समंदर रेत का
>> Wednesday, 13 April 2011
पलकों को
निचोड़ कर
जब मैंने
खोलीं थीं
आँखें
रेत का
समंदर उनमें
नज़र आया था
खलिश होती है तो यूँ ही बयां होती है , हर शेर जैसे सीप से निकला हुआ मोती है
© Free Blogger Templates Wild Birds by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
100 comments:
nice short one!!does sand means , tears have been dried...
आँखों में क्या क्या आप देख लेती हो और सोच लेती हो ., कभी समंदर कभी रेगिस्तान . कभी नदिया कभी नखलिस्तान .
SUNDER !
भीगी पलकें गहरी आँखें
और उनमे तैरता रेत का समंदर...
संगीताजी इतनी गहराई तो आपकी ही रचना में मिलती है.. भावपूर्ण प्रस्तुति...
वाह ! बहुत सुन्दर ! इस समंदर में भावनाओं के कितने मोती सीपियों में बंद पड़े होंगे उन्हें और खोजना होगा तभी यह श्रमसाध्य कार्य पूर्ण होगा ! बहुत प्यारी क्षणिका ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जाने क्या क्या हम अपनी
आँखों में लिए फिरते हैं.
कभी बारिश तो कभी
रेत के समंदर भी दिखते हैं.
क्या बात है दी! कम शब्दों में पूरा सागर भर दिया.
wow!...kyaa khoob!
संगीता जी,
बहुत सुन्दर.....आँखें और रेत का समंदर.......वाह....शानदार
वाह-वाह!
वाह-वाह!!
एक वाह-वाह आपकी क्षणिका के लिए।
और दूसरी शिखा की टिप्पणिका के लिए।
@ शिखा ,
हम तो आँखों में
लिए फिरते हैं
हसरतें
कभी होती हैं
लहरें तो कभी
रेत की सतहें ...
ret hi jivan ka satya hai
stambh hai saagar ke andar baahar uska gahra wajood hai...
aankhon ke registaan kahte hain
lahren aane ko hain
ankhen aksar man ka bhav bayan karti hai......dekhne wale ki kala hai ki koi toh samundar me moti dhund leta hai aur koi ret ke tile... sundar hai,,, bhav se paripurn....
अच्छा लिखा है. बधाई
मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है
दुनाली
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
गहरा।
गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
गहरी अभिव्यक्ति
मेरी तरफ से प्रणाम स्वीकार करे ब्लॉग जगत में नया हूँ|
छोटी किन्तु प्रभावशाली कविता.
आखें ही तो हैं तो सब कुछ देख कर अपने में समां लेती हैं और फिर पता नहीं कब और कैसे उनको ही व्यक्त भी कर देती हैं. प्रेम, वियोग , वितृष्णा, ममता सब उनमें झांक कर ही तो समझा जा सकता है. फिर उसको प्रस्तुत करने वाले की काला है. सुंदर अभिव्यक्ति के लिएबधाई.
aankhon me samaya ret ka samnder..kya bat hai..
गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
कितना गहन लिखा है…………कहने को शब्द कम पड गये हैं………………चंद शब्दो मे ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा कह दिया।
इतने कम शब्दों में इतनी गहन अभिव्यक्ति !
संगीता जी,आपकी लेखनी को नमन !
कितने गहरे भाव छुपा रखे है आपने बस कुछ पंक्तियों में...बहुत सुंदर...धन्यवाद।
जाने क्या क्या हम अपनी
आँखों में लिए फिरते हैं.
कभी बारिश तो कभी
रेत के समंदर भी दिखते हैं.
sach hi to kaha hai aapne ,samya hi bharta inme sab ,sundar behad
bahut khoob...mitti ka sara pani nikal kar ret bana dala...
aa gayi yaad teri soch me dubi aakhe..
jab bhi dekha teri aakho me samander dekha....
