, 08:04:00 am  

काम शब्दों में गंभीर अभिव्यक्ति आपका ट्रेड मार्क है ! अच्छी कविता !

राजेश उत्‍साही Thu Apr 14, 09:11:00 am  

रेत के समंदर में ही तो हम अपनी तृष्‍णा खोजते हैं।

निर्मला कपिला Thu Apr 14, 09:28:00 am  

कम शब्दों मे अथाह व्यथा। ---

Vijuy Ronjan Thu Apr 14, 10:29:00 am  

Behad khubsurat nazm...Aankhon ke beech ret ka samandar ....bahut hi acchha bimb hai.

प्रतुल वशिष्ठ Thu Apr 14, 11:30:00 am  

प्यास से
खुल गये जब दोनों होंठ
हलक पर खड़ी जीभ को
पानी का रेगिस्तान नज़र आया था.

केवल राम Thu Apr 14, 11:31:00 am  

बहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार

mridula pradhan Thu Apr 14, 01:44:00 pm  

aur mujhe to us ret men bhi moti nazar aa raha hai......

***Punam*** Thu Apr 14, 05:13:00 pm  

"हम तो आँखों में
लिए फिरते हैं
हसरतें
कभी होती हैं
लहरें तो कभी
रेत की सतहें ..."

खूबसूरत !!
किसकी तारीफ करूँ समझ नहीं पा रही हूँ..??आँखों में ही रेत का समंदर है और हसरतों की लहरें भी..!
गागर में सागर वाली कहावत चरितार्थ होती है यहाँ..!!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति Thu Apr 14, 06:15:00 pm  

bahut sundar abhivyakti .. chhoti see KAvita ..kal charchamanch me aapki yah kavita hogi.....Aabhaar

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Thu Apr 14, 06:31:00 pm  

संगीता जी क्षणिका तो नहीं,
हाँ! कणिका बहुत बढ़िया प्रस्तुत की है आपने!

दीपक बाबा Thu Apr 14, 09:19:00 pm  

कम सब्दों में भव्नायों क समुन्द्र

Dr Varsha Singh Thu Apr 14, 11:51:00 pm  

संवेदना से भरी मार्मिक रचना.....
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!

सम्वेदना के स्वर Fri Apr 15, 12:18:00 am  

न जाने क्यों इन आँखों को
सभी झील सी गहरी कहते हैं.
जबकि इन्हीं आँखों में छिपे
कितने समंदर रहते हैं!!
संगीता दी! सीप से निकला मोती है यह!!

Dr (Miss) Sharad Singh Fri Apr 15, 12:48:00 am  

आंखों में रेत का समंदर मन की पीड़ा का आइना होता है और आपने इस आइने को बखूबी सहेजा है अपनी इस कविता में...
बधाई..

निवेदिता श्रीवास्तव Fri Apr 15, 01:14:00 pm  

कविवर बिहारी जी की याद दिला दी आपने ।
गागर में सागर भर दिया ,नि:शब्द कर दिया !

Khare A Fri Apr 15, 01:40:00 pm  

khoob smeta he ye samandr in annkhon main!

kammal ki prastuti

Anupama Tripathi Fri Apr 15, 04:20:00 pm  

khuska ankho ka khoobsoorat chitran.. bahut sunder bhaav ....!!

Manav Mehta 'मन' Fri Apr 15, 04:31:00 pm  

kam shbdon me bahut kuchh kah deti hain aap...

रचना दीक्षित Fri Apr 15, 11:02:00 pm  

प्रभावशाली कविता गंभीर भाव लिए हुए.

shama Fri Apr 15, 11:55:00 pm  

Aapne mook kar diya! Kamal likhtee hain aap!

POOJA... Sat Apr 16, 07:58:00 pm  

इतने कम शब्दों में इतना सारा भाव... वाह...

Kunwar Kusumesh Sun Apr 17, 11:54:00 am  

पलकों को निचोड़ना
रेत का समन्दर दिखना

ग़ज़ब है ग़ज़ब.

गौरव शर्मा "भारतीय" Sun Apr 17, 09:48:00 pm  

वाह...बेहतरीन भावाभिव्यक्ति......आभार !!

Udan Tashtari Mon Apr 18, 04:19:00 am  

सुन्दर अभिव्यक्ति!!

संजय भास्‍कर Tue Apr 19, 12:28:00 pm  

बहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार

Asha Joglekar Tue Apr 19, 02:15:00 pm  

यथार्थ क्या इतना कठोर है । रेत का समंदर आँखो में !!

ZEAL Wed Apr 20, 09:11:00 pm  

Beautiful imagination !

पूनम श्रीवास्तव Thu Apr 21, 05:51:00 pm  

di itni chhoti si rachna me kitne gahre bhav .aapne to gar me sagar bhar diya .kammal ka likhti hain aap aapki adhhbhut lekhni ko naman
avam aapko hardik badhai
poonam

Minakshi Pant Thu Apr 21, 10:11:00 pm  

सुन्दर रचना |

Rajesh Kumari Fri Apr 22, 07:17:00 pm  

khoobsurat abhivyakti....aaj hi padhi
sangeeta ji.

उपेन्द्र नाथ Fri Apr 22, 11:26:00 pm  

Chand shabdon men bahut hi gahre bhav. Sunder prastuti.

Vivek Jain Sat Apr 23, 01:05:00 am  

बहुत ही शानदार है आपकी यह पंक्तियां!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

कविता रावत Sun Apr 24, 04:07:00 pm  

बहुत अच्छी क्षणिका ... बहुत दिन से अस्वस्थता के चलते ब्लॉग से दूर थी... अब ठीक हूँ .... आपकी याद आयी तो चली आये ब्लॉग पर ..