रेत के इस समन्दर के पीछे मरीचिका ही सही जल के आभास होते ही हैं
लाजवाब रचना
marmik
आँखों से बहती गंगा-जमुना
जब सूख जाती है,
दर्द की हदे
पार हो जाती है
तब रेत ही रेत
दिखाती है
हर जगह |
Mumma ..bahut pyaari nazm :)
khwaab ka samandar bana detin naa aap...:).....ret kyun bana diya.:/:/
बहुत ही कम शब्दों में बड़ी बात.
सुन्दर पंक्तियाँ.
We have seen your BLOGs for the FIRST TIME to day.For each one we can say " Dekhan me chhote lage ghaav kare gambhiir .SUPERB . GOD BLESS U
Dr.Smt Krishna & BHOLA S'-tav
We have seen your BLOGs for the FIRST TIME today.For each one we can say " Dekhan men chhote lage ghaav kare gambhiir .SUPERB . GOD BLESS U
Dr.Smt Krishna & BHOLA S'-tav
waah sangeeta ji
काम शब्दों में गंभीर अभिव्यक्ति आपका ट्रेड मार्क है ! अच्छी कविता !
रेत के समंदर में ही तो हम अपनी तृष्णा खोजते हैं।
कम शब्दों मे अथाह व्यथा। ---
Behad khubsurat nazm...Aankhon ke beech ret ka samandar ....bahut hi acchha bimb hai.
प्यास से
खुल गये जब दोनों होंठ
हलक पर खड़ी जीभ को
पानी का रेगिस्तान नज़र आया था.
बहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार
aur mujhe to us ret men bhi moti nazar aa raha hai......
"हम तो आँखों में
लिए फिरते हैं
हसरतें
कभी होती हैं
लहरें तो कभी
रेत की सतहें ..."
खूबसूरत !!
किसकी तारीफ करूँ समझ नहीं पा रही हूँ..??आँखों में ही रेत का समंदर है और हसरतों की लहरें भी..!
गागर में सागर वाली कहावत चरितार्थ होती है यहाँ..!!
bahut sundar abhivyakti .. chhoti see KAvita ..kal charchamanch me aapki yah kavita hogi.....Aabhaar
संगीता जी क्षणिका तो नहीं,
हाँ! कणिका बहुत बढ़िया प्रस्तुत की है आपने!
dono kshanikaye bahut sunder.
कम सब्दों में भव्नायों क समुन्द्र
संवेदना से भरी मार्मिक रचना.....
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
न जाने क्यों इन आँखों को
सभी झील सी गहरी कहते हैं.
जबकि इन्हीं आँखों में छिपे
कितने समंदर रहते हैं!!
संगीता दी! सीप से निकला मोती है यह!!
आंखों में रेत का समंदर मन की पीड़ा का आइना होता है और आपने इस आइने को बखूबी सहेजा है अपनी इस कविता में...
बधाई..
कविवर बिहारी जी की याद दिला दी आपने ।
गागर में सागर भर दिया ,नि:शब्द कर दिया !
khoob smeta he ye samandr in annkhon main!
kammal ki prastuti
khuska ankho ka khoobsoorat chitran.. bahut sunder bhaav ....!!
kam shbdon me bahut kuchh kah deti hain aap...
प्रभावशाली कविता गंभीर भाव लिए हुए.
Aapne mook kar diya! Kamal likhtee hain aap!
aankhen ret ka sehra hi hai......
इतने कम शब्दों में इतना सारा भाव... वाह...
पलकों को निचोड़ना
रेत का समन्दर दिखना
ग़ज़ब है ग़ज़ब.
bahut bahut bahut khoob!!!!!!!!!!!
वाह...बेहतरीन भावाभिव्यक्ति......आभार !!
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
बहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार
यथार्थ क्या इतना कठोर है । रेत का समंदर आँखो में !!
Beautiful imagination !
di itni chhoti si rachna me kitne gahre bhav .aapne to gar me sagar bhar diya .kammal ka likhti hain aap aapki adhhbhut lekhni ko naman
avam aapko hardik badhai
poonam
wah....behtreen bhavbodh....
सुन्दर रचना |
khoobsurat abhivyakti....aaj hi padhi
sangeeta ji.
Chand shabdon men bahut hi gahre bhav. Sunder prastuti.
bahut sundar ..
बहुत ही शानदार है आपकी यह पंक्तियां!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत अच्छी क्षणिका ... बहुत दिन से अस्वस्थता के चलते ब्लॉग से दूर थी... अब ठीक हूँ .... आपकी याद आयी तो चली आये ब्लॉग पर ..
सादर
Kuch hi shabdon kein gahri baat ...
Ye aadhunik Bhaarat ki shabdavali lag rahi hai ...
केवल एक ही शब्द .... बेहतरीन !
namaskar ji
blog par kafi dino se nahi aa paya mafi chahata hoon
संगीता जी नमस्कार बहुत सुन्दर रचना-रेत का समंदर आज अपनी बाढ़ ले छाया हुआ है -गागर में सागर -बधाई हो
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
क्या बात है संगीता जी!!!
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
pahli bar aapke blog par aai hoon padh kar aanad aaya
पलकों को
निचोड़ कर
जब मैंने
खोलीं थीं
आँखें
रेत का
समंदर उनमें
नज़र आया था
sunder
saader
rachana
अति सुन्दर रचना.
दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
पलकों को
निचोड़ कर
जब मैंने
खोलीं थीं
आँखें
रेत का
समंदर उनमें
नज़र आया था
bahut badhiya sangeeta ji .
आदरणीया संगीता स्वरूप जी, महज चंद शब्दों में बड़ी ही खूबसूरती से कह जाती हैं आप पते की बात और सामान मुहैया करा देती हैं हम जैसे विद्यार्थियों को और कुछ नया सीखने के लिए| प्रणाम|
बहुत ही मार्मिक रचना ....दिल को छू गयी
बहुत ही मार्मिक रचना ....दिल को छू गयी
बेहद खूबसूरत....
वैसे भी छोटी-सी आंखों में समुंदर की गहराई होती है तभी तो न जाने क्या-क्या देख लेती हैं...
बहुत सुंदर...
संगीता जी आप मेरे ब्लांग अभिव्यन्जना पर आई साथ ही अमूल्य सुझाव भी दिया, बहुत बहुत धन्यवाद । बिखरे मोती मे मैने आप की सुन्दर अभिव्यक्ति का रसास्वादन किया । समय –समय पर आकर मुझे सुझाव दे तो अच्छा लगेगा । धन्यवाद
लक्ष्य छोटा था अथवा ओछा।
इतने कम शब्दों में भावो का संसार ....वाह!
संगीता जी ,
अपनी कुछ बेहतरीन क्षणिकाएं 'सरस्वाती-सुमन' पत्रिका के लिए भेजिए न .....
संक्षिप्त परिचय और छाया चित्र के साथ ....
इस पते पर ....
harkiratheer@yahoo.in
या
Harkirat 'heer'
18 east lane, sunderpur
house no. 5
Guwaahaati-781005
बहुत खूब
मोहसिन रिक्शावाला
आज कल व्यस्त हू -- I'm so busy now a days-रिमझिम
वाह.... संगीता जी!!!
Wah sangeeta jee.,.,
bahut sundar... Ye panktiyan na jane kya kya nahi kah rahi...
kabhi humare blog bhi aayen..
avinash001.blogspot.com
aaj sirf bat hogi muskan kee jo saji rahe aapke hothhon par ''HAPPY BIRTHDAY''
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ...
आप को इतनी खुशियाँ मिले कि रेत से खुशियों के चश्मे झरने लगें।
आंखों में रेत का समंदर। क्या बात है। आंखों की अपनी सीमा होती है और समंदर असीमित। बहुत सुंदर रचना। कम शब्दों में बड़ी बात।
आप ने जो इतनी बड़ी बात कह दी है इतने कम शब्दों में उसके लिए शब्द नहीं हैं.....दिल में घर कर गयी आपकी ये रचना :)
गहन भावों को समाहित करती अति सुन्दर कब्यांजलि.....
ret me aansoo milker sookh jay whi achha bahne se duniya ki najar padti hai
Post a Comment