सादर

दिगम्बर नासवा Mon Apr 25, 01:28:00 pm  

Ye aadhunik Bhaarat ki shabdavali lag rahi hai ...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Mon Apr 25, 07:02:00 pm  

केवल एक ही शब्द .... बेहतरीन !

OM KASHYAP Mon Apr 25, 11:01:00 pm  

namaskar ji
blog par kafi dino se nahi aa paya mafi chahata hoon

Surendra shukla" Bhramar"5 Tue Apr 26, 01:05:00 am  

संगीता जी नमस्कार बहुत सुन्दर रचना-रेत का समंदर आज अपनी बाढ़ ले छाया हुआ है -गागर में सागर -बधाई हो

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

वन्दना अवस्थी दुबे Tue Apr 26, 03:37:00 pm  

क्या बात है संगीता जी!!!

Dinesh pareek Wed Apr 27, 12:58:00 pm  

वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक

Rachana Thu Apr 28, 07:21:00 pm  

pahli bar aapke blog par aai hoon padh kar aanad aaya
पलकों को
निचोड़ कर
जब मैंने
खोलीं थीं
आँखें
रेत का
समंदर उनमें
नज़र आया था
sunder
saader
rachana

Unknown Fri Apr 29, 03:58:00 pm  

अति सुन्दर रचना.

दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...

ज्योति सिंह Sun May 01, 06:20:00 pm  

पलकों को
निचोड़ कर
जब मैंने
खोलीं थीं
आँखें
रेत का
समंदर उनमें
नज़र आया था
bahut badhiya sangeeta ji .

www.navincchaturvedi.blogspot.com Sun May 01, 07:51:00 pm  

आदरणीया संगीता स्वरूप जी, महज चंद शब्दों में बड़ी ही खूबसूरती से कह जाती हैं आप पते की बात और सामान मुहैया करा देती हैं हम जैसे विद्यार्थियों को और कुछ नया सीखने के लिए| प्रणाम|

VIJAY KUMAR VERMA Sun May 01, 09:18:00 pm  

बहुत ही मार्मिक रचना ....दिल को छू गयी

VIJAY KUMAR VERMA Sun May 01, 09:19:00 pm  

बहुत ही मार्मिक रचना ....दिल को छू गयी

वीना श्रीवास्तव Mon May 02, 06:57:00 pm  

बेहद खूबसूरत....
वैसे भी छोटी-सी आंखों में समुंदर की गहराई होती है तभी तो न जाने क्या-क्या देख लेती हैं...
बहुत सुंदर...

Maheshwari kaneri Tue May 03, 03:12:00 pm  

संगीता जी आप मेरे ब्लांग अभिव्यन्जना पर आई साथ ही अमूल्य सुझाव भी दिया, बहुत बहुत धन्यवाद । बिखरे मोती मे मैने आप की सुन्दर अभिव्यक्ति का रसास्वादन किया । समय –समय पर आकर मुझे सुझाव दे तो अच्छा लगेगा । धन्यवाद

कुमार राधारमण Tue May 03, 04:35:00 pm  

लक्ष्य छोटा था अथवा ओछा।

Nidhi Wed May 04, 01:49:00 pm  

इतने कम शब्दों में भावो का संसार ....वाह!

हरकीरत ' हीर' Wed May 04, 08:33:00 pm  

संगीता जी ,
अपनी कुछ बेहतरीन क्षणिकाएं 'सरस्वाती-सुमन' पत्रिका के लिए भेजिए न .....
संक्षिप्त परिचय और छाया चित्र के साथ ....
इस पते पर ....
harkiratheer@yahoo.in

या

Harkirat 'heer'
18 east lane, sunderpur
house no. 5
Guwaahaati-781005

पंकज मिश्रा Fri May 06, 12:35:00 am  

वाह.... संगीता जी!!!

अविनाश मिश्र Fri May 06, 01:13:00 am  

Wah sangeeta jee.,.,
bahut sundar... Ye panktiyan na jane kya kya nahi kah rahi...
kabhi humare blog bhi aayen..
avinash001.blogspot.com

Shikha Kaushik Sat May 07, 10:39:00 am  

aaj sirf bat hogi muskan kee jo saji rahe aapke hothhon par ''HAPPY BIRTHDAY''

देवेन्द्र पाण्डेय Sat May 07, 06:35:00 pm  

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...
आप को इतनी खुशियाँ मिले कि रेत से खुशियों के चश्मे झरने लगें।

पंकज मिश्रा Tue May 10, 12:48:00 am  

आंखों में रेत का समंदर। क्या बात है। आंखों की अपनी सीमा होती है और समंदर असीमित। बहुत सुंदर रचना। कम शब्दों में बड़ी बात।

नश्तरे एहसास ......... Sat May 21, 11:28:00 am  

आप ने जो इतनी बड़ी बात कह दी है इतने कम शब्दों में उसके लिए शब्द नहीं हैं.....दिल में घर कर गयी आपकी ये रचना :)

अनुभूति Tue May 24, 10:06:00 pm  

गहन भावों को समाहित करती अति सुन्दर कब्यांजलि.....

madhu tripathi Mon Aug 08, 10:16:00 am  

ret me aansoo milker sookh jay whi achha bahne se duniya ki najar padti hai

रफ़्तार

About This Blog

Labels

Lorem Ipsum

ब्लॉग प्रहरी

ब्लॉग परिवार

Blog parivaar

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

लालित्य

  © Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP